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ये 4 तरीके कर सकते हैं मदद कोरोना संग जीना सीख रहे लोग
कोरोना संक्रमण का असर कम होने के बाद लोग पुरानी जिंदगी में लौटने तो लगे हैं मगर अधिकांश लोगों को भीड़ वाली जगहों पर जाने में घबराहट महसूस हो रही है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कोरोना संक्रमण का असर कम होने के बाद लोग पुरानी जिंदगी में लौटने तो लगे हैं मगर अधिकांश लोगों को भीड़ वाली जगहों पर जाने में घबराहट महसूस हो रही है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि सफर करते हुए या सहकर्मियों संग बैठकर चाय पीते हुए लोग अभी पहले जितना सहज महसूस नहीं करते। लंबे वक्त तक तालाबंदी में रहने के कारण वे कोरोना संग जीने के तरीकों को लेकर चिंतित हैं।
ब्रिटिश मनोवैज्ञानिकों ने इस तरह की घबराहट अथवा चिंता को री-एंट्री एंग्जायटी का नाम दिया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना संग जीना सीख रहे अधिकांश लोगों को री-एंग्जायटी का सामना करना पड़ रहा है।
49% लोग घबराहट से पीड़ित
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन का कहना है कि महामारी से पहले वाली जिंदगी में लौटने को लेकर करीब 49 प्रतिशत लोग घबराहट महसूस कर रहे हैं। गौरतलब है कि महामारी से निपटने के लिए अब सरकारें पहले की तरह तालाबंदी नहीं लगा रहीं, बल्कि उन्होंने अधिकांश प्रतिबंध हटाकर अर्थव्यवस्था को खोल दिया है। अधिकांश देशों की सरकारों का कहना है कि बचाव के तरीकों का पालन करते हुए लोग अब कोरोना संग जीना सीखें।
पेट दर्द और उल्टी जैसे लक्षण अहम
ब्रिटेन की एक पंजीकृत मनोवैज्ञानिक और नैदानिक मनोचिकित्सक नूशा अंजब का कहना है कि सामान्य जिंदगी में पुन: प्रवेश को लेकर होने वाली घबराहट कई खतरनाक परिणाम भी ला सकती है। इसके लक्षण तेजी से सांस लेना या धड़कन तेज हो जाना, पेट में दर्द, उल्टी और दस्त होना है। इस स्थिति को हल्के में लेना हानिकारक हो सकता है
ये चार तरीके मददगार-
साझा करें : आप बाहर निकलने पर किस तरह का महसूस कर रहे हैं, इस उलझन के बारे में अपने परिवार या दोस्तों को बताएं। अपने अंदर के बदलावों को साझा करने में शर्माने की जरूरत नहीं क्योंकि बहुत लोग इससे जूझ रहे हैं।
व्यायाम करें : मनोवैज्ञानिक नूशा कहती हैं कि पुन: प्रवेश से जुड़ी घबराहट को दूर करने में व्यायाम सबसे सहायक है क्योंकि यह तनाव के लिए जिम्मेदार एडरेनालाइन और कॉर्टिसोल हार्मोन को नष्ट कर देता है।
डॉक्टरी मदद : इस तरह की घबराहट आपको मानसिक रूप से कमजोर बना सकती है जो आपकी आंतरिक और बाहरी दुनिया को प्रभावित कर सकता है। अगर आप उस स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं तो तुरंत मनोवैज्ञानिक सलाह लें।
श्वास पर ध्यान : घबराहट को दूर करने में श्वसन क्रिया भी मददगार है। दरअसल जब हम सही से सांस नहीं लेते तो हमारे फेफड़ों के सबसे निचले हिस्से को ऑक्सीजन युक्त हवा पूरी नहीं मिलती, साथ ही इससे फोकस बढ़ता है।
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