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दिमाग के लिए अच्छी नहीं हैं ये 4 चार आदतें, आज ही बदल दें
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | किसीभी व्यक्ति के शरीर में दिमाग का होना कितना जरूरी है, यह शायद बताने की जरूरत नहीं है। हम जब भी कोई फैसला लेते हैं या किसी नतीजे पर पहुंचते हैं, तो उसमें दिमाग की अहम भूमिका होती है। वैसे तो समय के साथ-साथ शरीर का विकास भी होता रहता है, लेकिन दिमाग ऐसी चीज है, जिसका विकास शरीर के साथ नहीं होता है। अगर हम स्कूल-कॉलेज न जाएं या कहीं से किसी तरह का ज्ञान हासिल न करें, तो दिमाग उसी अवस्था में रह जाता है, जैसे किसी छोटे बच्चे का होता है। इसलिए मस्तिष्क का विकास जरूरी है। हालांकि आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग कुछ ऐसी आदतें अपना लेते हैं, जो मस्तिष्क पर बुरा असर डालती हैं। इसलिए जरूरी है कि उन खराब आदतों को बदल दें और अच्छी आदतें अपनाएं, जो दिमाग के लिए अच्छी हों। आइए जानते हैं उन आदतों के बारे में, जो दिमाग के लिए बिल्कुल भी अच्छी नहीं हैं।
नींद से जुड़ी आदतें बदलें
कई लोगों की यह आदत होती है वे या तो ज्यादा सोते हैं या कम, जबकि ये दोनों ही खराब आदतें हैं। शरीर को स्वस्थ रखने और दिमाग सही तरीके से काम करे, इसके लिए जरूरी है कि भरपूर मात्रा में नींद लें। विशेषज्ञ कहते हैं कि एक व्यस्क के लिए सात से आठ घंटे की नींद पर्याप्त है।
अधिक मात्रा में शुगर न लें
हमारा खाना भी सीधे मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर लंबे समय तक अधिक मात्रा में शुगर का सेवन किया जाए तो यह मस्तिष्क के विकास को धीमा कर देता है। साथ ही यह स्वास्थ्य संबंधी और भी कई तरह की समस्याएं पैदा कर देता है, जिसका असर भी दिमाग पर ही पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि यह आदत अभी से बदल दें।
सुबह नाश्ता न करना हो सकता है हानिकारक
सुबह का नाश्ता दिनभर फ्रेश रहने के लिए जरूरी होता है। हालांकि कई लोगों की यह आदत होती है कि वे या तो सुबह में नाश्ता करते ही नहीं या करना भूल जाते हैं। ऐसे में यह सिर्फ शरीर के लिए ही नहीं बल्कि दिमाग के लिए भी हानिकारक हो सकता है।
तनाव से दूर रहें
हमेशा तनाव में रहना शरीर के साथ-साथ मस्तिष्क को भी नुकसान पहुंचाता है। तनाव के कारण लोगों को भूलने की समस्या भी हो जाती है। इसलिए जितना हो सके खुद को व्यस्त रखें, संगीत सुनें, योग करें। इससे तनाव से दूर रहने में मदद मिलती है और दिमाग तेज होता है।
नोट: डॉ. संजीव सूरी बेहद योग्य और अनुभवी न्यूरोलॉजिस्ट हैं। इन्होंने दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय से 1984 में एमबीबीएस और 1988 में एमएस (जनरल सर्जन) की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद इन्होंने गुजरात यूनिवर्सिटी से एमसीएच (न्यूरो सर्जन) पूरा किया। यह भारत के न्यूरोलॉजिकल सोसायटी के सदस्य भी हैं। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में न्यूरोसर्जरी यूनिट में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर और एसजीपीजीआई लखनऊ में न्यूरोसर्जरी यूनिट में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर के रूप में भी काम किया है। न्यूरोलॉजिस्ट के रूप में इनकी मिर्गी उपचार, स्ट्रोक, सिरदर्द प्रबंधन, डिमेंशिया, उच्च रक्तचाप, माइग्रेन उपचार, पक्षाघात, स्पॉन्डिलोसिस, सिर का चक्कर, आंदोलन विकार और एनईआरवी में विशेषता है।
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