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बच्चों को स्कूल भेजते वक्त हो सकते हैं ये सवाल, पैरेंट्स इन बातों रखें खाश ख्याल

Tulsi Rao
5 Sep 2021 10:30 AM GMT
बच्चों को स्कूल भेजते वक्त हो सकते हैं ये सवाल, पैरेंट्स इन बातों रखें खाश ख्याल
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अभिभावक अगर अपने मासूमों को स्कूल भेज रहे हैं, तो हो सकता है उनके मन में कुछ सवाल पैदा हों. मासूमों की सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. इसलिए, कुछ बातों का अभिभावकों को जरूर ख्याल रखना चाहिए.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत के कई राज्यों में स्कूलों को चरणबद्ध तरीकों से खोला जा रहा है. दूसरी लहर को कमजोर होता देख कई राज्यों के स्कूलों में शारीरिक उपस्थिति के साथ पढ़ाई शुरू भी हो गई है. लेकिन, तीसरी लहर की आशंका ने पैरेंट्स को चिंता में डाल दिया है. बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी चिंता चेहरों पर साफ देखी जा सकती है. अभिभावक अगर अपने मासूमों को स्कूल भेज रहे हैं, तो हो सकता है उनके मन में कुछ सवाल पैदा हों. भले ही बच्चों को गंभीर रूप से कोविड-19 का खतरा नहीं है, लेकिन सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. इसलिए, कुछ बातों का उनको जरूर ख्याल रखना चाहिए.

मेरा बच्चा स्कूल में बीमार होने से आशंकित है, क्या करूं?
कोरोना काल के अलावा किसी भी वक्त स्कूल शुरू करना या एक नया स्कूल वर्ष शुरू करना तनावपूर्ण हो सकता है. बच्चे घबरा सकते हैं या स्कूल जाने में आनाकानी कर सकते हैं, विशेषकर अगर उनके लिए घर पर महीनों सीखने की व्यवस्था हो. इसलिए, उनके साथ खुली बातचीत करें कि आखिर उनको क्या चिंता सता रही है और बताएं कि चिंतित होना पूरी तरह से सामान्य है. उनसे शांतिपूर्वक बात करें कि स्कूल में कैसे बदलाव की उम्मीद कर सकते हैं, जैसे मास्क पहनने और दोस्तों और शिक्षकों से सोशल डिस्टेंसिंग बनाने की जरूरत. उन्हें भरोसा दिलाएं कि ये सभी सुरक्षात्मक उपाय छात्रों और शिक्षकों को हेल्दी रखने के लिए लागू किए गए हैं. खुद को हेल्दी रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को भी आप स्पष्ट कर सकते हैं, जैसे हाथों को साबुन और पानी से धोना.
मेरा बच्चा स्कूल जाने लगा है, मुझे क्या ध्यान देना चाहिए
कोरोना वायरस महामारी ने रोजाना की जिंदगी में भारी रुकावट पैदा किया है- और बच्चे इन बदलावों को गंभीरता से महसूस कर रहे हैं. आपका बच्चा स्कूल जाना शुरू करता है, तो आपको उसके शारीरिक स्वास्थ्य, सीखने, भावनाओं और व्यवहार पर नजर रखना चाहिए. तनाव और चिंता के संकेतों पर ध्यान दें कि कहीं आपके बच्चे को आपसे अतिरिक्त समर्थन की जरूरत तो नहीं है. मिसाल के तौर पर, उदासी, गुस्सा, थकान, भ्रम, दूसरे बच्चों के साथ खेलने और अपना होमवर्क पूरा करने में दिलचस्पी का कम होना, पर्याप्त नींद नहीं लेना और खाना, दिलचस्पी या दोस्तों में रुचि का कम होना तनाव और चिंता के संकेत हो सकते हैं. उन्हें याद दिलाएं कि कई बार अति उत्साहित महसूस करना सामान्य है.
लॉकडाउन में स्लीप पैटर्न बदल गया है, कैसे मदद करूं?
अपने बच्चे की स्लीप पैटर्न में बदलाव देख मुझे चिंता है कि स्कूल भेजते वक्त कैसे निपटूंगा. लॉकडाउन के दौरान बच्चे की नींद का पैटर्न और नींद की क्वालिटी में बदलाव आ सकता है. ये स्कूल की रूटीन में वापस आने को मुश्किल बना सकता है. अपने बच्चे को कई दिनों पहले से जगाने के लिए समय निकालें ताकि उनको व्यवस्थित होने में मदद मिले. दिन में बच्चे को झपकी न लेने दें. बिस्तर पर जाने से एक घंटा पहले और जागने के समय स्क्रीन टाइम को नजरअंदाज करें. स्कूल वापस जाने से पहले दिन की शाम को शांत रखने की कोशिश करें


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