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लाइफ स्टाइल
मुश्किल में डाल सकती हैं कहीं आप पर भी तो हावी नहीं हो रहा 'Textrovert'
Rajesh
6 Sep 2024 11:48 AM GMT
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Lifetyle.लाइफस्टाइल: डिजिटल दौर में सिर्फ मशीनों का इस्तेमाल नहीं बढ़ा है बल्कि इंसान का व्यवहार भी बदल गया है। एक वक्त पर अच्छा बोलना किसी इंसान की खूबी मानी जाती थी। बेबाकी और स्पष्टता से बोलने वाला इंसान सबसे समझदार कहलाता था। यहां तक कि पर्सनल और प्रोफेशनल रिश्ते भी बोलने की काबिलियत पर ही डिपेंड होते थे। अब वक्त बदलने पर पर्सनल रिश्ते हों या फिर करियर दोनों की सफलता सिर्फ बोलने पर निर्भर नहीं है। बल्कि इंसान मैसेज भेजकर अपनी बात को अच्छे से समझा सकता है। इसका चलन इतना बढ़ गया है कि स्टेटिस्टा की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में भारतीयों ने एक दिन में लगभग 140 अरब मैसेज भेजे। ऐसे में आपको टेक्टिंग के मैनर्स भी पता होना चाहिए, ताकि कभी किसी मुश्किल में ना पड़ जाएं।
बहुत बड़ा नहीं, छोटा टेक्सट रखें
टेक्सट करते वक्त कुछ लोग भावनाओं में इतना बह जाते हैं कि एक मैसेज में ही सब कुछ लिख देते हैं। जबकि टेक्सट मैसेजिंग कम्युनिकेश में बहुत लंबा मैसेज बोझ लगने लग जाता है। ऐसे में अगर आपके पास कहने के लिए बहुत कुछ है तो कई टेक्सट में भेजें। ताकि रिसीवर को पढ़ने में आसानी हो। बोझ लगने पर मैसेज को समझना भी मुश्किल हो जाता है।
संवेदनशील मैसेज ना भेजे
हर बात टेक्सट पर नहीं बताई जा सकती है क्योंकि कहकर समझने और बोलकर समझने पर बहुत फर्क होता है। ऐसे में किसी से रिश्ता तोड़ना, किसी को नौकरी से निकालना और किसी के निधन का समाचार या अन्य संवेदनशील जानकारी टेक्सट के जरिए नहीं भेजनी चाहिए। इस तरह के मैसेज फोन करके या फिर मिलकर ही देना चाहिए।
गलत समय पर टेक्सट ना करें
कुछ लोग टेक्सट करते वक्त समय का ध्यान नहीं रखते हैं। कभी नहीं सोचते की कब और कहां मैसेज कर रहे हैं। कुछ लोग खाना खाने के दौरान ही मैसेज करते हैं। जबकि सार्वजनिक समारोहों के दौरान मैसेज भेजना असभ्य, असंवेदनशील और परेशान करने वाला माना जा सकता है। इसके अलावा आधी रात को मैसेज करना भी मैसेज एटीकेट के खिलाफ है।
कॉमन एब्रिविएशन जानें
इस दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें कॉमन एब्रिविएशन का मतलब पता नहीं होता है कि लेकिन भेड़ चाल में इस्तेमाल कर रहे होते हैं। जैसे कि LOL-लाफ आउट लाउड, IDK आई डोन्ट नो, FYI फॉर योर काइंड इन्फोर्मेशन TTYL टॉक टू यू लेटर, LMK लेट मी नो जैसे एब्रिविएशन का इस्तेमाल तभी करें जब फुल फॉर्म पता हो।
टेक्सट मैसेजिंग का इतिहास
SMS के नाम से भी जाने-जाने वाले टेक्सट की शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी जब मोबाइल फोन मार्केट में आए थे। पहले इसका उपयोग मुख्य रूप से कम्युनिकेशन के रूप में किया जाता था। जैसे-जैसे तकनीक बढ़ी, वैसे-वैसे टेक्सटिंग का विकास भी होता गया। अब कम्युनिकेशन के पसंदीदा तरीके के रूप में टेक्सट मैसेजिंग को अपनाया जाता है।
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