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आपकी सेहत के लिहाज से सबसे बेस्ट और वर्स्ट स्लीप पोज़िशन
हमारे दिखने, महसूस करने और काम करने के तरीक़े में नींद एक बड़ी भूमिका निभाती है. 'नींद' शब्द अब इम्यूनिटी शब्द का पर्याय बन चुका है और इसलिए इन दिनों विशेषज्ञों द्वारा सात से आठ घंटे की अच्छी नींद लेने की सलाह दी जा रही, ताकि आपकी इम्यूनिटी मज़बूत बनी रहे. हम अपने जीवन का एक तिहाई हिस्सा सोते हुए बिताते हैं और हमारे शरीर की कार्यप्रणाली काफ़ी हद तक हमारे स्लीप पैटर्न और सायकल पर निर्भर होती है. यह हमारे पीठ और रीढ़ की हड्डी के साथ पूरे स्वास्थ्य पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ता है. इसलिए हमारे सोने का तरीक़ा, हमारी नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण रोल अदा करता है.
हर किसी का शरीर उसके स्वास्थ्य के आधार पर एक अलग स्लीप पॉश्चर की मांग करता है. इसलिए सोते समय पॉश्चर सही रखना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि यह जागने के बाद आप कैसा महसूस करते हैं, यह उसमें बड़ा बदलाव ला सकता है. भारत के जानेमाने स्लीप सॉल्यूशंस ब्रैंड में से एक, ड्यूरोफ़्लेक्स स्लीप एक्सपर्ट ने कई तरह के स्लीप पोज़िशन पर प्रकाश डाला है, जो हर किसी के स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है.
नीचे की तरफ़ विभिन्न प्रकार के स्लीप पोज़िशन और उनके प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया गया है:
पीठ के बल सोना
सोने का सबसे सामान्य तरीक़ा है कि पीठ के बल सोना. यह पोज़िशन आपकी रीढ़, गर्दन और कंधों को न्यूट्रल पोज़िशन में रखने के लिए फ़ायदेमंद है, लेकिन यह उन लोगों के लिए परेशानी खड़ा कर सकता है, जो पीठ के निचले हिस्से के दर्द से या ख़र्राटे की समस्या से और स्लीप एपनिया (सोते समय बार-बार सांस रुक जाना) से जूझ रहे हैं.
करवट लेकर सोना
करवट होकर सोने से आपको कई तरह के फ़ायदे मिलते हैं, ख़ासतौर से बाएं करवट होकर सोने से. कई रिसर्च कहते हैं कि यह सोने के आदर्श तरीक़ों में से एक है, क्योंकि इस पोज़िशन में सोने से जोड़ों और पीठ के निचले हिस्से के दर्द जैसी कई स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से छुटाकरा पाने में मदद मिलती है. यह किसी के भी ओवर ऑल ब्रेन हेल्थ के लिए फ़ायदेमंद है और यह पाचनतंत्र को बेहतर बनाने में भी मददगार साबित होता है.
पेट के बल सोना
इस पोज़िशन में कम से कम सोने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह आपको गर्दन, पीठ और रीढ़ की हड्डी से जुड़ा दर्द दे सकता है. शरीर के अधिकांश भाग का वज़न बीच में होता है और यह सोते समय यह रीढ़ की हड्डी को न्यूट्रल नहीं रहने देता है. इससे आपकी गर्दन के चोटिल होने का बहुत अधिक ख़तरा रहता है. इससे आपकी गर्दन के मुड़ने का भी चांस रहता है.
भ्रूण की अवस्था में सोना
भ्रूण की स्थिति तब बनती है, जब आप करवट लेकर अपना पैर पेट की तरफ़ मोड़ लेते हैं आपकी रीढ़ की हड्डी एक प्राकृतिक कर्व बनाती है. पीठ के निचले हिस्से के दर्द से राहत पाने और गर्भावस्था के लिए यह पोज़िशन बहुत की बढ़िया है. हालांकि इस पोज़िशन में सोते समय अपने शरीर को बहुत अधिक ना मोड़ें, क्योंकि इससे आपके जोड़ों पर दबाव पड़ेगा, सांस लेने में दिक़्क़त हो सकती है और ब्लड सर्कुलेशन भी प्रभावित हो सकता है और इसकी वजह से आगे चलकर आपको स्वास्थ्य संबंधित कई परेशानियां हो सकती हैं.
पता लगाएं कि आपके लिए सबसे अच्छा कौन-सा पोज़िशन है
सभी लोग अपने स्वास्थ्य और शरीर के आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग पोज़िशन में सोते हैं. सोने के सभी पोज़िशन के अपने फ़ायदे और नुक़सान होते हैं. साथ ही सब लोग एक ही पोज़िशन में सो भी नहीं सकते हैं. इसलिए यह पता लगाएं कि आपके शरीर और एक अच्छी नींद के लिए कौन-सा पोज़िशन सही काम करता है.
इसके अलावा नींद की गुणवत्ता में सुधार लाने के अन्य तरीक़े भी हैं, जैसे एक अच्छा तकिया और आरामदायक गद्दे का चुनाव भी आपकी नींद के गुणवत्ता को सुधार सकता है.
सोने के समय कुछ ज़रूरी काम करना ना भूलें, जैसे कि हल्का स्ट्रेच करना, अपने बेड को साफ़ और फ्रेश रखना और सोने की सायकल और पैर्टन फ़िक्स करना. इसके अलावा दोपहर 2 बजे के बाद कैफ़ीन ना लें. यह सब आपको एक अच्छी नींद लेने में मददगार साबित होंगे.