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जब घर के अंदर एक शिशु का जन्म होता है तो घर परिवार के लोगों के चेहरे खुशी से खिल उठते हैं और हर कोई शिशु की देखभाल में लग जाता है। उसके लिए दूध पीने के समय से लेकर उसके खिलौने, कपड़े और यहां तक कि उसके बिस्तर तक का ख्याल रखा जाता है। वैसे देखा जाए तो शिशु का ध्यान रखने के लिए दादी-नानी के घरेलू तरीके भी मौजूदा समय में लोग आजमाते हैं।
शिशु की देखभाल में बहुत सी सावधानी बरतनी आवश्यक होती है। ऐसे में हम आपको सरसों यानी राई का तकिया के बारे में बताने वाले हैं। शिशु के लिए सरसों के बीज से बने हुए तकिए बहुत फायदेमंद होते हैं। डिलीवरी के समय शिशु के पूरे शरीर में से सिर सबसे मुलायम होता है और इसे आसानी से मोल्ड किया जा सकता है।
कई बार जन्म नलिका से गुजरने पर बच्चे के सिर की शेप बिगड़ जाती है। इस काम में सरसों का तकिया आपकी सहायता करेगा। जी हां, इस घरेलू नुस्खे की सहायता से आप अपने बच्चे के सिर को सही आकार या शेप दे सकती हैं। आज हम आपको शिशु के लिए सरसों का तकिया क्यों जरूरी है, इसके फायदे और घर पर इसे कैसे बनाएं, इसके बारे में बताने वाले हैं।
जानिए राई (सरसों) का तकिया कैसा होता है?
राई का तकिया शिशु को बहुत सी समस्याओं से बचाता है। राई के तकिए में कपड़े या फोम की बजाय विशुद्ध सरसों के दाने भरे जाते हैं। यह तकिया शिशु को सिरहाना देता है और यह मुलायम होता है, जो शिशु के सिर को आराम पहुंचाता है। सरसों से बने हुए तकिये का आप बच्चे के जन्म से लेकर उसके 8 से 10 महीने होने तक प्रयोग कर सकती हैं। इसके बाद आप बच्चे को सामान्य तकिये की आदत डलवा दें।
जानिए इसके फायदे…
चपटा नहीं होगा सिर
राई के तकिए का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे शिशु का सिर कभी भी एक तरफ से चपटा नहीं होता है क्योंकि तकिए के अंदर सरसों भरी होने की वजह से बच्चे के सिर के मुताबिक तकिया अपना आकार बदल देता है, जिससे बच्चे के सिर को आराम मिलता है और वह अपना सिर जिस तरह घुमाता है यह तकिया वैसे ही आकार में हो जाता है।
आरामदायक होता है
सरसों का तकिया शिशु के लिए आरामदायक होता है। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि कई बार इस शिशु एक तरफ सिर करके ही सो जाते हैं, जिसकी वजह से सिर की उसी तरफ दबाव अधिक पड़ता है क्योंकि नवजात शिशु के सिर की हड्डी बहुत मुलायम होती है। सरसों का तकिया नरम होता है जिससे उन्हें आराम भी मिल सकता है और शिशु अच्छी नींद सोता है।
सर्दी खांसी से बचाने में मददगार
छोटे बच्चे को सर्दी-खांसी की समस्या अधिक रहती है क्योंकि छोटे बच्चे का श्वसन तंत्र बहुत कमजोर होता है, जिसके कारण सर्दी-खांसी का बहुत डर रहता है। ऐसी स्थिति में आप राई का तकिया प्रयोग कर सकती हैं। इससे सर्दी-खांसी की समस्या नहीं होगी क्योंकि सरसों कक बीज बहुत गर्म होता है जो बच्चे के सिर को गर्म रखने का कार्य करता है।
हड्डियों पर नहीं पड़ता दबाव
अगर शिशु के सिर के नीचे कोई कठोर तकिया रख दिया जाए तो इसकी वजह से शिशु के सिर की एक तरफ अधिक दबाव पड़ने लगता है, जिसकी वजह से सिर की हड्डी पर भी दबाव बढ़ जाता है। ऐसे में शिशु को परेशानी हो सकती है, इसीलिए सरसों का तकिया शिशु के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसका प्रयोग करने से शिशु के सिर की हड्डी पर दबाव नहीं पड़ेगा। जिससे बच्चे के सिर या गर्दन के मुड़ने का खतरा नहीं होता है।
जानिए सरसों का तकिया बनाने का तरीका
अगर आप अपने शिशु के लिए सरसों का तकिया बनाने जा रही हैं तो इसके लिए जरूरी सामग्री एकत्रित कर लें। आप आधा किलो सरसों को धोकर धुप में अच्छी तरह से सुखा लें और 1 मीटर या बच्चे के सिर को देखते हुए उसी आकार का मलमल या सैटिन का कपड़ा ले लीजिए।
आपने तकिया बनाने के लिए जिस कपड़े को लिया है, आप उसे सबसे पहले गर्म पानी में अच्छी तरह से धोकर सुखा लीजिए, इससे कपड़े में मौजूद बैक्टीरिया नष्ट हो जाएंगे। अगर नरमी के लिहाज से देखा जाए तो सैटिन का कपड़ा बहुत बेहतर माना जाता है।
अब इसके बाद आपको इस कपड़े को तकिए का आकार देना होगा और उसी के अनुसार माफ कर कपड़े को काट लीजिए। ध्यान रहे कि आप कपड़ा काटने के लिए फीते का इस्तेमाल जरूर कर लीजिए ताकि आपका तकिया छोटा या बड़ा ना हो जाए।
अब आपको कपड़े को तीन तरफ से सील लेना होगा। ध्यान रहे कि आपको सिलाई बारिक करनी होगी ताकि सरसों के दाने बाहर ना निकलें।
जब आप कपड़े को सिल लें तो इसके बाद आप उसमें सरसों डाल दें। सरसों के तकिए के आकार से लगभग आधी सरसों आपको डालनी होगी इससे शिशु के सिर को हीलने-डुलने का भरपूर स्थान मिल जाएगा।
आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि तकिए के खुले हिस्से को भी बारिक सिलाई से बंद कर लें। इसके बाद आप अपने मनपसंद के रंग का कवर तकिया पर चढ़ा सकती हैं और कवर को समय-समय पर निकालकर धोना ना भूलें।
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