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इमरजेंसी में आने वाले पेट दर्द के मामले बड़े कॉमन होते हैं. अगर रोगी को बीमारी के बारे में सही जानकारी हो तो हेल्पलाइन पर डॉक्टर या नर्स से संपर्क करना ही सबसे बेहतर विकल्प है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क |पेट दर्द तेज होने पर डॉक्टर के पास जाएं या न जाएं, कई बार ये तय करना बड़ा मुश्किल हो जाता है. इमरजेंसी में आने वाले पेट दर्द के मामले बड़े कॉमन होते हैं. अगर रोगी को बीमारी के बारे में सही जानकारी हो तो हेल्पलाइन पर डॉक्टर या नर्स से संपर्क करना ही सबसे बेहतर विकल्प है. इस आर्टिकल में हम आपको पेट दर्द के तमाम कारण बताएंगे. साथ ही ये भी बताएंगे कि किस स्थिति में मरीज को मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ सकती है.
लिवर, गॉलब्लैडर या पैंक्रयाज- यदि किसी इंसान को पेट के ऊपरी हिस्से में पसलियों के ठीक नीचे दर्द होता है तो ये लिवर, गैलब्लैडर या पैंक्रयाज से जुड़ी दिक्कत का संकेत है. इसमें गैलस्टोन सबसे कॉमन कंडीशन है. गैलस्टोन पित्त वाहिका को ब्लॉक कर देता है, जिससे लिवर के फंक्शन में समस्या या पैंक्रियाज में इंफेक्शन हो सकता है, जिसे पैंक्रियाटाइटिस कहते हैं. ऐसे में यदि पेट दर्द के साथ रोगी में बुखार, उल्टी या पीली आंखें जैसे लक्षण दिख रहे हैं तो निश्चित ही उसे इमरजेंसी रूम में जाना चाहिए. ये लक्षण जानलेवा हो सकते हैं.
डायवर्टिकुलर डिसीज- कोलोन यानी बड़ी आंत में छोटी-छोटी थैलियों (पाउचिस) के कारण डायवर्टिकुलर डिसीज विकसित होती है. इसके कारण पेट में जलन और इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है. मेडिकल भाषा में इसे डायरवर्टिकुलाइटिस कहते हैं. वैसे तो डायवर्टिकुलर डिसीज मेडिकल इमरजेंसी नहीं है, लेकिन अगर रोगी को अचानक पेट में तेज दर्द, कब्ज, डायरिया, ऐंठन या सूजन जैसी दिक्कत हो रही तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें.
किडनी स्टोन- किडनी स्टोन यानी पथरी की पीड़ा बेहद दर्दनाक है, हालांकि ये जानलेवा नहीं है. पथरी में रोगी को पेट के निचले हिस्से में दर्द होना शुरू होता है जो पीछे कमर तक फैलने लगता है. साथ ही चक्कर आना, जी घबराना और ग्रोइन में दर्द भी इसके लक्षण हैं. अगर इसका दर्द बर्दाश्त के बाहर है तो रोगी को डॉक्टर के पास चले जाना चाहिए.
डीहाइड्रेशन- पेट से जुड़ी दिक्कतों के चलते उल्टी और दस्त डीहाइड्रेशन का कारण बन सकते हैं. खासकर बच्चे और बुजुर्गों में ये परेशानियां ज्यादा देखने को मिलती हैं. डिहाइड्रेशन में ड्राय स्किन और माउथ, पेशाब न आना, होंठ फटना और तेज धड़कन जैसे लक्षण दिखने पर आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए. डॉक्टर तुरंत नसों के जरिए बॉडी को फ्लूड देकर रोगी की जान बचा सकते हैं.
अपेंडिसाइटिस- अपेंडिसाइटिस अपेंडिक्स का ही एक इंफेक्शन है. इलाज न मिलने की स्थिति में अपेंडिक्स बिगड़ सकता है. पेट के बीच में होने वाले अचानक तेज दर्द का धीरे-धीरे दाईं तरफ बढ़ना अपेंडिसाइटिस का संकेत है. इसमें दर्द भी अलग-अलग तरह के होते हैं. गर्भनाल के आस-पास हल्का सा दर्द पेट दाईं ओर फैलते हुए तेज होता चला जाता है. अपेंडिक्स का दर्द होने पर मरीज को इमरजेंसी मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए जाना चाहिए. इसमें डॉक्टर अपेंडिक्स निकलवाने और एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह दे सकते हैं.
रक्त वाहिकाओं का टूटना या ब्लीडिंग- हमारा पेट रक्त वाहिकाओं से भरा रहता है. यहां शरीर की सबसे बड़ी 'ऑर्टा' नामक रक्त वाहिका भी होती है. ऑर्टा में पंक्चर होने या कट लगने पर कई बार ऑर्टिक डिसेशन की समस्या होने लगती है. पेट की रक्त वाहिकाओं का टूटना या उनसे ब्लीडिंग जिंदगी को खतरे में डाल सकता है. पेट में अचानक से पेट दर्द इसका सबसे प्रमुख लक्षण है. कुछ लोगों को सांस में तकलीफ, तेज हार्ट बीट या सिर चकराने की दिक्कत भी होती है. पेट दर्द के साथ ये तमाम लक्षण दिखने पर आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.
इंटसटाइन ब्लॉकेज- आंतों में ब्लॉकेज अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में कठिनाई पैदा कर सकता है. कुछ ब्लॉकेज आंशिक रूप से किसी आंत को बंद कर सकते हैं, जबकि कुछ ब्लॉक पूरी आंत को ही बंद कर देते हैं. पूरी आंत का अचानक से ब्लॉक हो जाना जानलेवा हो सकता है. ट्यूमर, इन्फ्लामेटरी बॉवेल डिसीज या हर्निया जैसी बीमारी के चलते भी इंसान की आंत ब्लॉक हो सकती है.
इंटसटाइन ब्लॉकेज-आंतों में ब्लॉकेज का सबसे खतरनाक कारण वॉल्वुलस होता है. वॉल्वुलस उस वक्त विकसित होता है जब पेट में कोलोन अपने आप मुड़ने लगे. ऐसे में अगर रोगी को समय पर इलाज न मिले तो वॉल्वुलस आंत को फाड़ देगा या टिशू डेथ का कारण बन जाएगा. पेट दर्द, पेट में ऐंठन, पेट में सूजन, बुखार, तेज धड़कन, मल में खून इसके प्रमुख लक्षण हैं. ये तमाम लक्षण दिखने पर रोगी को तुरंत इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाना चाहिए.
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