- Home
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- दीपावली मनाने के पीछे...
x
कठोपनिषद में यम नचिकेता प्रसंग के अनुसार नचिकेता ने यमराज से जन्म मरण का रहस्य जाना। एक धारणा के अनुसार जिस दिन नचिकेता आत्मा की अनश्वरता का ज्ञान लेकर पृथ्वी लोक वापस लौटे तब भूलोक वासियों ने घी के दीये जलाए। उस दिन कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली के रूप में मनाया गया। मान्यता है इसी दिन मां लक्ष्मी जी का भी समुद्र मंथन से आविर्भाव हुआ। जब दैत्यराज बलि ने अपने परम तपस्वी गुरु शुक्राचार्य के सहयोग से देवराज इंद्र को परास्त कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया, तब भगवान विष्णु जी वामन अवतार धारण कर राजा बलि द्वारा आयोजित किए जा रहे यज्ञ में पहुंचे। बलि ने वामन भगवान से इच्छानुसार दान मांगने का आग्रह किया। तब ब्राह्मण का रूप धर कर आए वामन भगवान ने संकल्प लेने के बाद बलि से तीन पग भूमि मांगी। संकल्पबद्ध बलि का आग्रह पूर्ण करने के लिए भगवान वामन ने पहले पग में समस्त भू मंडल तथा दूसरे पग में त्रिलोकी को नाप दिया। तीसरे पग में बलि ने स्वयं को भगवान के समर्पित कर दिया। बलि के भक्तिभाव तथा दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान ने उसे सतुल लोक का स्वामी बना दिया। तब देवताओं तथा समस्त भूलोक वासियों ने भगवान का आभार व्यक्त करने के लिए दीपमाला की। इसी दिन मां दुर्गा जी ने असुरों का विनाश करने के लिए महाकाली का रूप धारण किया था। जब भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को 'नरकासुर' का वध किया तो उससे अगले दिन कार्तिक मास की अमावस्या को लोगों ने इस हर्ष में अपने घरों में दीप जलाकर दीपावली का त्यौहार मनाया।
Rani Sahu
Next Story