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लिवर की ये बीमारियां काफी गंभीर है समय पर पहचान और इलाज जरूरी
HARRY
25 April 2023 5:17 PM GMT
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अंग के खास देखभाल की जरूरत होती है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क |
हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Wed, 19 Apr 2023 10:27 AM IST
सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। रक्त में मौजूद अधिकांश रसायनों की मात्रा को नियंत्रित करने के साथ अपशिष्ट उत्पादों को शरीर से बाहर निकालने में इस अंग की विशेष भूमिका होती है। पेट और आंतों से निकलने वाला सारा खून लिवर से होकर ही गुजरता है। लिवर पित्त का भी उत्पाद करता है जो भोजन के पाचन के लिए अति-महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि सभी लोगों को इस अंग के खास देखभाल की जरूरत होती है। लिवर की बढ़ती की बीमारियों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 19 अप्रैल को वर्ल्ड लिवर डे मनाया जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, लाइफस्टाइल और आहार की गड़बड़ी के कारण शरीर के इस महत्वपूर्ण अंग को बहुत क्षति पहुंची है। पिछले एक-दो दशकों में लिवर से संबंधित कई गंभीर रोगों के मामले तेजी से बढ़ते हुए देखे गए हैं। आश्चर्यजनक रूप से कम उम्र के लोग भी इसके शिकार देखे जा रहे हैं।
आंकड़ों के मुताबिक लिवर से संबंधित तमाम बीमारियों के कारण वैश्विक स्तर पर हर साल 13 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। आइए लिवर की ऐसी ही कुछ गंभीर बीमारियों के बारे में जानते हैं।
फैटी लिवर डिजीज
फैटी लिवर डिजीज, इस अंग में अतिरिक्त फैट्स के जमा होने के कारण होने वाली एक सामान्य स्थिति है। अधिकांश लोगों में इसके कोई लक्षण नहीं होते हैं और यह उनके लिए गंभीर समस्याएं भी पैदा नहीं करता है। हालांकि कुछ मामलों में, यह लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है। नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज इसी का एक प्रकार है जिसके मामले काफी तेजी से बढ़े हैं, यह समस्या उन लोगों को भी हो सकती है जो शराब का सेवन नहीं करते हैं।
अच्छी खबर यह है कि, आप जीवनशैली में बदलाव के साथ फैटी लिवर की बीमारी की रोकथाम और इसे ठीक भी कर सकते हैं।
दिल्ली के सीके बिरला अस्पताल के एडवांस सर्जिकल साइंस और ओंको-सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. अमित जावेद बताते हैं कि नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज जीवनशैली से संबंधित समस्या है, जो दुनियाभर में लगभग 30 फीसदी आबादी को प्रभावित करती है। भारत की सामान्य आबादी में इसका प्रसार 40 प्रतिशत तक है। साथ ही दिल्ली जैसे शहरों में मामले बढ़ सकते हैं।
भारत में नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज का मुख्य कारण निष्क्रिय जीवन शैली और उच्च कैलोरी भोजन का सेवन है। मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और डिस्लिपिडेमिया NAFLD के लिए मुख्य जोखिम कारक हैं।
लिवर में संक्रमण की समस्या
लिवर में संक्रमण की समस्या भी काफी सामान्य है। हेपेटाइटिस वायरस के कारण लिवर में संक्रमण के मामले सबसे अधिक देखे जाते रहे हैं। हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, जैसे संक्रमण लिवर के लिए गंभीर समस्याओं का कारण बनते हैं। इसके अलावा दूषित भोजन या पानी के कारण भी लिवर में संक्रमण होने का जोखिम रहता है। संक्रमण पर ध्यान न देना या फिर इसे अनुपचारित छोड़ देना लिवर डैमेज का भी कारण बन सकता है।
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