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स्तन कैंसर के रोगियों के लिए ये 4 योगासन, जल्द ठीक होने में कर सकते हैं मदद

Admin4
2 Jun 2021 2:09 PM GMT
स्तन कैंसर के रोगियों के लिए ये 4 योगासन, जल्द ठीक होने में कर सकते हैं मदद
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एलोपैथिक उपचार के साथ योग स्तन कैंसर से लड़ने में मदद कर सकता है. ये चिंता और तनाव को भी दूर करने में मदद करता है. ब्रेस्ट कैंसर रिकवरी में मदद कर सकते हैं ये 4 योगासन.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एक रिपोर्ट के अनुसार स्तन कैंसर दुनिया भर में कैंसर की घटनाओं की संख्या का लगभग 11.6% है. औसतन 2.1 मिलियन लोग मुख्य रूप से महिलाएं सालाना स्तन कैंसर से पीड़ित होती हैं. भारत में कैंसर के मामलों में लगभग एक तिहाई मामले स्तन कैंसर के होते हैं. हाल ही में 20 से 30 वर्ष की आयु की महिलाओं में स्तन कैंसर के मामलों में वृद्धि हुई है. इसके लिए कोविड-19 को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, लेकिन बदलते बर्थ पैटर्न और हार्मोनल असंतुलन से भी महिलाओं में स्तन कैंसर हो सकता है.

एलोपैथिक उपचार के साथ, योग आपको जल्दी ठीक होने में मदद कर सकता है. योग के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं जैसे कि इम्युनिटी को बढ़ाना, सभी अंगों की कार्य प्रणाली में सुधार करना और स्वस्थ वजन बनाए रखना. योग चिंता और तनाव को दूर करने में भी मदद करता है. यह आपको कैंसर से लड़ने में भी मदद कर सकता है.
अश्वसंचलन योगासन
अपने पैरों को आपस में मिलाकर खड़े हो और अपने कंधों को रिलैक्स रखें. अब अपने दाहिने पैर के साथ पीछे हटें और दाहिने घुटने को नीचे करें. ये सुनिश्चित करें की पीठ सीधी हो फिर आपका बायां घुटना और एड़ी 90° पर एक सीधी रेखा में हो. अपनी हथेलियों को जोड़े और आगे देखें, अब पैरों को बदलते हुए दोहराएं
शलबासन
हथेलियों को कंधों के नीचे रखकर पेट के बल लेट जाएं. अपने पैरों को एक साथ और पैर की उंगलियों को बाहर की ओर रखें. सांस लेते हुए दाहिना हाथ ऊपर उठाएं और बायां पैर पीछे करें. अपना सिर और छाती ऊपर उठाते हुए, अपने हांथ और पैर को सीधा रखें. सांस छोड़ते हुए अपने धड़ को नीचे लाएं और दूसरी तरफ से दोहराएं. 10-15 सेकंड के लिए इस मुद्रा में रहें.
वशिष्ठासन
सबसे पहले योगा मैट पर दंडासन की मुद्रा में बैठें. अब अपने दाएं हाथ की हथेली को जमीन पर रखें. फिर अपने शरीर का वजन दायीं हथेली और दाएं पैर पर डालें. इसके बाद बाएं पैर को दाएं पैर पर रखें और अपने बाएं हाथ को ऊपर की ओर सीधा रखें. अपना ध्यान बाएं हाथ की उंगलियों पर केंद्रित करें. 10-15 सेकंड के लिए इस मुद्रा में रहें, सांस छोड़ें और दूसरी तरफ से दोहराएं.
त्रियका भुजंगासन (ट्विस्टेड कोबरा पोज)
हथेलियों को कंधों के नीचे रखकर पेट के बल लेट जाएं. अपने पैरों को लगभग 2 फीट की दूरी पर अलग अलग रखें, अब अपना सिर उठाते हुए सांस लें, अपनी बाई एड़ी से अपने दाहिने कंधे को देखें, और अपने धड़ को नीचे लाते हुए सांस छोड़ें, दूसरी तरफ से दोहराएं.


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