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लाइफ स्टाइल
वक्त रहते बच्चें को सिखाएं अनुशासन और पाबंदी में अंतर, ताकि आजादी मिलने पर न उठाएं गलत कदम
Neha Dani
6 Aug 2022 9:28 AM GMT
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उन्हें उनकी सजा के बारे में भी समझा दें। ताकि वो इस आजादी का फायदा उठाकर गलत रास्ते पर ना चल दें।
क्या आपका बच्चा इतना बड़ा हो गया है कि अपना काम खुद कर सकता है। क्या आपके बच्चे को आपकी बात ना मानकर अपने मन का काम करना अच्छा लगता है। तो क्या आपका बच्चा हर काम में रोकटोक नहीं बल्कि आजादी चाहता है। अगर आपका जवाब हां है, तो बच्चे के इस अनोखे व्यवहार से सरप्राइज ना हो, ना ही उसके इस व्यवहार पर डांटे या मारें। क्यूंकि इस तरह का स्वभाव बच्चे की बदलती मानसिक स्थिति का संकेत है, जो ये इशारा करता है आपका बच्चा बड़ा हो गया है।
दरअसल एक समय के बाद बच्चे पर पाबंदी लगाना भी जायज़ नहीं है। क्यूंकि इससे बच्चा परेशान हो जाता है और ऐसे में वो घरवालों से छुप कर गलत काम करने लगता है। ये सब चीजें उसकी मेंटल हेल्थ पर बुरा असर ड़ाल सकती है। तो अब सवाल ये उठता है एक उम्र के बाद बच्चों को किस तरह की आजादी देनी चाहिए या फिर उन पर पूरी तरह पाबंदी ही लगा देनी चाहिए। क्यूंकि आजादी देने के भी अपने फायदे- नुकसान हैं और पाबंदी लगाने के भी। तो यहां हम आपको टीएनजर्स बच्चों से डील करने की टेक्निक बताने के साथ उन पर पाबंदी लगाने के फायदे और नुकसान के बारे में बताने जा रहे है।
आजादी की सीमा कितनी हो
विशेषज्ञों की मानें तो , बच्चे को कम से कम इतनी आजादी दें कि वह एडल्टहुड में कदम रखने के लिए खुद को मेंटली तैयार कर सके। अब बात अगर उन्हें आजादी देनी की हो, तो ये हर पेरेंटस और उनके बच्चे के लिए अलग-अलग हो सकता है। लेकिन, एक चीज जो बच्चे का आपके प्रति भरोसा बढ़ाएगी, वो है अपने बच्चे पर विश्वास। क्यूंकि इसी ट्रेस्ट लेवल से बच्चे में जिम्मेदारी की भावना जागेगी। हालांकि, इससे पहले यह चीज़ें ध्यान में रखनी चाहिए कि बच्चे की उम्र क्या है, वह उस हद तक परिपक्व है या नहीं और वह किसी अनुभव से मानसिक रूप से आहत तो नहीं है। इन सब बातों पर गौर करने के बाद ही ये निर्धारित करें कि उन्हें किस-किस काम में आजादी देनी चाहिए।
उम्र के हिसाब दें आजादी
अगर आपके बच्चे की उम्र 16 साल से कम है तो उसे हर चीज अपने मन से करने देने की गलती ना करें, क्यूंकि इससे वो गलत रास्ते पर जा सकता है। जैसे बच्चे को देर रात तक न जागने दें, ड्राइविंग न करने दें, अकेले कहीं घूमने नहीं जानें दें, बल्कि उन्हें समझाए कि ऐसा करना उनके लिए नुकसानदेह हो सकता है। बल्कि उन्हें ये समझाए कि इन सबकी सही उम्र होती है, इसलिए उस सही समय का इंतजार करें।
आजादी का दुरूपयोग ना करने दें
अगर आपका बच्चा 16 साल से उपर है, तो आप उसे कुछ चीजें करने की आजादी दे सकते है। लेकिन बच्चे को आजादी देने के साथ-साथ उसके लिए कुछ रूल-रेगुलेशन भी बना दें, ताकि वह आजादी का दुरूपयोग ना कर सकें और अनुशासन में रहें। बल्कि अगर बच्चे ज्यादा बदतमीजी करते हैं, तो उन्हें उनकी सजा के बारे में भी समझा दें। ताकि वो इस आजादी का फायदा उठाकर गलत रास्ते पर ना चल दें।
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