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कोरोना संक्रमितों में ये फंगस कई प्रकार से बाधा डाल रहे हैं, भारत में अब तक दर्ज किए गए ऐसे 11,000 मामले

Nilmani Pal
29 May 2021 1:14 PM GMT
कोरोना संक्रमितों में ये फंगस कई प्रकार से बाधा डाल रहे हैं, भारत में अब तक  दर्ज किए गए ऐसे 11,000 मामले
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कई स्टडीज ने ब्लैक फंगस या म्यूकोर्मिकोसिस के फैलने के संभावित वजह को अंडरलाइन्ड किया है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने पूरे देश में तबाही मचा रखी है. आए दिन किसी न किसी की मौत की खबरें सुर्खियों में रहती हैं. हालांकि, अब धीरे-धीरे इसके केसेज में थोड़ी कमी आई है जिससे लोगों ने राहत की सांस ली है.


जब से देश में COVID-19 की दूसरी लहर आई है, तब से COVID-19 की वजह से होने वाले नए लक्षण और बीमारी के बारे में बताया जा रहा है. हाल ही में, डॉक्टरों ने संक्रमित रोगियों में कई नई बीमारियों की खोज की, जैसे कि ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस. ये फंगस रोगी की स्थिति में बाधा डाल रहे हैं और स्थिति को और खराब कर रहे हैं. अब तक, भारत ने उन लोगों में ब्लैक फंगस के तकरीबन 11,000 मामले दर्ज किए हैं जो या तो ठीक हो रहे हैं या कोरोनावायरस से ठीक हो गए हैं.

तब से, कई स्टडीज ने ब्लैक फंगस या म्यूकोर्मिकोसिस के फैलने के संभावित वजह को अंडरलाइन्ड किया है, जैसे कि लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना, स्टेरॉयड का बहुत ज्यादा इस्तेमाल और डायबिटीज जैसी साथ की बीमारियां. अब एक नई बहस चल रही है कि क्या COVID-19 रोगियों को ऑक्सीजन की अनहाइजेनिक डिलीवरी ब्लैक फंगस के प्रसार के पीछे एक संभावित वजह हो सकती है.

क्या इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन म्यूकोर्मिकोसिस की वजह बन सकती है?

मुंबई के डॉक्टरों के मुताबिक, इस फंगस के फैलने की एक वजह इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन का इस्तेमाल भी हो सकता है, क्योंकि इंडस्ट्रियल और मेडिकल ऑक्सीजन के प्रोडक्शन में अंतर होता है.

COVID-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी की वजह से डॉक्टरों को इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन का सहारा लेना पड़ा. इस बीमारी के फैलने के पीछे एक वजह ये भी है.

मेडिकल ऑक्सीजन और इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन में क्या अंतर है?

जब मेडिकल ऑक्सीजन का प्रोडक्शन होता है तो ये कई फिल्टर से होकर गुजरती है, और सभी फंगस को दूर रखने के लिए कई उपाय किए जाते हैं. हालांकि, इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन के निर्माण में ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाता है.

Mucormycosis के प्रकोप के अन्य कारक

– इस प्रकोप की एक और वजह हो सकती है, वैन और ट्रक में ले जाने पर इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन के रिसाव का खतरा. ये ट्रांसपोर्टेशन सिलेंडर की हाइजीन को जन्म दे सकता है.

– साथ ही, ह्यूमिडिफायर में इस्तेमाल होने वाला non-sterile पानी, बिना कीटाणुरहित इक्यूपमेंट और नॉन-मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडर भी प्रसार में भूमिका निभाते हैं.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक इस्तेमाल होने वाले ऑक्सीजन मास्क और कैनुला को फेंक देना चाहिए.


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