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बच्चों के समग्र विकास पर बुरा असर डालती हैं पेरेंट्स की ये गलतियां, बचें इनसे
SANTOSI TANDI
15 Jun 2023 7:27 AM GMT
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बच्चों के समग्र विकास पर बुरा असर डालती
बच्चों की परवरिश करना और उन्हें इसी के साथ जीवन जीने की अच्छी सीख देना पेरेंट्स की जिम्मेदारी होती हैं। बच्चे का आतमविश्वास बढ़ाने या कम करने में भी पैरेंटिंग अहम भूमिका निभाती है। हर पैरेंट्स का बच्चों की परवरिश करने का तरीका अलग होता है। माता-पिता अपने बच्चों के लिए बेस्ट करना चाहते हैं लेकिन कोई भी परफेक्ट नहीं होता है। इस चक्कर में कई बार पेरेंट्स कुछ सामान्य सी गलतियां कर बैठते हैं। हालांकि ये बहुत ही छोटी गलतियां होती हैं लेकिन इनका बच्चे के समग्र विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। अगर आप भी पैरेंट हैं तो यहां जान सकते हैं कि आपको किन गलतियों को करने से बचना चाहिए। आइये जानें इनके बारे में...
हर वक्त बच्चे के आसपास रहना
कुछ पैरेंट्स जब देखो अपने बच्चे के चारों ओर उनके साये की तरह मंडराते रहते हैं। पेरेंट्स अपने बच्चे के प्रति ओवर प्रोटेक्टिव होने लगते हैं और बच्चे से हर वक्त क्यूं, क्या जैसा सवाल पूछते रहते हैं। पैरेंट्स की इस हरकत के वजह से बच्चा चिड़चिड़ा होने लगता है और साथ ही झूठ बोलने को भी मजबूर हो जाता है। इसके अलावा कई बच्चे फैसला लेने में, सही गलत में समझ रखने में या फिर अकेले कहीं जाने से घबराने लगते हैं। बच्चे का हर फैसला उसके माता-पिता के लेने से वह अंदर से खोखला होने लगता है। साथ ही बच्चे के निर्णय लेने की क्षमता भी घट जाती है।
बोलने का मौका ना देना
कई पैरेंट्स ऐसे होते हैं जो बस अपना फरमान सुना देते हैं और बच्चे से उम्मीद करते हैं कि वो उनकी बात को माने। जब बच्चा अपनी बात कहने या अपनी स्थिति को समझाने की कोशिश करता है, तो उसे छोटा कह कर चुप करवा दिया जाता है। इससे बच्चे को लग सकता है कि उसकी बात का कोई महत्व ही नहीं है। यह आपके बच्चे के कॉन्फिडेंस को गिरा सकता है।
बच्चों को घर के काम न सिखाना
आजकल पैरेंट्स समझते हैं कि बच्चों के लिए सिर्फ पढ़ाई ही जरूरी है। पैरेंट्स का पूरा ध्यान इस बात पर लगा होता है कि बच्चा स्कूल में अच्छे नंबर लाए और टॉप करे जबकि स्कूल में अच्छे नंबरों से बच्चों की जिंदगी की गुणवत्ता बेहतर नहीं होती है। बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ घर के छोटे-मोटे काम सिखाना भी बहुत जरूरी है। इससे उनका अच्छा विकास होता है। बच्चों को बचपन से ही उनके कमरों की साफ-सफाई करना, छोटे छोटे कपड़े धोना, रसोई में मां का हाथ बंटाना, बाजार से जरूरत के सामान लाना, बुजुर्गों की मदद करना सिखाना बहुत जरूरी है। घर से जुड़ाव के लिए इन आदतों का होना बहुत जरूरी है।
पैसों की कीमत ना बताना
कुछ पैरेंट्स बच्चों से पैसों को लेकर बात ही नहीं करते हैं। सच में इन बच्चों को लगने लगता है कि पैसे पेड़ पर उगते हैं। बच्चों को पैसों की कीमत के बारे में बताना चाहिए। उन्हें बताएं कि आप कितनी मेहनत से पैसे कमाते हैं और उन्हें सोच-समझकर खर्च करना चाहिए।
बच्चे की तुलना करना
यह सबसे आम पेरेंटिंग गलतियों में से एक है, जहां लगभग हर माता-पिता अपने बच्चे की तुलना पडोंसी, रिश्तेदार या फिर बच्चे के ही किसी दोस्त से करतो हैं। ऐसा करते समय पेरेंट्स यह कि बच्चे की इस प्रकार कमियां गिनाने और हर समय दूसरों से तुलना करने से उसके स्वाभिमान पर असर डाल पड़ सकता है। इसके अलावा इससे वह खुद को नालायक, नाकार या फिर अक्षम महसूस करवा सकती है। तुलना करने के बजाय, आप अपने बच्चे की उपलब्धियों की उसकी अच्छाईंयों के साथ बच्चे को समझाएं और उसके गलत काम पे सुधारने की कोशिश करें।
इमोशन कंट्रोल करना
जब बच्चा किसी बात से दुखी है तो उसे जबरदस्ती हंसने को ना कहें। कुछ मां बाप बिना सोचे समझे डांटना फटकारना शुरू कर देते हैं। उन्हें कुछ ऐसी बातें बोल जाते हैं कि आगे चलकर वह अपनी भावनाएं दबाना शुरू कर देते हैं। जो कम उम्र में उन्हें डिप्रेशन का शिकार बना सकती हैं। कई बार बच्चे गलत आदतें भी पकड़ लेते हैं इससे उबरने के लिए। तो आगे से बच्चे को कुछ भी कहने सुनने से पहले विचार जरूर करें।
बच्चे की अधिक प्रशंसा
बच्चे की सफलता और अच्छे कामों के लिए उसकी प्रंशसा या तारीफ करना सही है लेकिन बच्चे की गलती को छिपाना और उसे बढ़ावा देना गलत है। पेरेंट्स की बच्चों को ओवरप्रेट करने की आदत बच्चों में सही और गलत की उचित समझ से दूर कर, हमेशा खुद को सही मानने की आदत डाल सकती है। बच्चे की उतनी ही प्रशंसा करें जितना जरूरी है। ज्यादा बोलने से कई बार बच्चे ओवर कॉन्फिडेंट हो जाते हैं।
बच्चों पर चिल्लाना
यदि आपको लगता है कि आपके चिल्लाने से आपका बच्चा डर जाएगा या फिर आपको उसे अनुशासित करने में मदद मिलेगी, तो आप बिलकुल गलत हैं। आपकी यह आदत या तो आपके बच्चे को ढीठ बना देगी या फिर आपका ऐसा करने से आपके बच्चे में तनाव व चिंता का खतरा बढ़ सकता है और उसके समग्र विकास को प्रभावित कर सकता है। ऐसे बच्चे बड़े होकर दूसरों के प्रति आक्रामक हो सकते हैं।
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