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लाइफ स्टाइल
गर्भ में ही विकसित होने लगती है बच्चे की पर्सनैलिटी, आइये आगे जाने
Tara Tandi
4 May 2023 11:26 AM GMT
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पारंपरिक मान्यताओं की माने तो शिशु का धार्मिक और मानसिक विकास मां के गर्भ से ही शुरू हो जाता है। एक तरह से बच्चे की पर्सनैलिटी गर्भ से ही विकसित होने लगती है। विज्ञान भी इस बात को मानता है। कुछ अध्ययनों में ये बात भी सामने आई कि शिशु के 50 फीसदी ब्रेन का विकास मां के गर्भ के अंदर ही हो जाता है। भारतीय संस्कति में भी यही सलाह दी जाती है कि गर्भ से ही शिशु को अच्छी शिक्षा देना शुरू कर देना चाहिए।
महाभारत में तो अर्जुन का बेटा अभिमन्यु मां के गर्भ में ही युद्ध की नीतियां सीखने लगा था। इस प्रक्रिया को गर्भ संस्कार भी कहा जाता है। इस दौरान शिशु को सकारात्मक और मूल्यवान बातें सिखाई जाती है। गर्भ संस्कार की यह प्रक्रिया आप गर्भधारण के पहले से शुरू कर सकते हैं। इसके बाद यह गर्भावस्था के दौरान एवं स्तनपान के समय तक चलती रहती है। आमतौर पर बच्चे के दो वर्ष के हो जाने तक पेरेंट्स उसका गर्भ संस्कार करते हैं। चलिए अब इसे करने का तरीका जानते हैं।
आध्यात्मिक किताबें
गर्भ में जब शिशु 7 महीने का हो जाता है तो मां की आवाज सुनने लगता है। ऐसे में आप उसे धार्मिक और आध्यात्मिक किताबें पढ़कर सुना सकती हैं। इससे उसके अंदर सकारात्मक विचार और भावनाएं पनपने लगेंगी। वहीं इन किताबों को पढ़ने से मां का मन भी शांत रहेगा। इस दौरान आप डरावनी फिल्में देखने से बचे।
संगीत
साइंटिफिक रिसर्च में भी यह बात साबित हो चुकी है कि गर्भ के समय यदि मां संगीत सुनती है तो बच्चा स्मार्ट बनता है। इसके अलावा संगीत सुनने से मां रिलैक्स महसूस करती है और उसे किसी प्रकार का तनाव नहीं होता है। ऐसे में आप गर्भावस्था में गायत्री मंत्र, हनुमान चालीसा और अन्य भजन सुन सकती हैं।
योग और ध्यान
गर्भावस्था में महिला को योग और मेडिटेशन जैसी चीजें जरूर करना चाहिए। इससे मां के अंदर सकारात्मक विचार आते हैं। उसका तनाव कम होता है। इतना ही नहीं उसे नॉर्मल डिलीवरी करने में भी मदद मिलती है। वहीं इससे बच्चा शारीरिक, भावनात्मक एवं आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ पैदा होता है।
घी
आयुर्वेद ये सलाह देता है कि मां को गर्भ के चौथे महीने से लेकर नौवें महीने तक गाय का घी खान चाहिए। इससे शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास अच्छा होता है। इसके अलावा इससे भ्रूण में जन्मजात समस्याएं न के बराबर आती है। वहीं नॉर्मल डिलीवरी के चांस भी बढ़ जाते हैं।
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