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लंबे समय तक मूड खराब रहने की वो बीमारी जो डिप्रेशन का साइन है, जानें डिस्थीमिया क्या है?

SANTOSI TANDI
11 Jun 2023 12:52 PM GMT
लंबे समय तक मूड खराब रहने की वो बीमारी जो डिप्रेशन का साइन है, जानें डिस्थीमिया क्या है?
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लंबे समय तक मूड खराब रहने
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आप एक पल में खुश हैं और फिर दुखों के बादल आपके पूरे मूड को प्रभावित कर देते हैं? क्या आपने लंबे समय से और एक लंबे वक्त तक अलग-अलग स्थितियों में खुद को परेशान पाया है? क्या आपको कभी-कभी यह महसूस हुआ है कि आप डिप्रेशन में हैं?
यह सवाल मैं आपसे इसलिए पूछ रही हूं क्योंकि यह सवाल मुझसे कभी नहीं पूछे गए। यह सवाल मैं इसलिए पूछ रही हूं क्योंकि यह मैंने भी एक वक्त तक महसूस किया और ऐसा नहीं है कि इससे पूरी तरह बाहर आ गई हूं, लेकिन पहले से थोड़ा बेहतर हूं।
मैं यहां डिस्थीमिया की बात कर रही हूं, जिसे परसिस्टेंस डिप्रेसिव डिसऑर्डर भी कहते हैं। इस डिसऑर्डर से मैं भी गुजर रही हूं और इसलिए इसके बारे में आप सभी को जागरूक करना चाहती हूं।
इस स्थिति में आप एक किसी भी एक एक्टिविटी को बहुत ज्यादा देर के लिए एन्जॉय नहीं कर पाते। यही कारण होता है कि आप धीरे-धीरे लोगों से मिलना-जुलना बंद कर देते हैं और अपनी कंपनी में रहना ज्यादा पसंद करते हैं। डिस्थीमिया एक ऐसा टर्म है जिसके बारे में आपने शायद पहली बार सुना हो। अगर यह डिप्रेशन है तो इसे सीधा डिप्रेशन क्यों नहीं कहते?
यह सवाल मैंने सीनियर साइकोलॉजिस्ट डॉ. भावना बर्मी से किया तो उन्होंने बताया, " यह एक मूड डिसऑर्डर है जो 2 या उससे अधिक समय तक रहता है। चूंकि यह माइल्ड डिप्रेशन है और डिप्रेसिव डिसऑर्डर की तरह इसके कोई गंभीर लक्षण नहीं होते इसलिए इसे पीडीडी भी कहते हैं।"
कैसे पता चलता है कि किसी को डिस्थीमिया है? इससे गुजरने वाला व्यक्ति कैसा महसूस करता है और क्या इसका कोई इलाज है, ये सवाल अगर आपके मन में भी हैं तो एक्सपर्ट से इससे बेहतर तरीके से जानते हैं।
क्या है डिस्थीमिया?
what is dysthymic moodडिस्थीमिया, जिसे परसिस्टेंस डिप्रेसिव डिसऑर्डर(पीडीडी) के रूप में भी जाना जाता है, एक प्रकार का क्रॉनिक अवसाद है जो अक्सर लंबे समय तक चलने वाला होता है। इसमें व्यक्ति लगातार डिप्रेस्ड या लो मूड में रहता है और यह लंबे समय तक चलता है।
गंभीर डिप्रेसिव डिसऑर्डर से विपरित, जिसके लक्षण गंभीर होते हैं और जो आपके दैनिक कामकाज में हस्तक्षेप कर सकते हैं, यह अवसाद का एक हल्का रूप है। हालांकि, यह भी किसी व्यक्ति के जीवन और कार्य करने की क्षमता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
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इसके लक्षण क्या हैं?
डिस्थीमिया एक लंबे समय तक चलने वाला मूड डिस्टर्बेंस है। इसके लक्षण प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार के समान होते हैं, लेकिन वे कम गंभीर होते हैं और लंबे समय तक बने रहते हैं। दिन के अधिकांश समय उदास या लो मूड रहना, निराशा, कम ऊर्जा या थकान, खराब एकाग्रता या निर्णय लेने में कठिनाई, भूख या वजन में परिवर्तन, अनिद्रा या हाइपर्सोमनिया, कम आत्मसम्मान और गतिविधियों में रुचि की कमी इसके लक्षण हैं।
expert quote on dysthymia disorder
डिस्थीमिया के कारक-
इसके सटीक कारण क्या हैं, इसके बारे में पूरी जानकारी विशेषज्ञों के पास भी नहीं है, लेकिन शोध बताते हैं कि आनुवंशिक, पर्यावरण और जैविक कारकों का इसके विकास में योगदान कर सकता है। इसके कुछ संभावित कारणों या जोखिम कारकों में अवसाद या अन्य मानसिक बीमारियों का पारिवारिक इतिहास, ट्रॉमा या अब्यूज़, कोई स्ट्रेसफुल इवेंट का घटना हो सकता है। ब्रेन केमिस्ट्री इंबैलेंस, जैसे सेरोटोनिन या डोपामाइन की कमी, पुरानी बीमारी या शारीरिक दर्द और मादक द्रव्यों के सेवन से भी डिस्थीमिया हो सकता है।
यह ध्यान रखना जरूरी है कि पीडीडी या डिस्थीमिया किसी को भी उनकी उम्र, लिंग और बैकग्राउंड के विपरीत प्रभावित कर सकता है।
इससे गुजरने वाला व्यक्ति क्या महसूस करता है?
what is persistent depressive disorder
डिस्थीमिया से पीड़ित व्यक्ति आमतौर पर लंबे समय से उदासी का अनुभव करता है। इससे उनके लिए उन एक्टिविटीज का आनंद लेना भी मुश्किल हो सकता है जो उन्हें एक बार अच्छी लगी हों। वह धीरे-धीरे सोशलाइज होना कम कर देते हैं। ऐसे लोगों अक्सर खुद को लेकर भी नेगेटिव होते हैं और अक्सर होपलेसनेस या निराशा भी महसूस कर सकते हैं।
मैं खुद की बात करूं तो मुझे हमेशा थकान रहती है। मेरा कहीं जाने का मन नहीं करता। अगर दोस्तों के साथ कुछ प्लान बनाती भी तो उसे कैंसिल कर देती हूं। ओवरईटिंग, नींद में गड़बड़ी (बेहतर नींद के लिए टिप्स), ध्यान केंद्रित करना या फिर फैसले लेना मेरे लिए अक्सर मुश्किल हो जाता है।
सामान्य तौर पर, इस स्थिति से गुजर रहे व्यक्ति को लगता है कि वह उदासी, निराशा और कम ऊर्जा के चक्र में फंस गया है जिससे वह अपने आप बाहर नहीं निकाल सकता है। इससे हताशा, अपराधबोध और शर्म की भावनाएं पैदा हो सकती हैं, जिसके कारण वह किसी से मदद मांगने से हिचकिचाते हैं। दूसरों से बात करना भी उनके लिए मुश्किल हो जाता है।
डिस्थीमिया का इलाज क्या है?
डॉ. बर्मी कहती हैं, "हां यह एक क्रॉनिक कंडीशन है, लेकिन इसके लक्षणों को पहचानकर अगर सही इंटरवेंशन किया जाए तो इसे प्रभावी ढंग से ट्रीट किया जा सकता है। हालांकि इसका कोई 'Cure' नहीं है। इस डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति सही उपचार के साथ अपने लक्षणों और जीवन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार का अनुभव कर सकते हैं (स्ट्रेस, एंग्जाइटी और मूड स्विंग्स में क्या है अंतर)।
इसके उपचार में आमतौर पर दवा और मनोचिकित्सा का संयोजन शामिल होता है। मनोचिकित्सा, जैसे संज्ञानात्मक-व्यवहार चिकित्सा (सीबीटी), व्यक्तियों को मुकाबला कौशल सीखने, नकारात्मक विचार पैटर्न को चुनौती देने और सोचने और व्यवहार करने के स्वस्थ तरीके विकसित करने में मदद कर सकती है।
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दवा और मनोचिकित्सा के अलावा, जीवनशैली में बदलाव, जैसे नियमित व्यायाम, स्वस्थ भोजन और तनाव कम करने की तकनीकें भी इसके लक्षणों को मैनेज करने में सहायक हो सकती हैं।
सही समर्थन और हस्तक्षेप के साथ, डिस्थीमिया के लक्षणों का प्रबंधन और सुधार करना और एक पूर्ण जीवन जीना संभव है। अगर आपको ऐसा लगता है कि ये लक्षण आपमें भी हैं, तो घर में बैठे रहने की बजाय किसी से बात करें और एक अच्छे थेरेपिस्ट से जरूर मिलें।
हम अपने स्वास्थ्य के बारे में तो खुलकर बात करते हैं, लेकिन जहां मेंटल इलनेस से जिक्र आता है वहां लोग चुप्पी साध लेते हैं। मेंटल इलनेस पर ध्यान देना भी आपके लिए उतना ही महत्वपूर्ण होना चाहिए, जितना बाकी हेल्थ इश्यू पर ध्यान देना होता है।
वहीं, अगर आपके दोस्त या जानकार के अक्सर मूड खराब रहने या बदलने को आप देख रहे हैं, तो उसका मजाक बनाने की बजाय उससे बात करें।
हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके काम आएगी। मेंटल इलनेस को नजरअंदाज न करें। इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को आप भी जागरूक करें। हम इसी तरह मेंटल हेल्थ के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक्सपर्ट बेस्ट आर्टिकल लिखते रहेंगे। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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