- Home
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- बारिश शुरू हो जाती है,...

बारिश के मौसम में होने वाली रोंगों से बचने के लिए जहां खान-पान का खास ख्याल रखना पड़ता है, वहीं योग से भी आपको काफी लाभ हो सकता है. जानकारों के अनुसार बारिश प्रारम्भ होते ही रोंगों का सिलसिला प्रारम्भ हो जाता है. ऐसे में यदि आप योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें तो यह मानसून में होने वाली रोंगों से बचने का कारगर तरीका साबित हो सकता है. आइये इस विषय के बारे में विस्तार से जानते हैं.
योग से बीमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
अक्सर जब भी बारिश होती है तो मौसम ठंडा हो जाता है और लोग बीमार पड़ने लगते हैं। ऐसे में यदि आप बरसात के मौसम में होने वाले संक्रमण से बचना चाहते हैं तो आपको कुछ खास बातों का ख्याल रखना होगा. यदि आप ऐसे समय में उन योग आसनों का सहारा लेते हैं, जो इम्यूनिटी पर असर डालते हैं तो यह आपके लिए काफी लाभ वाला हो सकता है. दरअसल, बीमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले ऐसे यौगिक आसन शरीर को अत्यधिक फायदा पहुंचाते हैं. यदि आप अपनी बीमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए कुछ योगासन आजमाना चाहते हैं तो भुजंगासन (कोबरा पोज), मत्स्यासन (फिश पोज) और सर्वांगासन (शोल्डर स्टैंड) विशेष योग आसन हैं, जिनके नियमित अभ्यास से आप अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत करने और थाइमस ग्रंथि को बढ़ावा देने में सफल हो सकते हैं.
योग से ऊर्जा बढ़ाएँ
मानसून के दौरान अक्सर लोगों को ऊर्जा की कमी महसूस होती है. वास्तव में, जब भी आप मानसून के दौरान थकान महसूस करते हैं, तो आप दैनिक आधार पर वीरभद्रासन (योद्धा मुद्रा), अधोमुख शवासन (डाउनवर्ड-फेसिंग डॉग), सेतु बंधासन (ब्रिज पोज) और सूर्य नमस्ते (सूर्य नमस्कार) का अभ्यास कर सकते हैं. इन्हें नियमित रूप से करने से न केवल आपकी ताकत बढ़ेगी, बल्कि आपका रक्त प्रवाह भी चुस्त-दुरुस्त हो जाएगा.
प्राणायाम फायदेमंद रहेगा
विशेषज्ञों का बोलना है कि मानसून के मौसम में प्राणायाम के नियमित अभ्यास से भी आप कई फायदा प्राप्त कर सकते हैं. वास्तव में, यदि आप आरामदायक और आरामदेह वातावरण में नियमित रूप से प्राणायाम करते हैं, तो यह आपके पूरे शरीर के स्वास्थ्य को फायदा पहुंचाता है. प्राणायाम के लाभों को दोगुना करने के लिए आदमी को गहरी, धीमी सांसों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
अनुलोम-विलोम देगा ऊर्जा
अनुलोम-विलोम भी एक बेहतरीन यौगिक क्रिया है, जिसके नियमित अभ्यास से आप अपने ऊर्जा चैनलों को संतुलित और सही कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त यह आपके फेफड़ों की क्षमता को भी बढ़ाने का काम करता है. अनुलोम-विलोम आपकी श्वसन क्षमता यानी सांस लेने की क्षमता को मजबूत बनाता है.
