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हर पैरेंट्स की अपने बच्चों को लेकर शिकायत रहती है और वो कहते हैं कि उनका बच्चा खाना नहीं खाता, पढ़ाई नहीं करता या बहुत ज्यादा बदमाशी करता है.
हर पैरेंट्स की अपने बच्चों को लेकर शिकायत रहती है और वो कहते हैं कि उनका बच्चा खाना नहीं खाता, पढ़ाई नहीं करता या बहुत ज्यादा बदमाशी करता है. आजकल के बिजी शेड्यूल में बच्चों को संभालना आसान नहीं है और ऐसे में पैरेंटस ऐसी गलती कर देते हैं, जो बच्चे बच्चे के भविष्य पर असर डाल सकती हैं. तो चलिए आपको कुछ ऐसी गलतियों के बारे में बताते हैं, जिन्हें आपको तुरंत बदल देना चाहिए.
मोबाइल और इंटरनेट के दौर में आजकल ज्यादातर पैरेंट्स ऐसी गलती करते हैं और बच्चों को बाहर ग्राउंड में जाकर खेलने की बजाय स्मार्टफोन, टैबलेट या लैपटॉप में गेम खेलने देते हैं. ऐसे में ज्यादा समय तक स्क्रीन का इस्तेमाल करने से बच्चों की आंखों पर बुरा असर पड़ता है. इसके साथ ही बच्चों के शारीरिक और मेंटल हेल्थ भी खराब होती है.
बच्चों की हर जिद को पूरा करना भी भविष्य के लिए खतरनाक हो सकता है. आजकल के समय में पैरेंट्स अपनी एनर्जी और टाइम बचाने के लिए बच्चों की हर जिद पूरा कर देते हैं. ऐसे में बच्चों को अपनी भावनाओं पर काबू पाने की टेक्निक नहीं आती है और वे सही-गलत के अलावा के बीच अंतर नहीं कर पाते हैं.
अक्सर देखा जाता है कि बच्चे की गलती पर पैरेंट्स उन्हें डांटने लगते हैं. ऐसा करने से बच्चे के अंदर डर बैठ जाता है और वह पैरेंट्स से बातें छुपाने लगता है. बच्चों को हर बात पर डांटने के बजाय उन्हें समझाने का प्रयास करना चाहिए. पैरेंट्स के गुस्से की वजह से वजह भी गुस्सैल प्रवृति के हो जाते हैं.
बच्चों को लेकर पैरेंट्स सबसे बड़ी गलती होती है कि वे उनकी तुलना दूसरे बच्चों से करते हैं. ऐसा करने से बचना चाहिए, क्योंकि सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते और हर किसी में कोई अच्छाई या कोई बुराई होती है. लगातार तुलना करने से बच्चों के मन पर आघात पहुंचता है.
बच्चों को समझाने के लिए उन्हें फोर्स करने के बजाय कोई आसान नियम बना दें.जैसे- अगर आपका बच्चा जंक फूड का शौकीन है और आप ये आदत बदलना चाहते हैं तो इसके लिए जरूरी है कि आप खुद भी जंक फूड का सेवन ना करें और इसके लिए एक नियम बना दें कि जंक फूड हफ्ते या 10 दिन में 1 बार खाएंगे.
अक्सर पैरेंटस यह गलती करते हैं कि वे अपने बच्चों को लेकर सारा फैसला खुद लेते हैं. ऐसा करने के बजाय आप कुछ फैसले बच्चों को भी लेने की आजादी दें. इससे बच्चों में सोचने-समझने का विकास होगा और उनकी क्रिएटिविटी में भी निखार आएगा.
Tagsबच्चों
Ritisha Jaiswal
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