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खुरचन (Khurchan) की इस दुकान में अब चौथी पीढ़ी (4th Generation) लोगों को मिष्ठान्न का स्वाद चखा रही है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दूध और मावे से बनी खुरचन का नाम तो आपने सुना ही होगा, लेकिन आजकल शुद्ध खुरचन मिलना जरा मुश्किल है. इसके लिए आज आपको पुरानी दिल्ली की ऐसी दुकान लिए चलते हैं जो खुरचन और रबड़ी के लिए मशहूर है. इस दुकान पर आजादी से पहले से खुरचन और रबड़ी बेची जा रही है. वैसे तो इस दुकान पर दूध-मावा-खोया के संगम से और भी मिष्ठान्न मिलते हैं लेकिन एक बार रबड़ी खा लेंगे तो दिल बाग-बाग हो जाएगा. ड्राई फ्रूट्स में लकदक इतने शुद्ध ओर पारंपरिक मिष्ठान्न दिल्ली में शायद ही आपको कहीं खाने को मिले.
खुरचन बनाने में लगता है सबसे अधिक वक्त, नैचुरल (शुगर-फ्री) भी उपलब्ध है
हम बात कर रहे हैं पुरानी दिल्ली स्थित किनारी बाजार में मौजूद मशहूर 'हजारी लाल खुर्चन वाले' की. इस छोटी सी दुकान पर रोज ताजे मिष्ठान्न बनते हैं. मिष्ठान्न तो कई हैं लेकिन जलवा तो खुरचन और रबड़ी का ही है. इस दुकान के आगे से निकलेंगे तो आपको दूध से बने मिष्ठान्नों और देसी घी की खुशबू उड़ती महसूस होगी. समझ जाइए कि हजारी लाल खुरचन वाले की दुकान आसपास है. पहले बात करें खुरचन की. इस दुकान पर सालों से रोजाना आने वाले दूध को उबालकर ही सारी कारीगरी दुकान के हलवाई करते हैं. घंटों दूध को उबालकर, उसका मावा बनाकर विभिन्न प्रकार के मिष्ठान्न बनाए जाते हैं, जिसमें सबसे ज्यादा वक्त खुरचन बनाने में लगता है.
घंटों की मेहनत के बाद रोज सीमित मात्रा में तैयार की जाने वाली खुरचन जब बनकर तैयार होती है तो खाए बिना मन नहीं मानता. इस खुरचन की कीमत 680 रुपये किलो है. दुकान में 70 रुपये का इसका दोना मिलता है, जिसका वजन 100 ग्राम से कुछ ज्यादा ही होता है. जब इस खुरचन को आप खाएंगे तो दोने मे एक दाना भी नहीं छोड़ पाएंगे. यह गाढ़ी खुरचन सभी का मन मोह लेती है. इस दुकान पर नैचुरल खुरचन भी मिलती है, जिसे फीकी (शुगर फ्री) कह सकते हैं. यानी इसमें चीनी का बिल्कुल प्रयोग नहीं होता. लेकिन गाढ़े दूध का स्वाद हल्की सी मिठास महसूस कराता है.
रबड़ी, मलाई लड्डू, मालपुआ, कलाकंद और भी बहुत कुछ है
इस दुकान की रबड़ी भी खासी मशहूर है. यह खुरचन से थोड़ी सी पतली होती है, लेकिन स्वाद गजब का है. इसकी कीमत 660 रुपये किलो है. आपकी इच्छा पर निर्भर है कि आप दोने में इसका सेवन करें या पूरी किलो भर रबड़ी पैक करवाकर अपने परिवार के लिए ले जाएं. वैसे तो इस दुकान पर जो मिष्ठान्न मिलते हैं, वह आपका दिल मोह लेंगे. इनमें मलाई लड्डू, मालपुआ, मलाई रोल, कलाकंद, रसमलाई, गुलाब जामुन, घीया बर्फी आदि शामिल हैं. इन सबको तैयार करने में दूध-मावा के अलावा देसी घी का प्रयोग किया जाता है. इन सब व्यंजनों की कीमत लगभग 600 से 700 रुपये के बीच है. दुकान पर बोतल में बंद बादाम मिल्क भी मिलता है, जिसकी कीमत 50 रुपये है. आप दुकान पर जाएंगे तो वहां खुरचन और रबड़ी खाने वाले ज्यादा मिलेंगे. बाकी मिठाइयां तो लोग पैकिंग करवाकर ले जाते है.
करीब 111 साल से बिक रही खुरचन, चौथी पीढ़ी भी उतरी मैदान में
यह पुरानी दुकान भी ऐतिहासिक जगह पर है. चांदनी चौक बाजार से जब दरीबा कलां में घुसेंगे तो अंदर दाईं ओर किनारी बाजार में घुसते ही कुछ दुकानें छोड़कर दुकान आपको दिख जाएगी. खुरचन की इस दुकान में अब चौथी पीढ़ी लोगों को मिष्ठान्न का स्वाद चखा रही है. करीब 111 साल पहले उत्तर प्रदेश के इटावा जिले से आकर गौरीशंकर ने खुरचन और रबड़ी बेचने का काम शुरू किया. उसके बाद उनके बेटे हजारी लाल जैन ने इस दुकान को संभाला और मिठाइयों की वैरायटी कुछ बढ़ा दी. इस काम को उनके बेटे सुनील कुमार जैन ने आगे बढ़ाया. अब उनके साथ बेटे अमन भी दुकान का कामकाज देख रहे हैं.
उनका कहना है कि पहले यूपी से रोज दूध मंगाया जाता था. बाद में दूध की क्वॉलिटी को बनाए रखने और दुकान की साख बरकरार रखने के लिए नामी कंपनियों से दूध खरीदा जाने लगा. रोज दूध खरीदा जाता है, रोज ताजी मिठाइयां बनती है. सालों ये यह परंपरा आज भी चल रही है. दुकान में पैकिंग की सुविधा उपलब्ध है. अगर ज्यादा माल चाहिए तो पहले ऑर्डर देना होगा. दुकान सुबह जल्दी खुल जाती है, लेकिन माल 11 बजे मिलना शुरू होता है. रात 10 बजे तक इन मिठाइयों का आनंद लिया जा सकता है. अवकाश कोई नहीं है. बस, रविवार को दोपहर के बाद दुकान खुलती है.
Shiddhant Shriwas
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