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बादल छाने पर भी हो सकता है सनबर्न, UV किरणों से ऐसे बचाएं स्किन को
बरसात का सीज़न आ चुका है और यह समय होता है जब लोग सबसे ज़्यादा घर से बाहर निकलते हैं। सुहाना मौसम, हर तरफ हरियाली और सूरज का नामोनिशान नहीं, जिससे सभी को राहत पहुंचती है। हालांकि, हमें ऐसा लगता है कि सूरज नहीं है, क्योंकि बादल छाए रहते हैं और तेज़ धूप हम तक नहीं पहुंचती। लेकिन सच ये है कि बादलों से भी सूरज की किरणें लगातार हम तक पहुंच रही होती है, बस हमें पता नहीं चलता।
सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणें दिखाई नहीं देती, लेकिन गंभीर सनबर्न का कारण बन सकती हैं और त्वचा के कैंसर का जोखिम बढ़ा सकती हैं। यही वजह है कि हम सभी को साल भर सूरज से बचाव की ज़रूरत होती है।
यूवी किरणें नज़र नहीं आतीं, लेकिन ये काफी तेज़ और नुकसान पहुंचाने वाली होती हैं, खासतौर पर गर्मियों के मौसम में। यूवी ए, बी और सी पानी और बर्फ से टकरा कर और भी मज़बूत हो जाती हैं, इसलिए बर्फ में खेलते वक्त या तैरते वक्त आपको सनस्क्रीन ज़रूर लगानी चाहिए।
किन लोगों में बढ़ जाता है स्किन के नुकसान का ख़तरा?
हर कोई त्वचा पर यूवी किरणों के प्रभाव को महसूस कर सकता है, हालांकि, कुछ लोगों ऐसे भी होते हैं जिनकी स्किन को बारिश के समय भी सूरज से नुकसान पहुंच सकता है।
जिन लोगों की त्वचा की रंग हल्का होता है, उन्हें सनबर्न या टैनिंग आसानी से हो जाती है।
एंटीबायोटिक्स का सेवन कर रहे लोग।
ऐसी स्किन प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना, जिसमें रेटीनॉइड्स की मात्रा ज़्यादा हो।
त्वचा की सुरक्षा कैसे करें?
त्वचा विशेषज्ञ त्वचा को हानिकारक किरणों से बचाने के लिए अच्छे सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। इसके अलावा, इन बातों का पालन करें:
त्वचा के खुले क्षेत्रों को ढकने के लिए अल्ट्रावाइलेंट सन-प्रोटेक्शन लेबल वाले स्कार्फ या हैट पहनें।
बाहर जाते समय हमेशा धूप का चश्मा पहनें, यहां तक कि बादल वाले दिन में भी।
अगर आप बारिश में भीगना चाह रहे हैं, तो वॉटरप्रूफ सनस्क्रीन लगाएं।
जब घर से बाहर निकलें, भरे ही बादल छाए हों, लेकिन फिर शेड में ही खड़े हों।