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सिंघाड़े में छुपा है सेहत का राज़!

Kajal Dubey
4 May 2023 12:39 PM GMT
सिंघाड़े में छुपा है सेहत का राज़!
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पानी की सतह पर फैली लंबी लताओं से पैदा होनेवाला सिंघाड़ा, हमारी सेहत के लिए एक बढ़िया प्राकृतिक फल है. सिर पर दो सींग यानी दो कांटे होने की वजह से इसे संस्कृत में शृंगाटक कहा जाता है. पानी में पैदा होने के कारण कई जगहों पर इसे पानी फल के नाम से भी जाना जाता है. इस फल की उपज ख़ासतौर से सर्दियों में होती है. इसे कच्चा, उबाल कर या फिर सब्ज़ी बनाकर खानपान में शामिल कर सकते हैं. सिंघाड़े को छीलकर उसकी गिरी को सुखाकर आटा तैयार किया जाता है, जिसे व्रत में इस्तेमाल करते हैं. चीनी खानपान में भी इसका बढ़े स्तर पर इस्तेमाल होता है.
सिंघाड़े की पैदावार तालाबों और छोटे-छोटे जलाशयों में होती है. सिंघाड़े के पौधों को बरसात से पहले जलस्रोतों के अंदर कीचड़ में रोप दिया जाता है. बरसात के समय इस पौधे की बेलें पानी की सहत पर फैलती हैं और फिर उनमें फूल और फल लगते हैं. पूरे भारत में मुख्य रूप से सिंघाड़े की खेती, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और गुजरात में की जाती है.
यह विटामिन ए, मैंगनीज़, थाइमिन, कार्बोहाइड्रेट, टैनिन, सिट्रिक एसिड, राइबोफ़्लोविन, प्रोटीन के अलावा कई और पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इसे डायबिटीज़ से पीड़ित लोग भी बिना किसी हिचक के खा सकते हैं. यह शुगर कंट्रोल करने का काम करता है.
सिंघाड़ा पाचनक्रिया को सुधारता है. यह अस्थमा के मरीजों के लिए भी फ़ायदेमंद है. कैल्शियम की भरपूर मात्रा होने के कारण इसके सेवन से हड्डियों व दांतों को मज़बूती मिलती है. इसमें मौजूद विटामिन ए आंखों की सेहत संवारने का काम करता है. सिंघाड़े के सेवन से हमें ऊर्जा मिलती है और इस वजह से व्रत में भी इसे खाने की सलाह दी जाती है. इसमें आयोडिन की भी कुछ मात्रा होती है, जिससे गले से संबंधित परेशानियों से निजात पाने में मदद मिलती है. कच्चे सिंघाड़े का सेवन बवासीर की समस्या से राहत दिलाता है.
सिंघाड़े की तासीर ठंडी होती है, जिसकी वजह से जॉन्डिस में डॉक्टर इसे खाने की सलाह देते है. गर्भवती महिलाओं के लिए भी सिंघाड़ा फ़ायदेमंद होता है. इसे खाने से गर्भपात की संभावना कम होती है. पीरियड्स की समस्याएं को ठीक करने में भी यह कारगर साबित है.
पानी की अधिक मात्रा होने के कारण सर्दियों में यह आपकी त्वचा को हाइड्रेटेड रखने का काम करता है. बालों के झड़ने का एक कारण होता है पित्तदोष का असंतुलित हो जाना. सिंघाड़े का सेवन इसे संतुलित करता है, जिससे बालों के झड़ने पर भी थोड़ी रोक लगती है. इसमें पोटैशियम,ज़िंक और विटामिन बी जैसे पोषक तत्व पाए जाते है, जो बालों की सेहत और विकास में सहायक होते हैं. इतने सारे फ़ायदे होने के बाद अगर आप सिंघाड़े को अपनी डायट में नहीं शामिल करते हैं, तो यह उसके साथ नाइंसाफ़ी तो होगी ही पर आपकी सेहत के साथ भी हो जाएगी. इसलिए ज़रूर खाएं.
गाजर ढेर सारे पोषकतत्वों से भरा है. स्वाद में मीठे इस जमीकंद को आप कच्चा खा सकते हैं, उससे जूस बना सकते हैं, सूप भी बना सकते हैं और उससे बना हलवा तो शायद ही किसी को नापसंद हो. गाजर का इस्तेमाल लगभग सभी देश के खानपान में किसी ना किसी रूप में किया जाता है. गाजर स्वाद ही नहीं सेहत के लिहाज से भी बहुत काम का है. इसमें फ़ाइबर, पोटैशियम, विटामिन ए, बी1, बी2, बी3, ई, के, मैगनीज़, बायोटिन, फ़ॉस्फोरस, फ़ॉलेट, आयरन और कई तरह के ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स की भरपूर मात्रा होती है. इसमें कैलोरी की मात्रा भी बहुत कम होती है, जिससे यह वज़न कम करने में मददगार होता है.
गाजर कैरोटिनॉयड और डायटरी फ़ाइबर जैसे बायोऐक्टिव कंपाउंड से भी समृद्ध होता है. फ़ाइबर पाचन तंत्र मज़बूत बनाता है और शरीर को डीटॉक्स करने का काम करता है, वहीं कैरोटिनॉयड दिल संबंधित समस्याओं के लिए फ़ायदेमंद है. गाजर के सेवन से गठिया, पीलिया और अपच से छुटकारा पाया जा सकता है. गाजर के जूस से मेटाबॉलिज़्म भी बढ़ता है व इम्यूनिटी सिस्टम और हड्डियों को मज़बूती मिलती है.
गाजर में मौजूद पोटैशियम ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखता है. इसमें मौजूद आयरन ख़ून की कमी नहीं होने देता है. विटामिन ई से समृद्ध गाजर नया ख़ून बनने में मदद करता है. गाजर में बीटा-कैरोटीन भी होता है, जो पीरियड्स के दौरान हैवी फ़्लो को कम करने में मदद करता है और मोतियाबिंदु से आंखों की रक्षा करता है. गाजर में भरपूर मात्रा में विटामिन ए भी होता है, जो आंखों की रौशनी बढ़ाने का काम करता है.
दिल को सेहतमंद बनाने में भी गाजर अपना पूरा सहयोग देता है. इसमें बीटा-कैरोटीन, अल्फ़ा-कैरोटीन और लुटेइन जैसे ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स पाए जाते हैं, जो कोलेस्टेरॉल लेवल बढ़ने नहीं देते हैं, जिससे हार्टअटैक का ख़तरा कम हो जाता है. दिल की कमजोरी और हार्ट बीट बढ़ने पर गाजर को भूनकर खाने से फ़ायदा मिलता है.
गाजर में फ़ॉलेट भी पाया जाता है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए एक ज़रूर पोषण है. गर्भावस्था के समय फ़ॉलेट की आवश्यकता पूरी होने पर बच्चे को ट्यूब डिफ़ेक्ट की आशंका कम हो जाती है, जिसकी कमी की वजह से बच्चे की रीढ़ व मस्तिष्क का विकास ठीक से नहीं हो पता है. गाजर में पाए जानेवाले ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम करने के साथ ही ऐंटी-एजिंग प्रॉपर्टी की तरह काम करते हैं.
गाजर की तासीर गर्म होती है. अधिक मात्रा में इसका सेवन से आपको एसिडिटी और त्वचा संबंधित समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करें. छोटे बच्चों को भी अधिक ना खाने दें.
चलिए हम आपको गाजर का जूस बनाने की विधि भी बता देते हैं-
सामग्री
2 गाजर
1 आंवला
आधा टमाटर
थोड़ी-सी हरी धनिया
एक चुटकी काली मिर्च पाउडर
सेंधा नमक
विधि
गाजर को अच्छी तरह से धोकर टुकड़ों में काट लें.
सभी सामग्रियों को ग्राइंडर में डालें और एक ग्लास पानी मिलाकर अच्छी तरह से पीसें.
इसके बाद छान लें और पिएं.
आप सिर्फ़ गाजर का भी जूस बना सकते हैं.
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