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इससे बने खाद्य पदार्थों को हम चटकारे लेकर खाते हैं.
लाइफस्टाइल | मैदे ने धीरे-धीरे हमारी दिनचर्या में पैठ बना ली है. इससे बने खाद्य पदार्थों को हम चटकारे लेकर खाते हैं. लेकिन हम आपको याद दिला दें कि मैदे से बनी चीज़ें आपको स्वाद तो देती हैं पर सेहत के नाम पर अंगूठा दिखा जाती हैं. ये हमारे शरीर के हर हिस्से को बुरी तरह से प्रभावित करती हैं. यह वज़न बढ़ाने के साथ ही हमें दिल से जुड़ी कई बीमारियां परोस देती हैं. इसलिए मैदे को “सफ़ेद ज़हर” भी कहा जाता है. चलिए हम आपको बताते हैं कि रोज़ाना इसके सेवन से आपको कितनी तरह की परेशानियों से दो-चार होना पड़ सकता है.
एसिडिटी
रिफ़ाइनिंग प्रॉसेस के दौरान ही मैदे का सारा पोषण ग़ायब हो जाता है और इसकी तासीर एसिडिक हो जाती है. इसके साथ ही यह इतना चिकना होता है कि हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम इसे ठीक से पचा नहीं पाता है, जिसकी वजह से एसिडिटी होने के चांस बहुत बढ़ जाते हैं. एसिडिक खानपान का असर हमारी हड्डियों पर भी पड़ता है. हड्डियों से कैल्शियम ख़त्म होता है और हमारी बोन डेंसिटी कम हो जाती है और इससे गठिया और इंफ़्लेमेशन जैसी बीमारियां हमें घेर लेती हैं.
मैदे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स हाई होने के कारण जब आप इससे बने किसी खाद्य पदार्थ का सेवन करते हैं तो शरीर में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है. इसकी वजह से अग्नाशय ज़रूरत से ज़्यादा सक्रिय होकर पर्याप्त मात्रा से अधिक इंसुलिन रिलीज़ करता है. अगर आप रोज़ाना मैदे का सेवन करते हैं तो यह प्रक्रिया रोज़ाना होती है और धीरे-धीरे इंसुलिन का प्रॉडक्शन कम हो जाता है और आप ब्लड शुगर के मरीज बन जाते हैं.
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