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बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज तब देखने को मिलती है जब उनका शरीर एक आवश्यक हार्मोन जिसका नाम इंसुलिन है,
बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज तब देखने को मिलती है जब उनका शरीर एक आवश्यक हार्मोन जिसका नाम इंसुलिन है, उसकी प्रयाप्त मात्रा नहीं बना पाता. बच्चे को जीवित रहने के लिए इंसुलिन की जरूरत होती है इसलिए इस स्थिति में उसको इंसुलिन इंजेक्शन के रूप में भी दिया जा सकता है. अक्सर ऐसा माना जाता है कि डायबिटीज बुजुर्गों में होने वाली एक बीमारी होती है और यह बच्चों में नहीं देखी जा सकती है. लेकिन ऐसा गलत है. ऐसा सोचने की वजह से ही हम बच्चों में डायबिटीज़ के लक्षणों को नजर अंदाज कर देते हैं और फिर यह बाद में उनकी खराब स्थिति का कारण बन जाती है.
इसलिए डायबिटीज के लक्षणों को बच्चे के शरीर में देखते ही तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए और उसका इलाज शुरू करवा देना चाहिए. आइए जानते हैं कौन-कौन से ऐसे लक्षण होते हैं जो बच्चों में डायबिटीज़ का संकेत देते हैं.
बच्चों में टाइप 1 डाइबिटीज के लक्षण
मायोक्लिनिकडॉटओआरजी के मुताबिक बच्चे को जब बार-बार प्यास लगने लगती है तो समझ जाएं यह टाइप 1 डायबिटीज़ का लक्षण हो सकता है.
जब बच्चे को बार-बार बाथरूम जाने की आवश्यकता महसूस हो रही हो.
अगर बच्चा बड़ा भी है और फिर भी रात में बेड गीला कर देता है तो इसे भी डायबिटीज का लक्षण ही समझिए.
जब बच्चे को खाना खाने के तुरंत बाद भूख लगने लगे.
बच्चे का बिना किसी वजह से वजन काफी कम हो जाना.
बच्चा बिना ज्यादा काम या मेहनत किए बिना ही थक जाता है.
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जब बच्चा काफी इरिटेट हो रहा हो और उसका बिना बात मूड खराब हो रहा हो.
जब उसकी सांसों से फलों जैसी स्मेल आ रही हो.
हालांकि, जरूरी नहीं हैं कि यह लक्षण केवल डायबिटीज के ही हों. इसलिए एक बार डॉक्टर से कन्फर्म करने में कोई बुराई नहीं है.
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कौन से टेस्ट होते हैं?
-रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट
-ग्लाईकेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट
-फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट
Ritisha Jaiswal
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