लाइफ स्टाइल

Painting: चित्रकला परंपरा की अनूठी मिसाल है

Kavita2
22 Jun 2024 1:01 PM GMT
Painting: चित्रकला परंपरा की अनूठी मिसाल है
x
Painting: भारत अपनी समृद्ध संस्कृति के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। बात चाहे, इमारतों की हो या कलाकृतियों की, भारतीय पटल पर इनके ऐसे अनूठे नमूने देखने को मिल जाएंगे, जिन्हें आप देखेंगे, तो उनसे नजरें हटाना मुश्किल हो जाएगा। यहां के हर एक राज्य में ऐसी कई कलाएं देखने को मिलती हैं, जिनकी खूबसूरत की मिसाल देना नामुमकिन है। भारत की इन्हीं अनोखी कलाकृतियों का एक बेहद शानदार उदाहरण है, बिहार के मधुबनी जिले की मधुबनी चित्रकला, जिसे अंग्रेजी में मधुबनी पेंटिंग कहा जाता है।
मधुबनी जिला मैथिली संस्कृति का केंद्र रहा है। मिथिलांचल क्षेत्र में इस चित्रकला की शुरुआत हुई थी, इसलिए मधुबनी चित्रकला को मिथिला चित्रकला या मिथिला पेंटिंग के नाम से भी जाना जाता है। एक छोटे से जिले से शुरू होकर आज पूरे विश्व पटल पर मधुबनी पेंटिंग अपनी धाक जमा चुका है। आक्रामकों के हमले, लूट-पाट और गुलामी से लड़ते-लड़ते भारत की कलाओं ने अपना दम तोड़ दिया। लेकिन लघुकालिक होते हुए भी मधुबनी चित्रकला ने न केवल मिथिलांचल के इतिहास को खुद में संजोकर रखा, बल्कि उसे पूरी दुनिया में अमर कर दिया है। इस विश्व प्रसिद्ध चित्रकला को आपने देखा तो जरूर होगा, लेकिन इसका उद्गम कैसे हुआ और कैसे इसने दुनियाभर में ख्याति कमाई, इस बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। आइए जानते हैं, मधुबनी चित्रकला की कहानी।
कब हुई मधुबनी चित्रकला की शुरुआत? When did Madhubani painting begin?
ऐसा माना जाता है कि मधुबनी चित्रकला की शुरुआत रामायण काल में हुई थी। जनकपुर के राजा जनक, जो देवी सीता के पिता थे, उन्होंने राम और सीता विवाह के अद्भुत क्षणों को तस्वीरों में कैद करने के लिए इस चित्रकला को बनाने का आदेश दिया था। वहां की महिलाओं ने दीवारों और जमीन पर इस चित्रकला की शुरुआत की थी और राम-सीता विवाह के कई मनमोहक दृश्य इस चित्रकला के जरिए बनाए गए थे और इस तरह हुआ था मधुबनी या मिथिला चित्रकला का उद्भव। इसके बाद से इस क्षेत्र की महिलाओं ने इस चित्रकला को उत्सव और त्योहारों पर अपने घर की भीत यानी दीवार और जमीन पर बनाना शुरू कर दिया। यह शादी, मुंडन, पूजा आदि जैसे हर शुभ अवसर पर बनाया जाने लगा। यह सिर्फ मधुबन तक ही नहीं, बल्कि मिथिलांचल के अन्य भाग, जैसे- दरभंगा, सहरसा, पूर्णिया और नेपाल के कई हिस्सों में भी खूब देखने को मिलती है। किन रंगों का किया जाता है इस्तेमाल?
मधुबनी चित्रकला Madhubani Painting की शुरुआत की कहानी से आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि इतनी प्राचीन होने की वजह से इसे बनाने के लिए प्राकृतिक रंग, जैसे पौधों और फूलों से निकाला गया रंग, सिंदूर, चावल के लेप आदि का इस्तेमाल किया जाता था और पेंटिंग के लिए ब्रश नहीं, बल्कि बांस की पतली लकड़ियों से इसे बनाया जाता है। बांस की लकड़ियों के अलावा, इसे बनाने के लिए माचिस की तीलियां और उंगलियों का भी प्रयोग किया जाता है। प्राकृतिक रंगों के इस्तेमाल के कारण इस चित्रकला का प्रकृति से काफी गहरा रिश्ता है। अब तो इसे बनाने के लिए केमिकल युक्त रंग का इस्तेमाल और कपड़ों, कैनवस आदि पर बनाया जाने लगा है, लेकिन पहले इसे सिर्फ दीवारों और जमीन पर, नेचुरल रंगों से ही बनाया जाता था।क्या दर्शाती है यह चित्रकला?
इस चित्रकला के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चीजें के साथ-साथ इनमें दर्शाए गए दृश्य भी प्रकृति से जुड़े होने का आभास कराते हैं। इन्हें देखकर आपको ऐसा अनुभव होगा जैसे आप स्वंय प्रकृति की गोद में समा गए हैं। पेड़-पौधों, पक्षी, जानवरों आदि के साथ-साथ मधुबनी चित्रकला में ज्यादातर देवी-देवताओं से जुड़ी पौराणिक कहानियों की झलक दिखाई जाती हैं। क्योंकि माना जाता है कि इसकी शुरुआत राम-सीता विवाह से हुई थी, इसलिए इस चित्रकला में बहुत हद तक देवी-देवताओं को ही शामिल किया जाता है।
Next Story