लाइफ स्टाइल

स्टडी-Vitamin D की कमी से दोगुना हो जाता है दिल की बीमारी

Teja
25 Dec 2021 5:27 AM GMT
स्टडी-Vitamin D की कमी से दोगुना हो जाता है दिल की बीमारी
x
विटामिन डी (Vitamin D) को लेकर एक सामान्य मान्यता रही है कि ये हड्डियों (Bones) को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। विटामिन डी (Vitamin D) को लेकर एक सामान्य मान्यता रही है कि ये हड्डियों (Bones) को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है. इसका मेन नेचुरल सोर्स धूप (Sunlight) को माना जाता है. लेकिन एक ताजा स्टडी में इस बात की पुष्टि हुई है कि ये विटामिन न सिर्फ हड्डियों, बल्कि हार्ट की हेल्थ (Health Of Heart) के लिए जरूरी है. यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया (University of South Australia) के रिसर्चर्स ने अपनी इस नई स्टडी द्वारा हार्ट डिजीज पैदा करने में विटामिन डी की कमी की भूमिका के जेनेटिक एविडेंस यानी आनुवंशिक प्रमाण (genetic evidence) की खोज की है. स्टडी में यह बात सामने आई है कि विटामिन डी की कमी (Vitamin D deficiency) वाले लोगों को हार्ट डिजीज और हाई ब्लड प्रेशर का रिस्क विटामिन डी के सामान्य लेवल वाले लोगों की तुलना में दोगुना तक ज्यादा होता है. इस स्टडी को यूरोपियन हार्ट जर्नल (European Heart Journal) में प्रकाशित किया गया है.आपको बता दें कि सीवीडी यानी कार्डियोवस्कुलर डिजीज (cardiovascular disease) दुनियाभर में लोगों की मौतों का एक बड़ा कारण है. हर साल इन बीमारियों से लगभग 1.79 करोड़ लोगों की मौत होती है.

दुनियाभर के ज्यादातर हिस्से की आबादी में विटामिन डी की कमी पाई जाती है. एक अनुमान के अनुसार, भारत में भी इन बीमारियों से हर साल करीब 47.7 लाख लोगों की मौत होती हैं. ऑस्ट्रेलिया में तो हर चौथी मौत सीवीडी से होती है और उसकी इकोनॉमी को हर साल 5 अरब डालर से ज्यादा का नुकसान होता है.
कैसे हुई स्टडी
इस स्टडी में शामिल 55 प्रतिशत लोगों में विटामिन डी (Vitamin D) का स्तर 50 नैनोमोल्स प्रति लीटर (nmol/Liter) से कम पाया गया. जबकि 13% प्रतिभागियों में गंभीर कमी (25 एनएमओएल/लीटर से भी कम) पाई गई. वैसे, विटामिन डी का सामान्य स्तर (normal level of vitamin D) 50 एनएमओएल/लीटर माना जाता है. भारत में लगभग 80-90 प्रतिशत लोगों में इसकी कमी पाई जाती है. रिसर्चर्स ने ऑस्ट्रेलिया में 23% और अमेरिका में 24 % और कनाडा में 37 % लोगों में विटामिन डी का कम होना माना है.
हार्ट की हेल्थ का रख सकते हैं ख्याल
यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया की मुख्य शोधकर्ता प्रोफेसर एलिना हाइपोनेन (Professor Elina Hypponen) का कहना है कि विटामिन डी की कमी को दूर कर दुनियाभर में कार्डियोवस्कुलर डिजीज (cardiovascular disease) में कमी लाई जा सकती है. उनके मुताबिक, विटामिन डी की गंभीर कमी वैसे तो बहुत ही कम होती है. लेकिन इतनी कमी वाले क्षेत्रों में एक्टिवली उठाए गए स्टेप्स के जरिए हार्ट की हेल्थ पर होने वाले नेगिटिव इफैक्ट्स से बचा जा सकता है.
क्या कहते हैं जानकार
प्रोफेसर एलिना हाइपोनेनका कहना है, 'वैसे तो विटामिन डी का सबसे अच्छा सोर्स धूप (Sunlight) है, लेकिन यह मछली, अंडा, फोर्टिफाइड फूड और कुछ डिंक्स में भी पाया जाता है. लेकिन फूड आइटम्स में ये बहुत कम मात्रा में पाया जाती है. ऐसे में धूप ज्यादा जरूरी है. स्टडी से यह बात सामने आई है कि यदि विटामिन डी का लेवल नॉर्मल हो जाए तो कार्डियोवस्कुलर डिजीज में 4.4 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है.'
उन्होंने आगे बताया, जेनेटिक एप्रोच (genetic approach) वाली इस स्टडी से टीम को यह जानने में मदद मिली कि विटामिन डी (vitamin D) के बढ़ते स्तर का सीवीडी पर क्या असर होता है. इसमें 267,980 लोगों की जानकारी शामिल की गईं. देखा गया कि विटामिन डी की कमी वाले लोगों में जैसे-जैसे उसकी कमी दूर होती गई,
Next Story