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स्टडी-कोई भी काम बिजी रहने से कम होता है डिमेंशिया बीमारी

Teja
25 Dec 2021 5:40 AM GMT
स्टडी-कोई भी काम बिजी रहने से कम होता है डिमेंशिया बीमारी
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ये बात तो आपने कई बार सुनी ही होगी कि अगर किसी काम में लगे रहें या खुद को कहीं बिजी कर लें तो चिंताएं (Tension) कम सताती हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ये बात तो आपने कई बार सुनी ही होगी कि अगर किसी काम में लगे रहें या खुद को कहीं बिजी कर लें तो चिंताएं (Tension) कम सताती हैं. अब इसके एक और फायदे के बारे में जानिए. कनाडा की सिमोन फ्रेजर यूनिवर्सिटी (Simon Fraser University) के रिसर्चर्स ने अपनी नई स्टडी में बताया है कि जो बुजुर्ग कई तरह के काम में बिजी (व्यस्त) रहते हैं, उनमें डिमेंशिया (Dementia) होने का खतरा कम होता है. आपको बता दें कि डिमेंशिया एक दिमागी बीमारी है, जिसमें ब्रेन की क्षमता (Brain capacity) लगातार कम होती जाती है. ऐसा दिमाग की संरचना में बदलावों (changes in brain structure) के कारण होता है. ये बदलाव मेमोरी, सोच, बिहेवियर और मनोभाव यानी सेंटीमेंट्स को इफैक्ट करते हैं. रिसर्चर्स ने अपनी स्टडी में पाया कि किसी काम में यदि आप व्यस्त रहते हैं, तो मेमोरी की कमजोरी (memory impairment) कम होती है. खासकर 65 साल से 89 साल के लोगों में ये देखा गया कि एक्सरसाइज जैसे शौकिया काम करने के साथ यदि रिलेटिव्स से संपर्क बनाए रखा जाए, तो अन्य कामों की तुलना में मेमोरी (Memory) ज्यादा ठीक रहती है.

स्टडी का निष्कर्ष ये भी निकला कि बढ़ती उम्र के साथ विभिन्न प्रकार की एक्टिविटी में शामिल रहने का ज्यादा सकारात्मक असर होता है. जो एजुकेशन लेवल और मेमोरी बेस्ड जैसे ट्रेडिशनल फैक्टर्स से ज्यादा इफैक्ट होते हैं. इस स्टडी के निष्कर्षों को अमेरिकी मेडिकल जर्नल एजिंग (Aging) प्रकाशित किया गया है.
कैसे हुई स्टडी
स्टडी में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एजिंग्स (National Institute on Aging) के हेल्थ एंड रिटायरमेंट स्टडी (Health and Retirement Study (HRS) के डेटा और 65 से 89 साल के 3210 प्रतिभागियों को शामिल किया गया. प्रतिभागियों से 33 प्रकार के कामों में उनके पार्टिसिपेशन या इनवॉल्वमेंट को लेकर सवाल पूछे गए. इसमें कभी नहीं से लेकर, महीने में कम से कम एक बार, या महीने में कई बार, या रोजाना जैसे ऑप्शन थे.
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रिसर्चर्स ने इन एक्टिविटी के इफैक्ट्स का विश्लेषण करने के लिए एक मशीन लर्निंग मॉडल (machine learning model) विकसित किया. इस दौरान एक्टिविटीज में खाना बनाना, ताश खेलना, पढ़ना जैसे शौकिया काम से लेकर 20 मिनट तक टहलना या फैमिली मैंबर्स या फ्रेंड्स के साथ लेटर्स, ईमेल, फोन से कॉन्टैक्ट रखने या जाकर डायरेक्ट मिलने जैसे काम भी थे.
क्या कहते हैं जानकार
सिमोन फ्रेजर यूनिवर्सिटी (Simon Fraser University) के स्कूल ऑफ इंटरएक्टिव आर्ट्स एंड टेक्नोलॉजी (SIAT) के एसोसिएट प्रोफेसर और इस स्टडी के को-राइटर सिल्वेन मोरेनो (Sylvain Moreno)ने बताया कि हमारी स्टडी का निष्कर्ष है कि एक्टिव या व्यस्त रहते हुए कंप्यूटर का इस्तेमाल और वर्ड गेम्स जैसी डेली एक्टिविटी से संज्ञानात्मक ह्वास (cognitive deficit) का कम किया जा सकता है.
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उन्होंने आगे बताया कि साइंटिस्ट मानते रहे हैं कि संज्ञानात्मक स्वास्थ्य (cognitive health) को प्रभावित करने में जेनेटिक्स (genetics) मुख्य कारक होता है, लेकिन हमारे निष्कर्ष इसके उलट हैं. बढ़ती उम्र के साथ आपके दैनिक कामकाज की पंसद जीनेटिक्स या मौजूदा संज्ञानात्मक कौशल से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं.
स्टडी में क्या निकला
रिसर्चर्स का मानना है कि उनकी स्टडी के निष्कर्ष बुजुर्गों की हेल्थ नीति के लिए अहम साबित हो सकते हैं. इसमें सामाजिक एक्टिविटी को बढ़ावा देकर बुजुर्गों को मानसिक रूप से एक्टिव रखने में मदद मिल सकती है. इनमें सामुदायिक बागवानी, आर्ट क्लासेस जैसी एक्टिविटी हो सकती है.
क्योंकि बुजुर्गों में डिमेंशिया और अन्य नर्व्स के नुकसान से होने वाली बीमारियों का कोई इलाज नहीं है, इसलिए उसकी रोकथाम ही महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि उनके इस शोध के आधार पर कहा जा सकता है कि बुजुर्गों में मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने और डिमेंशिया जैसे रोगों की रोकथाम के लिए सामाजिक दृष्टिकोण वाली रणनीति अपनाना ज्यादा कारगर साबित होगी.


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