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ये हैं बच्चों की परवरिश से जुड़े 5 कड़वे सच, जिन्हे पेरेंट्स यकीन नहीं कर पते

Om Prakash
20 Feb 2024 5:35 PM GMT
ये हैं बच्चों की परवरिश से जुड़े 5 कड़वे सच, जिन्हे पेरेंट्स यकीन नहीं कर पते
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बच्चे को अच्छी परवरिश देना कोई आसान काम नहीं है। इस बात से ज्यादातर सभी पेरेंट्स सहमत नजर आते हैं। माता-पिता को बच्चे को पालते समय हर समय बेहद सावधान रहना पड़ता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार बच्चा छोटा होने की वजह से खुद को अपने पैरेंट्स की नजरों से देखने की कोशिश करता है। पेरेंट्स के एक्सप्रेशन, शब्‍द और काम बच्‍चे के आत्‍मविश्‍वास को काफी हद तक प्रभावित करते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं पेरेंटिंग से जुड़े 5 कड़वे सच, जिन पर कई बार पेरेंट्स को यकीन करना मुश्किल होता है।
बच्चों की बातों को ना करें अनसुना- अक्सर पेरेंट्स व्यस्त रहने या समय की कमी होने की वजह से बच्चों को अपना पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं। जिसकी वजह से बच्चों को ज्यादातर समय अपने दिल की बात माता-पिता से शेयर करने का मौका नहीं मिल पाता है। ऐसे में बच्चों के लिए अपने बिजी शेड्यूल में से थोड़ा सा समय निकालकर उनकी बातें गौर से जरूर सुनें। अगर आज आप उनकी बातें सुनने के लिए समय नहीं निकालेंगे तो कल बड़े होने पर वो आपके साथ अपनी लाइफ की बड़े इश्यू भी शेयर करने से बचेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके लिए बचपन से ही उनकी हर बात बड़ी थी, जिसे सुनने के लिए आपके पास कभी समय नहीं था।
बुरे समय में बच्चों के साथ प्यार से आएं पेश- बच्चा हो या बड़ा,अच्छा-बुरा दौर हर व्यक्ति की लाइफ में आता है। ऐसे में पेरेंट्स होने के नाते आप अपने बच्चे के हर टफ समय में उसके साथ प्यार से पेश आएं। फिर चाहे वो समय उसके गुस्से, अकेलेपन, संघर्ष या बुरे दौर का ही क्यों ना हो। यह वह समय होता है जब व्यक्ति को अपने लोगों के प्यार की खास जरूरत महसूस होती है।
सजा देना- बच्चे की गलती सुधारने के लिए उसे हर बार सजा देना किसी भी तरह से ठीक नहीं है। आपका ऐसा करना उसे ढीठ बना सकता है।
बच्चों पर ना डालें जिम्मेदारियों का बोझ- कुछ पेरेंट्स अपने अधूरे सपने अपने बच्चों के जरिए पूरा करने के ख्वाब देखते हैं। ऐसा ना करें, बच्चों पर पेरेंट्स को खुश करने का बोझ नहीं डाला जाना चाहिए और न ही माता-पिता को दुखी या क्रोधित करने के लिए उन्हें दोषी ठहराया जाना चाहिए। पेरेंट्स कैसा महसूस कर रहे हैं, इसके लिए बच्चे नहीं आप खुद जिम्मेदार होते हैं।
इस बात का रखें ध्यान- पेरेंट्स के लिए जीवन आसान बनाना छोटे बच्चे की जिम्मेदारी नहीं है लेकिन बच्चे के लिए जीवन आसान बनाना पेरेंट्स की जिम्मेदारी जरूर है। ऐसे में हर समय अपनी इच्छाओं का बोझ बच्चे पर ना लादें।
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