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डायबिटीज नियंत्रण में यह दो उपाय हैं रामबाण, विशेषज्ञों ने दी ये सलाह
Gulabi
11 Oct 2021 4:18 PM GMT
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विशेषज्ञों ने दी ये सलाह
डायबिटीज, दुनियाभर में सबसे तेजी से बढ़ती गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। भारत में साल-दर साल यह रोग तेजी से बढ़ता ही जा रहा है। आलम यह है कि दुनियाभर में भारत को 'डायबिटीज कैपिटल' के रूप में जाना जाता है। एक आंकड़े के मुताबिक भारत में मधुमेह रोगियों की कुल संख्या 77 मिलियन (7.7 करोड़) से अधिक है। हर साल लाखों की संख्या में युवाओं में भी इस रोग का निदान किया जा रहा है। मधुमेह एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करता है जिसमें शरीर इंसुलिन प्रतिरोधी हो जाता है या अग्न्याशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक जीवनशैली की आदतें और खान-पान में गड़बड़ी के कारण मधुमेह होने का खतरा बढ़ जाता है।
डॉक्टरों के मुताबिक यदि समय रहते आदतों और खान-पान में सुधार कर लिया जाए तो इस गंभीर खतरे को कम किया जा सकता है। डायबिटीज के खतरे से बचे रहने के लिए इंसुलिन के स्तर को बढ़ाना आवश्यक है। आइए आगे की स्लाइडों में जानते हैं कि किन दो उपायों को प्रयोग में लाकर इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या से खुद को सुरक्षित किया जा सकता है?
मधुमेह रोग में इंसुलिन की भूमिका
डायबिटीज से बचाव के उपायों को जानने से पहले, मधुमेह रोग में इंसुलिन की भूमिका के बारे में जान लेना आवश्यक है। इंसुलिन एक हार्मोन होता है जो शरीर और उसकी कोशिकाओं में ग्लूकोज को अवशोषित करके उसे ऊर्जा के रूप में उपयोग करने में मदद करता है। जब हम साधारण शुगर या कार्ब्स का सेवन किया जाता है तो ग्लूकोज रक्त प्रवाह में प्रवेश करता है, इंसुलिन कोशिकाओं में इसके अवशोषण में मदद करता है। यही कारण है कि जिन रोगियों में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है, उन्हें इंसुलिन के इंजेक्शन दिए जाते हैं।
शरीर में इंसुलिन संबंधी समस्याओं के संकेत
डॉक्टर बताते हैं, शरीर में इंसुलिन की अपर्याप्तता का इसके लक्षणों के आधार पर पता लगाया जा सकता है। टाइप-2 डायबिटीज जैसे रोगियों में अक्सर इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या हो जाती है। ऐसे रोगियों में ब्लड शुगर के स्तर को बेहतर बनाए रखने के लिए इंसुलिन इंजेक्शन देने की आवश्यकता होती है। शरीर में इंसुलिन की कमी का उसके लक्षणों के आधार पर पता लगाया जा सकता है। इस स्थिति में रोगियों को शरीर में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।
बार-बार प्यास लगना
सामान्य से अधिक बार पेशाब जाना
तेजी से वजन घटाने की समस्या
शरीर में थकावट बनी रहना
घावों का आसानी से न भरना
धुंधला दिखाई देना
1. इंसुलिन के स्तर में सुधार का पहला उपाय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या हो या शरीर में इंसुलिन की कमी के लक्षण नजर आते हों उन्हें नियमित रूप से व्यायाम जरूर करना चाहिए। मधुमेह प्रबंधन के तरीकों को लेकर अध्ययनकर्ताओं की एक टीम ने बताया कि व्यायाम के माध्यम से शरीर में इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इंसुलिन के स्तर में सुधार करने का पहला उपाय है- पर्याप्त नींद लेना है। अध्ययनों से पता चलता है कि रात में अच्छी नींद पूरी न होने से इंसुलिन संवेदनशीलता कम हो सकती है।
इंसुलिन के स्तर में सुधार का दूसरा उपाय
पर्याप्त नींद लेने के अलावा स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार इंसुलिन संवेदनशीलता के लिए तनाव के स्तर को प्रबंधित करना भी आवश्यक होता है। अधिक तनाव के कारण शरीर में कोर्टिसोल और ग्लूकागन हार्मोन का स्राव बढ़ जाता है। समय के साथ यह हार्मोन रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित करते हुए धमनियों को भी नुकसान पहुंचाने लगते हैं। इंसुलिन संवेदनशीलता के जोखिम को कम करने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ डायबिटीज रोगियों को तनाव कम करने वाले उपायों को प्रयोग में लाने की सलाह देते हैं।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। जनता से रिश्ता लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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