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अपनी आँखों का ख्याल
हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग आँख है। हमें कोई भी कार्य करने के लिए आँखों की जरूरत पड़ती है। हमारे शरीर की समस्त ज्ञानेन्द्रियों में आंखें सबसे प्रमुख ज्ञानेन्द्रियां हैं। आंखों के बिना किसी कार्य को करने में हम असमर्थ हो जाते हैं। आँखों की ठीक तरह से देखभाल ना करने के कारण आजकल कम उम्र में चश्मा लगना एक आम समस्या बन गयी है। बदलती दिनचर्या में दिमाग पर ही नही आंखों पर भी दबाव पडऩा आम बात है। जिससे आंखें कमजोर होने के साथ ही पीलापन, लालिमा और कालापन (ब्लैक सर्कल्स) की शिकायत से जूझने लगते हैं। यहां हम आपको ऐसे आसान घरेलू उपाय बताने जा रहे हैं जो आपको ऐसी मुश्किल से बचा सकते हैं।
पर्याप्त नीद ना लेने के कारण आँखों के निचे काले घेरे होने लगते है। जिससे हमारी आँखे कमजोर होने लगती है, और कई तरह की बीमारिया हो जाती है। आँखों को स्वस्थ रखने के लिए आँखों को आठ घंटे की नीद अवश्य दे।
आंखों में जब भी थकान का अनुभव हो तो ठंडे पानी से छींटें मारने चाहिए, जिससे आँखें तरोताजा बनी रहे। कभी भी अंधेरे में, कम रोशनी में, तेज रोशनी में, तेज धूप में या ज्यादा झुककर व लेटकर लिखने-पढ़ने की आदत न डालें।
नींबू और गुलाबजल को सामान मात्रा में मिला लें। अब इस मिश्रण को अपनी आँखों में डालें। इसके बाद आँखों में ठंडे पानी के छींटे मारे दिन में कम से कम तीन बार ऐसा करें। इससे आँखों की गंदगी साफ़ होती है तथा आँखों की बीमारिया दूर होती हैं।
सभी समस्याओं से बचने के लिए प्रतिदिन आँखों की सही प्रकार से सफाई तथा देखभाल करें। जिससे आपकी आँखे सुरक्षित तथा खूबसूरत बानी रहें। आँवले के पानी से आँखें धोने से या गुलाबजल डालने से लाभ होता है।
यदि आपने दिनभर आँखों पर मेकअप लगा रख हो तो रात को सोने से पहले आँखों के मेकअप को हटा कर सोये। यदि रात को आँखों पर मेकअप लगाकर सोएंगे तो आँखों में अनेक प्रकार की जामफल के पत्तों की पुल्टिस बनाकर (20-25 पत्तों को पीसकर,टिकिया जैसी बनाकर,कपड़े में बाँधकर) रात्रि में सोते समय आँख पर बाँधने से आँखों का दर्द मिटता है, सूजन और वेदना दूर होती है।
हल्दी की डली को तुअर की दाल में उबालकर,छाया में सुखाकर, पानी में घिसकर सूर्यास्त से पूर्व दिन में दो बार आँख में आँजने से आँखों की लालिमा,झामर एवं फूली में लाभ होता है।
अगर आप प्रतिदिन अपनी आंखों में काजल या सुरमा लगाते हों तो आँखों की देखभाल के लिए धीरे-धीरे छोड़ दें, क्योंकि काजल कभी-कभार ही लगाना अच्छा रहता है।
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