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ये हैं ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े 10 बड़े झूठ ,महिलाएं मान लेती हैं सच
Tara Tandi
23 May 2023 12:08 PM GMT
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ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाला एक बीमारी है। इतना ही नहीं ये सबसे घातक और जानलेवा बीमारियों में से एक है। हालांकि आजकल के जमाने में पुरूष भी इस बीमारी के जद में आते जा रहे हैं, मगर महिलाएं बहुत जल्द ही इसकी गिरफ्त में आती हैं। बताया जाता है कि इस बीमारी के होने का सबसे बड़ा कारण जानकारी का अभाव है। इसकी पूरी जानकारी अगर हो तो समय रहते इसका इलाज कर जान बचाई जा सकती है। हालांकि इस बीमारी से जुड़े मिथ भी काफी सुनने को मिलते हैं, जो बिल्कुल गलत हैं। तो आज हम इस आर्टिकल में ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े कुछ मिथ के बारे में बताने वाले हैं।
दरअसल ब्रेस्ट कैंसर को लेकर कई मिथ ऐसे हैं, जो आज भी महिलाओं के दिमाग में कैद हैं। आइये जानते हैं, आखिर वो मिथ क्या क्या हैं…
मिथ : गांठ का मतलब स्तन कैंसर
ये एक सबसे बड़ा मिथ है, जो लोगों के दिमाग में बस गया है। बता दें कि स्तन में बने हर गांठ का मतल स्तन कैंसर नहीं होता है। अगर आपको गांठ जैसा कुछ महसूस होता है तो आपको डॉक्टर से इसका इलाज जरूर करवाना चाहिए ताकि सही कारण का पता लग सके। मेडिकल शोध ये बताते हैं कि स्तन में गांठ के सिर्फ 10 प्रतिशत मामले ही ऐसे हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर की ओर इशारा करते हैं। इसके अलावा ज्यादातर मामले फैट और सिस्ट के होते हैं।
मिथ : अंडरवायर ब्रा से कैंसर का खतरा
कई महिलाओं को ये लगता है कि अंडरवायर ब्रा कैरी करने से स्तन कैंसर होता है। आपको बता दें कि ये पूरी तरह से मिथ है। अंडरवायर ब्रा पहनना पूरी तरह से सुरक्षित है, इससे ब्रेस्ट कैंसर जैसा कोई खतरा नहीं होता है।
मिथ : डियोड्रेंट लगाने से भी होगा कैंसर
कुछ लड़कियों को ये भी लगता है कि डियोड्रेंट के प्रयोग से भी स्तन कैंसर होता है। जबकि शोध बताते हैं कि डियोड्रेंट और स्तन कैंसर का आपस में कोई संबंध नहीं है। डियोड्रेंट से स्तन कैंसर का कोई खतरा नहीं रहता है।
मिथ : बड़े स्तनों का मतलब ब्रेस्ट कैंसर
कई लोग ये भी मानते हैं कि जिन महिलाओं के स्तन के साइज बड़े होते हैं, उन्हें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है। जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं हैं। अगर ऐसा होता तो पुरूषों को स्तन कैंसर की कोई समस्या ही नहीं होती। यानी स्तन के आकारों का ब्रेस्ट कैंसर से कोई लेना-देना नहीं है।
मिथ : परिवार में स्तन कैंसर नहीं, मतलब ‘मैं सुरक्षित हूं’
कई लोग ब्रेस्ट कैंसर को जेनेटिक मान बैठते हैं। हालांकि ये बात सच है कि 80 प्रतिशत मामले जेनेटिक ही होते हैं, मगर ऐसा भी नहीं है कि अगर आपके परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर नहीं है तो आप पूरी तरह से सुरक्षित है। बता दें कि ये बीमारी खराब लाइफस्टाइल और खान-पान से जुड़ी हुई है।
मिथ : स्तन कैंसर का इलाज संभव है
इस बीमारी का इलाज तभी संभव है, जब इसका पता समय से चल जाए। यानी अगर फर्स्ट स्टेज पर इस बीमारी का पता चल जाता है तो इलाज संभव है। वहीं अगर ये बीमारी दूसरे या तीसरे स्टेज पर पहुंच जाता है तो इसका इलाज असंभव हो जाता है।
मिथ : स्तन कैंसर संक्रामक बीमारी है।
ज्यादातर महिलाओं के दिमाग में ये मिथ है कि ब्रेस्ट कैंसर एक से दूसरे से फैलता है, जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। ब्रेस्ट कैंसर की समस्या तब होती है, जब स्तनों में कैंसर की कोशिकाओं की अनियमित वृद्धि होने लगती है। यह संक्रामक बिल्कुल भी नहीं है।
मिथ : पुरुषों को नहीं होता ब्रेस्ट कैंसर
अगर आप ये सोचते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर सिर्फ महिलाओं को होता है तो आप गलत सोच रहे हैं। ये बीमारी महिला या पुरूष के आधार पर नहीं बल्कि खराब लाइफ स्टाइल की वजह से होती है। आजकल पुरूषों में भी ये बीमारी देखने को मिल रही है।
मिथ : मेनोपॉज के बाद नहीं होगा कैंसर
ऐसा नहीं है कि मेनोपॉज के बाद कैंसर का खतरा नहीं रहता है। बल्कि इसके बाद ज्यादा खतरा होता है क्योंकि इस दौरान शरीर में फैट जमा हो जाता है। लिहाजा आपको अपनी लाइफस्टाइल में खास ध्यान देने की आवश्यकता है।
मिथ : स्तन निकाल देने से बीमारी पूरी तरह दूर हो जाती है।
ब्रेस्ट कंजर्वेशन सर्जरी द्वारा कैंसर प्रभावित हिस्से को हटाना सुरक्षित होता है, मगर इसके लिए पूरे ब्रेस्ट को रिमूव करने की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि गांठ अगर बढ़ जाए तो पूरे स्तन को रिमूव करने की जरूरत पड़ सकती है।
मिथ : ब्रेस्ट ट्रांस्प्लांट से बढ़ता है कैंसर का जोखिम
कई लोग ये सोचते हैं कि ब्रेस्ट ट्रांसप्लांट से कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है, मगर ये बात पूरी तरह से सच नहीं है। हालांकि इस वजह से महिलाओं को दोबारा मेमोग्राफी या फॉलोअप जांच करवानी पड़ सकती है।
Tara Tandi
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