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तीन साल तक पत्नी से भी शख्स छुपाता रहा राज

HARRY
15 Oct 2022 9:40 AM GMT
तीन साल तक पत्नी से भी शख्स छुपाता रहा राज
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एक महिला के लिए जिस तरह मां बनना दुनिया की सबसे बड़ी खुशी होती है, उसी तरह एक पुरुष के लिए भी पिता बनना किसी नेमत से कम नहीं होता. वास्तव में संतान को पुरुषों के लिए कई बार सामाजिक प्रतिष्ठा से जोड़कर भी देख जाता है और अगर किसी वजह से पुरुष पिता नहीं बन पाता तो इसे अभिशाप मानने लगता है. उसे अपना वजूद अधूरा लगने लगता है. जिस तरह किसी महिला को मां ना बन पाने की वजह से ताने सुनने को मिलते हैं, उसी तरह पुरुष को भी समाज में अपमानित किया जाता है. वास्तव में महिलाओं की तुलना में कई बार ये स्थिति पुरुषों के लिए ज्यादा भयावह हो जाती है.

कुछ ऐसा हुआ ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स के रहने वाले डेविड हॉज के साथ, जब डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उनके वीर्य में शुक्राणु नहीं हैं और वो कभी पिता नहीं बन सकते. उन्होंने डर और शर्मिंदगी की वजह से तीन साल तक ये सच दुनिया से छिपाया. कई तरह का मानसिक तनाव और दबाव झेलने के बाद आखिरकार उन्होंने इस बात को स्वीकार किया और जिंदगी के प्रति अपना नजरिया बदल लिया.

ये है डेविड की कहानी

अपनी कहानी सुनाते हुए डेविड ने कहा, "साल 2015 में मैं और मेरी पत्नी बच्चे के लिए संघर्ष कर रहे थे, हमने अस्पताल में चेकअप कराया और जो मुझे पता चला उससे मेरी दुनिया खत्म हो गई. हमारे कजिन थे जिनके बच्चे थे और मैंने भी बच्चे को लेकर कई सपने देखे थे. पिता बनना मेरी सबसे बड़ी ख्वाहिश थी. लेकिन डॉक्टर के इनकार ने मुझे तोड़कर रख दिया. मैं बहुत रोया. मैं अपनी पत्नी के सामने फूट-फूटकर रोता था क्योंकि वो मां बनने के लिए बेताब थी."

हॉज को डॉक्टर ने समझाया कि उनके अंदर शुक्राणु हैं लेकिन वो यूरेथ्रा में नहीं हैं क्योंकि उनके रिप्रोडक्टिव सिस्टम में शुक्राणुओं को यूरेथ्रा तक पहुंचाने वाली नली नहीं है जिसे वास डेफेरन्स कहते हैं. वास डेफेरन्स एक तरह का ट्यूब होता है जो शुक्राणुओं को यूरेथ्रा तक ले जाता है जहां से संभोग के बाद शुक्राणु महिला के अंदर जाते हैं. डॉक्टर ने कहा कि अगर वो अपनी संतान चाहते हैं तो इसके लिए उनके शुक्राणुओं को टेस्टिस से ऑपरेशन के जरिए निकालना होगा.

हॉज के अनुसार, "ये खबर मैंने अपने करीबी परिवार के लोगों के अलावा हर किसी से तीन साल तक छुपाए रखी. मैं थोड़ा शर्मिंदा था. मैंने इस तरह की खामी के बारे में कभी नहीं सुना था और ऐसा आदमियों में इनफर्टिलिटी के एक दो प्रतिशत मामलों में ही पाया गया था. मुझे नहीं पता था कि लोग इस पर कैसे प्रतिक्रिया देंगे."

पुरुषों में बढ़ रहे हैं इनफर्टिलिटी के केस

कुछ इसी तरह के मामलों का हर रोज सामना करने वाले आईवीएफ ऑस्ट्रेलिया हॉस्पिटल के फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ फ्रैंक क्विन कहते हैं, "दुनिया में कितने पुरुष फर्टिलिटी ट्रीटमेंट करा रहे हैं और उनके पार्टनर का इस दौरान कितना सपोर्ट रहा, इसका कोई आंकड़ा नहीं है. लेकिन दुनिया भर में हर छह में एक जोड़े को संतान पैदा करने के लिए कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. ऑस्ट्रेलिया में 40 प्रतिशत इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के केस पुरुष इनफर्टिलिटी, 40 प्रतिशत महिला इनफर्टिलिटी से जुड़े हैं जबकि 20 प्रतिशत मामलों का कोई कारण नहीं पता चला."

डॉ फ्रैंक कहते हैं, अब हम पुरुष और महिला दोनों में इनफर्टिलिटी के लिए समान रूप से आईवीएफ करते हैं. अब तक समाज में ये गलतफहमी फैली हुई थी कि इनफर्टिलिटी महिलाओं से जुड़ी है. ये गलतफहमी आंशिक रूप से आईवीएफ के शुरुआती दिनों से शुरू हुई है क्योंकि तब इस इलाज को बड़े पैमाने पर उन महिलाओं के लिए किया जाता था जिनकी फैलोपियन ट्यूब बंद होती थी. विशेषज्ञों का कहना है कि बहुत सारे पुरुष सदमे में आ जाते हैं जब उन्हें इस बात का अहसास होता है कि उन्हें इस तरह की कोई दिक्कत है.

इनफर्टिलिटी पर बात करने से झिझकते हैं पुरुष

इसके अलावा पुरुष अक्सर अपनी समस्याओं के बारे में महिलाओं की तरह बात नहीं करते हैं और इसलिए वो कई बार इस तरह की स्थितियों में अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं ऐसा नहीं है कि उनके पास लोग नहीं होते लेकिन पब में अपने दोस्तों से इस तरह नहीं कह सकते कि हमें बच्चा पैदा करने में समस्या हो रही है और मेरा स्पर्म काउंट कम है. ये भी सच है कि इस वजह से वो मजाक का पात्र भी बन सकते हैं. ये पुरुषों के लिए एक तरह की शर्मिंदगी से जुड़ी है.

हालांकि धीरे-धीरे ही सही लेकिन कई पुरुष इस सोच को पीछे भी छोड़ रहे हैं. ऐसे कई मशहूर पुरुषों की संख्या बढ़ रही है जिन्होंने सार्वजनिक रूप से इनफर्टिलिटी, उससे जुड़ी चुनौतियों और उनसे उनके रिश्तों पर आए असर पर बात की है.

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