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Teachers day 2021 : 'जाने शिक्षक दिवस' का इतिहास और महत्व
Tulsi Rao
3 Sep 2021 12:12 PM GMT
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भारत में 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को 'शिक्षक दिवस' के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बच्चे अपने शिक्षक को किसी न किसी तरह का कोई गिफ्ट देते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शिक्षक एक बच्चे के मानसिक विकास के पीछे पावरफुल फोर्स हैं, खासकर जब वो विकासशील वर्षों में हों. शिक्षक या मार्गदर्शक शिक्षा की क्वालिटी और किसी के भविष्य को आकार देने में सबसे प्रभावशाली भूमिका निभाते हैं. वो न केवल सिखाते हैं बल्कि बच्चों को जीवन में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करते हैं.
क्यूंकि युवा देश का भविष्य है, इसलिए शिक्षक की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि वो न केवल एक व्यक्ति को अपने पैरों पर खड़ा करने में सक्षम बनाते हैं बल्कि एक राष्ट्र को भी आकार देते हैं. शिक्षकों को कई भूमिकाएं निभानी होती हैं और उनका एक्सपीरियंस और कंपैशन ही उन्हें एक अच्छा मेंटर बनाती है.
शिक्षक दिवस' क्यों मनाया जाता है?
पेट्रीसिया क्रॉस के जरिए कहा गया है, "एक्सीलेंट टीचर का काम 'स्पष्ट रूप से सामान्य' लोगों को असामान्य प्रयास के लिए प्रोत्साहित करना है. कठिन समस्या विजेताओं की पहचान करने के लिए नहीं है, बल्कि सामान्य लोगों में से विजेता बनाना है."
युवा किसी भी देश की रीढ़ होते हैं और अच्छे नागरिक बनने के लिए शिक्षक छात्रों को आकार और इनर स्ट्रेन्थ देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसलिए, हमारे गुरुओं को एक दिन समर्पित करने के लिए इस दिन को स्कूलों, कॉलेजों और कई दूसरे संस्थानों में मनाया जाता है.
हालांकि, विश्व शिक्षक दिवस, जिसे अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में जाना जाता है, जो कि 5 अक्टूबर को मनाया जाता रहा है, लेकिन भारत में, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में सन् 1962 से 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है.
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन कौन थे?
वो भारत के पहले उपराष्ट्रपति, भारत के दूसरे राष्ट्रपति और एक प्रसिद्ध दार्शनिक भी थे. लेकिन सबसे बढ़कर, उन्हें अब तक के सबसे महान शिक्षकों में से एक माना जाता था. हां, उन्हें सबसे प्रतिष्ठित विद्वानों के रूप में माना जाता था, जिन्हें भारत रत्न समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था, जो भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है. उनका मानना था कि "शिक्षकों को देश में सबसे अच्छा दिमाग होना चाहिए".
डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तिरुतानी में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. उन्हें एक अविश्वसनीय छात्र के साथ-साथ एक एक्जेम्पलरी टीचर माना जाता था जिन्होंने अपना जीवन शिक्षा के लिए समर्पित कर दिया. वो वही थे जो चाहते थे कि उनके जन्मदिन को 'शिक्षक दिवस' के रूप में मनाया जाए.
उन्होंने एक बार कहा था, "मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय, ये मेरे लिए गर्व की बात होगी कि 5 सितंबर को 'शिक्षक दिवस' के रूप में मनाया जाए." इसलिए उनके जन्मदिन को सन् 1962 से 'शिक्षक दिवस' के रूप में मनाया जाता है
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