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आज के इस दौर में बच्चों को डायपर पहनाने का चलन काफी ज्यादा बढ़ गया है। नवजात बच्चे को शुरुआत से ही डायपर पहनाया जाने लगा हैं। जबकि पहले के समय में मां-बाप छोटे बच्चों काे सूती कपड़े के घर पर बने नैपी पैड पहनाया करते थे। हालांकि इनको बार-बार बदलना पड़ता था। इसी परेशानी को देखते हुए आजकल डायपर की सुविधा को अपनाया जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि डायपर की यह सुविधा बच्चों के लिए परेशानी का कारण बन सकती हैं। आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अपनी मेहनत बचाने और आसान उपायों को ढूढ़ने के चक्कर में आप अपने बच्चे के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न करें। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह डायपर के साइड इफेक्ट बच्चों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आइये जानते हैं...
इंफेक्शन हो सकता है
बच्चों की स्किन बड़ों की तुलना में काफी सेंसटिव होती है। ज्यादा लंबे समय तक डायपर के इस्तेमाल से इंफेक्शन होने की सम्भावना बनी रहती है। दरअसल, डायपर में कई तरह के कैमिक्लस होते हैं। साथ ही प्लास्टिक की एक तह भी होती है, जो गीलापन तो महसूस नहीं होने देती है लेकिन हवा पास न होने की वजह से ये इंफेक्शन की वजह बन सकती है।
टॉक्सिटी का कारण बन सकता है
डायपर केमिकल्स और सिंथेटिक चीजों से बनाए जाते हैं। शिशु को अधिक समय तक डायपर पहनाएं रखने से उन्हें नुकसान हो सकता है। कई लोग एक दिन में आठ से दस डायपर का इस्तेमाल करते हैं। खासकर रात को बार-बार उठने और बिस्तर गीला होने से बचने के लिए आप बच्चे को रातभर डायपर पहनाकर रखते हैं। इन कारणों से बच्चे की स्किन लंबे समय तक केमिकल्स के संपर्क में रहती है और इससे बच्चे के शरीर पर नुकसान हो सकता है। इससे शरीर में टॉक्सिटी बढ़ सकती है।
बन सकता है मेल इनफर्टिलिटी का कारण
वैज्ञानिक बताते हैं कि डायपर का लगातार इस्तेमाल मेल इन्फर्टिलिटी यहां तक कि वृषण कैंसर का भी कारण बन सकता है। अमेरिका के पीडियाट्रिक्स जर्नल के अनुसार, आमतौर पर डायपर को हर 2-3 घंटे में बदल देना चाहिए। बच्चे को डायपर में कई घंटों तक लगातार नहीं रहने दें। डायपर गीला महसूस हो, तो बदल दें। यदि बच्चे को पॉटी हो गई है, तो डायपर को तुरंत बदल देना चाहिए। नया डायपर पहनाने से पहले बच्चे को हर बार साफ करना चाहिए। स्टडी के अनुसार, बच्चों की समस्या तब और बढ़ जाती है जब जरूरत से कम बार बच्चे का डायपर बदला जाता है।
एलर्जिक रिएक्शन
डायपर बनाने वाली कुछ कंपनियां इसे बनाते समय सिंथेटिक फाइबर, डाइज और केमिकल प्रोडक्ट का इस्तेमाल करती हैं। ये सभी हार्श केमिकल आपके बच्चे की नाजुक-कोमल त्वचा को नुकसान पहुचाकर उसे एलर्जी की समस्या दे सकते हैं। ऐसे में डायपर का चुनाव करते समय हमेशा सोफ्ट और स्किन फ्रेंडली मटेरियल से बने डायपर को चुनें।
स्किन रैशेज
लंबे समय तक गीले गंदे डायपर में रहने से डायपर में बैक्टीरिया पैदा होने लगते हैं जो त्वचा पर रैशेज और छाले पैदा कर सकते हैं। ऐसे में बच्चे को रैशेज से बचाने के लिए समय-समय पर बच्चे का डायपर बदलती रहें और उसकी साफ सफाई का भी ध्यान रखें।
बच्चे को टॉयलेट ट्रेनिंग देने में परेशानी
अपने बच्चे को हर समय डायपर पहनाए रखने से आपको उसे टॉयलेट ट्रेनिंग देने से परेशानी हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चों को डायपर में पेशाब और पॉटी करने की आदत पड़ जाती है और पैरेंट के लिए भी यह सुविधाजनक होता है, हालांकि, बाद में जब आप अपने बच्चे को पॉटी कराने की कोशिश करती हैं, तो बच्चा रोता है, परेशान करता है। वैसे अच्छा यही होता है कि बच्चे को जल्दी ही टॉयलेट ट्रेनिंग देना शुरू कर दें।
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Kajal Dubey
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