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सुनने की क्षमता में कमी सिर्फ बुढ़ापे में ही नहीं आती बल्कि ये किसी भी उम्र में आ सकती है
आज बहरापन सबसे ज्यादा होने वाली इंद्रिय संबंधी प्रॉब्लम है। अगर कोई व्यक्ति 70 डेसिबल से ज्यादा की आवाज को अपने दोनों कानों से न सुन पाए, तो इसका मतलब वह हियरिंग लॉस का शिकार है। लंबे समय तक तेज म्यूजिक सुनने या किसी इंफेक्शन के कारण सुनने की शक्ति कम या बिल्कुल खत्म ही हो जाती है। लेकिन हियरिंग लॉस की और भी कई वजहें हैं, जिसके बारे में यहां जानेंगे।
हियरिंग लॉस की वजह
सुनने की क्षमता में कमी सिर्फ बुढ़ापे में ही नहीं आती बल्कि ये किसी भी उम्र में आ सकती है और हर उम्र के लिए इसके कारण अलग-अलग हो सकते हैं। हियरिंग लॉस की 3 बेसिक कैटेगरी होती हैं-
- सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस
- कंडक्टिव हियरिंग लॉस
- मिक्स्ड हियरिंग लॉस
इनर इयर में कोई डैमेज
बढ़ती उम्र और तेज आवाज का एक्सपोजर ब्रेन तक साउंड सिग्नल पहुंचाने वाले कॉक्लिया के नर्व सेल्स को डैमेज कर देते हैं। जब ये सेल्स इलेक्ट्रिक सिगनल्स को सही तरह से ब्रेन तक ट्रांसमिट नहीं कर पाते, तो हियरिंग लॉस होने लगता है। उम्र के साथ इनर इयर की संरचना में कोई बदलाव आने पर भी हियरिंग लॉस का खतरा बना रहता है।
इयर वैक्स का जमाव
इयर वैक्स का बिल्डअप इयर कैनाल को बंद कर देता है, जिससे साउंड वेव्स इनर इयर तक नहीं पहुंच पाती। इयर वैक्स को साफ कर देने से ये प्रॉब्लम दूर हो जाती है। इयर वैक्स को साफ करने के लिए इयर बड का इस्तेमाल कानों के लिए नुकसानदेह होता है, इससे वैक्स अंदर की ओर जमा हो जाता है, जिससे सुनने में तकलीफ होती है।
इयर ड्रम का फटना
बहुत तेज आवाज, हवा के दवाब में अचानक बदलाव, इयर ड्रम को किसी चीज से खुरचने या किसी इंफेक्शन की वजह से भी कान के पर्दे में छेद हो सकता है। इससे सुनने की क्षमता प्रभावित होती है।
आनुवंशिक वजह
कई बार कुछ लोगों में जेनेटिक कारणों से सुनने की क्षमता में कमी आने लगती है।
दवा और कोई रोग
एंटीबायोटिक, जेंटामाइसिन, वियाग्रा और कीमोथेरैपी की कुछ दवाएं इनर इयर को नुकसान पहुंचाती हैं। एस्पिरिन की हाई डोज, कुछ पेनकिलर्स या एंटी मलेरियल दवाएं भी अस्थायी रूप से सुनने की क्षमता को बाधित करती हैं।
मेनिंजाइटिस, मीजल्स, मम्प्स जैसे इंफेक्शन्स भी कॉक्लिया को डैमेज कर सकते हैं, जिससे हियरिंग लॉस होने का जोखिम बढ़ जाता है।
सुनने की क्षमता बरकरार रखने के लिए ध्यान रखें ये बातें
क्या करें
- तेज आवाज वाली जगह पर काम करते समय कानों को इयर प्रोटेक्टर से बचाएं।
- जिससे बातचीत कर रहे हैं, उसके सामने इस तरह रहें, जिससे चेहरे के भाव दिखें।
- लोगों से अपनी बात धीरे-धीरे दोहराने के लिए कहें।
- तेज आवाज से यथासंभव बचें।
- कोई दिक्कत होने पर प्रोफेशनल्स की मदद लें।
क्या नहीं करें
- कानों में कोई तेल या पानी ना डालें।
- लगातार और बार-बार बहुत तेज म्यूजिक न सुनें।
- कान साफ करने के लिए इयरबड का इस्तेमाल ना करें।
- सुनने में तकलीफ हो, तो कोई भी दवा अपने मन से ना लें।
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Apurva Srivastav
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