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बच्‍चों की याद्दाश्‍त को कमजोर कर रही है डेली यूज होने वाली ये चीज, ऐसे करें दूर

Deepa Sahu
23 July 2021 10:57 AM GMT
बच्‍चों की याद्दाश्‍त को कमजोर कर रही है डेली यूज होने वाली ये चीज, ऐसे करें दूर
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आजकल बच्‍चों की परवरिश में जो सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है,

आजकल बच्‍चों की परवरिश में जो सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है, वो है टेक्‍नोलॉजी और मोबाइल फोन का इस्‍तेमाल। कोरोना के चक्‍कर में घर पर बैठे बच्‍चे दिनभर फोन चलाते रहते हैं। इसका असर न सिर्फ बच्‍चों की सेहत पर पड़ रहा है बल्कि इससे उनकी मेंटल हेल्‍थ भी खराब हो रही है।

अब तो कम उम्र में भी बच्‍चे स्‍मार्टफोन के आदी बन गए हैं। जब आप बच्‍चों से फोन छीनने की कोशिश करते हैं तो वो या तो इसका विद्रोह करते हैं या फिर गुस्‍सा दिखाने लगते हैं। इसलिए बच्‍चों के लिए स्‍क्रीन टाइम को लिमिट करन काफी जरूरी हो गया है
​दिमाग के साथ क्‍या कर रहे हैं स्‍मार्टफोन
स्‍मार्टफोन की वजह से बच्‍चों का पढ़ाई में दिमाग नहीं लगता है जबकि यह उम्र याद्दाश्‍त बढ़ाने और मस्तिष्‍क की कोशिकाओं को मजबूती देने के लिए अहम होती है।
आसान शब्‍दों में कहें तो फोन जैसी ध्‍यान भटकाने वाली चीज पास होने की वजह से बच्‍चों को यादें बनाने और उन्‍हें दिमाग में संजोकर रखने में दिक्‍कत आ सकती है।
​ब्‍लू रेडिएशन का नुकसान
इस तरह की रेडिएशन न सिर्फ आंखों के लिए हानिकारक होती हैं बल्कि मस्तिष्‍क की कोशिकओं को भी प्रभावित करती हैं। नीली लाइट से चीजों को याद रखने की क्षमता प्रभावित होती है और बच्‍चे को एक ही एक्टिविटी पर ध्‍यान लगाने में दिक्‍कत होती है।
जब रात को कोई फोन इस्‍तेमाल करता है, तो यह दिमाग को यह विश्‍वास दिलाने लगता है कि दिन का समय हो रहा है। ऐसे में शरीर मेलाटोनिन नामक स्‍लीप हार्मोन बनाना बंद कर देता है। मेलाटोनिन नींद आने में मदद करता है।
​डिजीटल एम्‍नेसिया
डिजीटल एम्‍नेसिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें इंसान वो सभी बातें भूल जाता है जो उसे भरोसा होता है कि डिजीटल डिवाइस याद दिलाएंगे। इसका खासतौर पर असर दिमाग के उस हिस्‍से पर पड़ता है जो शेप और फिगर को याद रखने का काम करता है। इस कारण बच्‍चों की मेमोरी पर बहुत बुरा असर पड़ता है।
​क्‍या है समाधान
पेरेंट्स को डिजीटल डिवाइस और फोन के इस्‍तेमाल को लेकर एक सीमित समय रखना चाहिए। कुछ नियम बनाएं जैसे कि उसे कितनी देर तक फोन पर बात करनी है, फोन को कितनी देर तक कान के पास रखना है और कितनी देर तक मैसेजिंग कर सकते हैं।
बच्‍चे को डिजीटल उपकरणों से होने वाले नुकसानों के बारे में भी जरा प्‍यार से समझाएं। ऑनलाइन क्‍लास और प्रोजेक्‍ट के अलावा बच्‍चों से फिजीकल एक्टिविटी और घर के काम भी करवाएं।
फोन इस्‍तेमाल करते समय बच्‍चों की आंखों को नुकसान से बचाने के लिए एंटी-फेटिंग ग्‍लासेस पहनाकर रखें। बच्‍चों कोन स्‍पीकर पर बात करने के लिए कहें और फोन को कान के ज्‍यादा पास न रखें। रात को सोते समय फोन या लैपटॉप का इस्‍तेमाल न करें।


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