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माता-पिता की सख्ती बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालती है

हम सभी ने बचपन में कभी न कभी अपने माता या पिता से डांट जरूर खाई होगी। बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए अक्सर कई पेरेंट्स उनके साथ सख्ती से पेश आते हैं। दरअसल, कई माता-पिता का ऐसा मानना होता है कि बच्चों की सही परवरिश और उन्हें जिम्मेदार बनाने के लिए सख्त अनुशासन बेहद जरूरी है। हालांकि, जरूरत से ज्यादा सख्त अनुशासन और हर बात पर डांटने से बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। हाल ही में इसे लेकर एक स्टडी भी सामने आई है।
इस नए शोध के अनुसार, ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता उन्हें सख्त अनुशासन में रखते हैं, उन्हें लंबे समय तक मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं होने की संभावना ज्यादा होती है। कैम्ब्रिज और डबलिन विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं के इस अध्ययन में यह सामने आया कि पेरेंट्स के जरूरत से ज्यादा सख्त रवैये की वजह से ज्यादातर तीन, पांच और नौ साल के बच्चों के खराब मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर होने का खतरा ज्यादा रहता है।
इन चीजों पर भी निर्भर करती है मेंटल हेल्थ
हालांकि, इस अध्ययन यह भी साफ किया गया कि बच्चों के मेंटल हेल्थ पर पेरेंटिंग स्टाइल पूरी तरह से निर्भर नहीं करती है। बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य कई जोखिम कारकों के आधार पर आकार लेता है, जिनमें लिंग, शारीरिक स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक स्थिति आदि शामिल हैं। आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि कैसे जरूरत से ज्यादा अनुशासन आपके बच्चे पर नकारात्मक असर डाल सकता है।
भरोसे की कमी
अगर आप उन पेरेंट्स में से हैं, तो बच्चों से जुड़े सभी फैले खुद ही लेना पसंद करते हैं, तो अपनी इस आदत को बदल लें। बच्चों से जुड़े फैसलों में उनकी राय लेना बेहद जरूरी है, लेकिन अगर आप उनकी राय नहीं लेते हैं, तो इससे उन्हें अपनी इच्छाओं और भावनाओं को पहचानने में दिक्कत होने लगती है और वह खुद पर आसानी से भरोसा नहीं कर पाते।
आत्मविश्वास में कमी
अगर आप अपने बच्चे के साथ जरूरत से ज्यादा सख्ती से पेशा रहे हैं, तो इससे उनके मानसिक विकास पर भी गहरा असर पड़ता है। अक्सर ऐसे बच्चों में आत्मविश्वास कमी देखने को मिलती है। उन्हें खुद पर विश्वास नहीं हो पाता, जिसकी वजह से वह खुद के विचारों को भी अहमियत नहीं देते हैं। साथ ही वह हर काम के लिए दूसरों पर ही निर्भर रहने लगते हैं।
नई चीजें अपनाने से डर
सख्ती में पले-बढ़े बच्चों में अक्सर आत्म विश्वास की कमी देखने को मिलती है। ऐसे में वह अलग-अलग परिस्थितियों में भी एक ही तरह का व्यवहार करते हैं। इतना ही नहीं विश्वास की कमी होने की वजह से वह नई चीजों को जानने और अपनाने से भी हिचकिचाने लगते हैं।
