लाइफ स्टाइल

विश्व हाइपरटेंशन दिवस पर इन बातों का रखें खास ख्याल.

Apurva Srivastav
10 May 2024 5:37 AM GMT
विश्व हाइपरटेंशन दिवस पर इन बातों का रखें खास ख्याल.
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लाइफस्टाइल : हाई ब्लड प्रेशर उम्र से पहले मौत का कारण बन सकता है. ये इतनी खतरनाक समस्या है कि जरा सी लापरवाही भी जान ले सकती है.हाई ब्लड प्रेशर (High BP) को ही मेडिकल भाषा में हाइपरटेंशन (Hypertension) कहते हैं. खराब लाइफस्टाइल और गड़बड़ खानपान की वजह से इसका खतरा काफी ज्यादा बढ़ता है. इसके कारण फैमिली हिस्ट्री और तनाव की वजह से भी हाइपरटेंशन का रिस्क बढ़ सकता है. यही कारण है कि लोगों को इस बीमारी से अवेयर करने के लिए हर साल 17 मई को पूरी दुनिया में हाइपरटेंशन डे मनाया जाता है.
ब्लड प्रेशर कब माना जाता है हाई
सीडीसी के अनुसार, नॉर्मल ब्लड प्रेशर 120/80 mmHg से कम ही होता है. अगर इससे कम होता है तो उसे लो ब्लड प्रेशर और अगर ज्यादा होता है तो हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन माना जाता है. इससे कई गंभीर खतरे हो सकते हैं.
हाइपरटेंशन का सबसे बड़ा कारण क्या है
हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि हाइपरटेंशन का सबसे बड़ा कारण खराब लाइफस्टाइल और खानपान है. दरअसल, आजकल भागदौड़ वाली जिंदगी में दिनभर का रूटीन बिगड़ा रहता है, जिसकी वजह से कई बीमारियां तेजी से फैल रही हैं. बहुत ज्यादा स्मोकिंग, शराब पीना, फिजिकल एक्टिविटी का न होना, खराब डाइट, दिनभर मोबाइल-लैपटॉप का इस्तेमाल हाइपरटेंशन के खतरे को बढ़ा रहा है.
हाइपरटेंशन के कितने स्टेज
हाई ब्लड प्रेशर की चपेट में आने पर सिर दर्द, सांस फूलना और नाक से खून निकलने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. ये सभी लक्षण तभी नजर आते हैं, जब स्थिति काफी गंभीर यानी जानलेवा बन जाती है. हाइपरटेंशन के दो स्टेज हैं. पहला जिसमें इसकी रीडिंग 130 से 139mm Hg तकऔर नीचे की रीडिंग 80 से 90mm Hg हो. वहीं, दूसरा तब जब ऊपर की रीडिंग 140mm Hg से ज्यादा और नीचे की 90mm Hg या उससे ज्यादा हो.
हाइपरटेंशन से बचने के लिए क्या करें
अगर खानपान और लाइफस्टाइल को बेहतर बना लिया जाए तो हाइपरटेंशन के खतरे को कम किया जा सकता है. अगर हाइपरटेंशन की चपेट में आ गए हैं तो सबसे पहले इसका इलाज करवाएं, क्योंकि स्थिति गंभीर होने पर हार्ट अटैक तक आ सकता है. अगर किसी की फैमिली में कभी हाइपरटेंशन की मस्या रही है तो ऐसे लोगों को नियमित तौर पर जांच करवाते रहना चाहिए. 18 साल की उम्र के बाद सभी को कम से कम साल में दो बार बीपी चेक करवना चाहिए.
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