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वायु प्रदूषण से हो सकती हैं ये गंभीर बीमारियां, इस तरह करें बचाव

Triveni
7 Nov 2020 8:26 AM GMT
वायु प्रदूषण से हो सकती हैं ये गंभीर बीमारियां, इस तरह  करें बचाव
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सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है। खबरों की मानें तो वर्तमान समय में देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद ख़राब हो गई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है। खबरों की मानें तो वर्तमान समय में देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद ख़राब हो गई है। इससे आम जनजीवन पर बुरा असर पड़ रहा है। लोगों को सांस संबंधी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञ का कहना है कि प्रदूषित वातावरण में रहने से दिल और फेफड़ों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचता है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो वायु प्रदूषण से कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इनमें दिल की बीमारियां, स्ट्रोक, फेफड़ों का कैंसर, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और तीव्र श्वसन संक्रमण प्रमुख हैं। बच्चे Acute Respiratory Infections यानी तीव्र श्वसन संक्रमण के अधिक शिकार होते हैं। आइए वायु प्रदूषण से होने वाली 5 गंभीर बीमारियों के बारे में जानते हैं-

अस्थमा

यह एक श्वसन संबंधी रोग है, जिसमें रोगी को सांस लेने में तकलीफ होती है, सीने में दबाव महसूस होता है और खांसी भी होती है। ऐसा तब होता है, जब व्यक्ति की श्वसन नलियों में अवरोध पैदा होने लगता है। ये रुकावट एलर्जी (हवा अथवा प्रदूषण) और कफ से आती है। कई रोगियों में ऐसा भी देखा गया है कि श्वसन मार्ग में सूजन भी हो जाता है।

लंग कैंसर

स्माल सेल लंग कैंसर (एससीएलसी) कैंसर प्रदूषण और धूम्रपान के कारण होता है। इसका पता तब चलता है, जब एससीएलसी शरीर के विभिन्न हिस्सों में ज्यादा फैल चुका होता है। साथ ही नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (एनएससीएलसी) तीन प्रकार के होते हैं। एडिनोकार्सिनोमा, स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा और लार्ज सेल कार्सिनोमा।

दिल का दौरा

विशेषज्ञ का कहना है कि वायु प्रदूषण से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। जहरीली हवा के महीन कण पीएम 2.5 खून में प्रवेश कर जाते हैं। इससे धमनियाों में सूजन आने लगती है और फिर दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है।

तीव्र श्वसन संक्रमण

श्‍वसन तंत्र का तीव्र संक्रमण रोग से बच्चे को सांस लेने में कठिनाई होती है। इससे सांस लेने में सहायक अंग नाक, गला और फेफड़ें संक्रमित हो जाते हैं। इस बीमारी के बच्चे अधिक शिकार होते हैं। इस बीमारी से 5 वर्ष से कम आयु के बच्‍चों की मृत्‍यु सबसे अधिक होती है।

क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)

क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) सांस संबंधी बीमारी है, जिसमें रोगी को सांस लेने में मुश्किल होती है। यह बेहद खतरनाक होती है। Who की मानें तो सीओपीडी से सबसे अधिक लोग मरते हैं।

ऐसे करें बचाव

मास्क पहनकर बाहर निकलें।

भांप लें।

प्राणायाम करें।

काढा का सेवन करें।


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