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दिल की बीमारियों में है फर्क, जानिए किस बीमारी से है कितना खतरा

Tulsi Rao
4 Jun 2022 10:51 AM GMT
दिल की बीमारियों में है फर्क, जानिए किस बीमारी से है कितना खतरा
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Heart Disease: हाल में फेमस बॉलीवुड सिंगर कृष्णकुमार कुन्नथ (KK) का निधन हार्ट अटैक के कारण हो गया, जिसके बाद उनके करोड़ों चाहने वाले सदमे में हैं. पिछले कुछ वक्त से कई सेलिब्रटीज दिल की बीमारियों की वजह से हमारे बीच नहीं रहे. हार्ट डिजीज अक्सर जानलेवा साबित होता है, इसलिए इसके खतरे को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

दिल की बीमारियों में है फर्क
जब भी दिल की बीमारियों की बात की जाती है हम अक्सर हार्ट अटैक (Heart Attack), दिल की धड़कन रुकना (Heart Failure) और कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) के बारे में सुनते हैं, ये अलग-अलग है या फिर इसे एक ही डिजीज समझा जाए. तो आपको बता दें कि ये सुनने में भले ही एक जैसे लगते हों लेकिन ये एक बीमारी नहीं है. आइए इस अंतर को डिटेल से समझने की कोशिश करते हैं.
1. हार्ट अटैक (Heart Attack)
हार्ट अटैक को मायोकार्डियल इन्फ्रैक्शन (Myocardial infarction) भी कहा जाता है ऐसी स्थिति तब आती है जब कोरोनरी आर्टरी में एकाएक ब्लॉकेज पैदा हो जाता है. इस धमनी की मदद से दिल में खून पहुंचता है, हार्ट अटैक आने पर दिल के अंदर मौजूद कुछ मसल्स अचानक काम करना बंद कर देते हैं. इस परेशानी को दूर करने के लिए कई तरह के इलाज किए जाते हैं जिनमें एंजियोप्लास्टी, स्टंटिंग और बाइपास सर्जरी शामिल हैं.
2. हार्ट फेलियोर (Heart Failure)
हार्ट फेलियोर तब होता है जब दिल के मसल्स बॉडी की जरूरत के हिसाब से काम करने के लिए पर्याप्त बल्ड पंप नहीं कर पाते. जब दिल कमजोर होने लगता है तब ऐसी स्थिति आती है. आमतौर पर कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease), हाई ब्लड प्रेशर या कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) जैसे परेशानियों की वजह से हार्ट फेल होने लगता है.
3. कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest)
कार्डियक अरेस्ट की स्थित तब आती है जब हृदय के भीतर वेंट्रीकुलर फाइब्रिलेशन पैदा होने लगे यानी दिल में अंदर अगल-अलग हिस्सों में कॉम्यूनिकेशन गैप पैदा होने लगता है. इससे दिल की धड़कनों पर बुरा असर पड़ता है, और अगर परेशानी हद से ज्यादा गुजर जाए तो धड़कनें रुक जाती हैं और इंसान की मौत हो जाती है. इसके मरीजों को सीपीआर दिया जाता है जिससे सांस लेने की दिक्कतें दूर हो जाए. कई बार रोगियों के 'डिफाइब्रिलेटर' से बिजली का झटका दिया जाता है.


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