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आपने कलर थेरैपी का नाम सुना ही होगा. इसमें रंगों का इस्तेमाल चिकित्सा के लिए
लाइफस्टाइल | यह हम सभी जानते हैं कि रंगों का हमारे दिमाग़ पर प्रभाव पड़ता है. आपने कलर थेरैपी का नाम सुना ही होगा. इसमें रंगों का इस्तेमाल चिकित्सा के लिए किया जाता है. कई रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि व्यक्ति का मूड, व्यवहार, स्ट्रेस लेवल रंगों से प्रभावित होता है. यानी कुछ रंग देखकर हमें सुकून का एहसास होता है तो कुछ रंग हमारे स्ट्रेस लेवल को बढ़ाने का काम करते हैं. तो क्यों न हम अपने घर की दीवार के रंगों को अपने अनुकूल करा लें. यानी दीवारों को उन रंगों से सजाएं, जो आपके मूड को बेहतर बनाती हों. तो आइए अलग-अलग रंगों की ख़ासियतों के बारे में जान लेते हैं और साथ ही यह भी कि किस रंग से घर का कौन-सा कोना सजाना ठीक रहेगा.
लाल रंग का संबंध ऊर्जा से है. यह कमरे की ऊर्जा को बढ़ाने का काम करता है. लाल रंग आपके उत्साह को बढ़ाने में भी सहायक है. इस हिसाब से देखें तो घर के लिविंग रूम, डाइनिंग रूम या उन कमरों को लाल से पेंट करें, जहां परिवार के सभी सदस्य साथ बैठते हों. इससे उनके बीच की बॉन्डिंग बेहतर होगी.
पीले रंग को ख़ुशियां फैलाने और गर्मजोशी से भर देने के लिए जाना जाता है. जहां पीले का सौम्य शेड आपके मूड को ख़ुशगवार बनाता है, वहीं इसका बहुत ज़्यादा ब़ाइट शेड आपको क्रोध से भी भर सकता है. इसलिए इस रंग का चुनाव करते समय आपको बेहद सावधान रहना होगा. इस रंग को किचन और बाथरूम के लिए चुनें. इस रंग से छोटी जगह को बड़ा दिखाया जा सकता है.
इस रंग का हमारे दिमाग़ पर रिलैक्सिंग प्रभाव पड़ता है, यानी इस रंग को देखने के बाद शांति का अनुभव होता है. यही कारण है कि बेडरूम और बाथरूम की दीवारों को इससे रंगने की सलाह दी जाती है. नीले रंग के सही शेड से बेडरूम की दीवारों को कलर करने के बाद वहां आपको अपार शांति का अनुभव होगा, वहीं बाथरूम में स्पा जैसी फ़ीलिंग आएगी. पीले की तरह इसके सही शेड का चुनाव बहुत ज़रूरी है. नीले रंग का फ़ायदा पाने के लिए आपको इसके सॉफ़्ट शेड्स का इस्तेमाल करना होगा. ग़लती से आपने गहरे शेड्स का चुनाव किया तो इसका नकारात्मक असर आपको दिमाग़ी रूप से परेशान कर देगा. दरअसल डार्क ब्लू यानी गहरे नीले रंग को अवसाद और दु:ख से जोड़कर देखा जाता है.
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