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टीनएजर्स में बढ़ते गुस्से के हो सकते हैं ये 3 कारण

Bharti sahu
13 Aug 2022 10:24 AM GMT
टीनएजर्स में बढ़ते गुस्से के हो सकते हैं ये 3 कारण
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गुस्सा आना एक नॉर्मल ह्यूमन टेंडेंसी है, लेकिन हद से ज्यादा गुस्सा आना इंसान को हिंसक भी बना सकता है.

गुस्सा आना एक नॉर्मल ह्यूमन टेंडेंसी है, लेकिन हद से ज्यादा गुस्सा आना इंसान को हिंसक भी बना सकता है. खासकर युवा पीढ़ी आजकल जल्दी गुस्सा करने लगती है. यही नहीं, टीनएजर्स की बात करें तो टीनएजर्स छोटी-छोटी सी बातों में बहुत ही जल्द हाइपर हो जाते हैं, मसलन गुस्सा इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि वह हिंसा पर उतारू हो जाते हैं. कई बार गुस्से का कारण मनपसंद जवाब ना मिलना भी हो सकता है, पर क्या कभी आपने यह जानने की कोशिश की है कि आखिर उम्र बढ़ने के साथ ही बच्चों में इतना गुस्सा क्यों बढ़ने लगता है? चलिए पहले जानते हैं कि गुस्सा आने के कारण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है.

कोई घटना
मॉमजंक्शन के मुताबिक, बच्चे के साथ हुई कोई ऐसी घटना, जिसने उसके दिल पर गहरा असर छोड़ा हो और बच्चा उससे तनावग्रस्त हो गया हो. यहां तक कि कभी-कभी परिवारिक झगड़े भी बच्चे के गुस्से का कारण हो सकते हैं.
एब्यूज
फिजिकल या सेक्सुअल एब्यूज बच्चों में गुस्से का कारण हो सकता है, जिसकी वजह से बच्चों में गुस्सा, शर्मिंदगी जैसी फीलिंग होने के कारण फ्रस्ट्रेशन होने लगती है.
मेंटल डिसऑर्डर्स
कुछ बच्चों में अधिक गुस्से की वजह कुछ मेंटल डिसऑर्डर्स जैसे बाइपोलर डिसऑर्डर, पैनिक डिसऑर्डर शिजोफ्रेनिया, डिप्रेशन, पीटीएसडी जैसी वजहें भी हो सकती हैं.
कंपटीशन की भावना
आए दिन की प्रतियोगिताओं के चलते बच्चों में पढ़ाई का प्रेशर बनाना और बिना बच्चे से पूछे उसे भविष्य के लिए कोचिंग सेंटर या हॉस्टल भेजना भी कहीं ना कहीं बच्चों को उग्र बनाता है.
हार्मोनल बदलाव
हार्मोनल बदलाव होने से बच्चों में चिड़चिड़ापन आने लगता है, साथ ही हार्मोनल चेंजमेंट से शरीर और दिमाग पर इसका काफी असर पड़ता है और बच्चों को यह लगने लगता है कि अब वह बड़े हो गए हैं और उन्हें अपने फैसले लेने का राइट मिल गया है .
सॉल्यूशन क्या है?
बच्चे से बात करें
पैरेंट्स को सबसे पहले अपने बच्चे के बदलते स्वभाव के बारे में पता करना चाहिए. बच्चों को डांटकर न रखें. बच्चों के बीच पैरेंट्स को फ्रेंडली वातावरण बनाकर रखना चाहिए.
मेडिकेशन
अगर बच्चे के साथ मेंटल डिसऑर्डर जैसी कोई समस्या है तो उसका मेडिकेशन या कंसल्टेशन से गुस्सा शांत करने की कोशिश करें.
बिहेविरल कॉन्ट्रैक्ट्स
पैरेंट्स अपने बच्चों का मन पढ़ने की कोशिश करें. उनके मन में चल क्या रहा है, उसे जानने की कोशिश करें और उन्हें प्रॉपर समय दें, क्योंकि आपका समय ही बच्चों के स्वभाव में सॉफ्टनेस ला सकता है.


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