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स्वास्थ्य खराब कर सकता है पटाखों का धुंआ

Rani Sahu
22 Oct 2022 7:03 PM GMT
स्वास्थ्य खराब कर सकता है पटाखों का धुंआ
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दिवाली जगमग रोशनियों का पर्व है और बिना पटाखों के इस उत्सव को पूरा नहीं माना जाता जब‍ पल भर को ही सही, सारा आकाश प्रकाश से नहा उठता है। लेकिन यही वह पल होता है जब हमारे पर्यावरण और सेहत (environment and health) को काफी नुकसान भी पहुंचता है। पटाखों (firecrackers) से हवा में धूल और प्रदूषक तत्वों की मात्रा बढ़ती है। पटाखों को बनाने के लिए सल्फर, जिंक, कॉपर और सोडियम जैसे रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है और जलने के बाद ये रसायन नीचे बैठते हैं और हमारे वातावरण में घुलकर हमारी सेहत के लिए जोखिम बढ़ाते हैं। सल्‍फर डाइ ऑक्‍साइड और कार्बन मोनोऑक्‍साइड शरीर में प्रवेश कर रिएक्टिव ऑक्‍सीजन परमाणु बनाते हैं जो फेफड़ो के लिए नुकसानदायक होते हैं। इनसे लड़ने के लिए शरीर का इम्‍यून सिस्‍टम सक्रिय हो जाता है और यह लंग्‍स (फेफड़ों) में इंफ्लेमेशन बढ़ाता है।
सांस नहीं आना या छाती में जकड़न महसूस होना
लगातार खांसी होना गले में जलन का लक्षण हो सकती है और अगर इसके साथ ही, सांस लेने में कठिनाई भी महसूस हो रही है तो यह गंभीर मामला हो सकता है। यदि अस्थमा अटैक को दवाओं से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है तो यह चिंता का कारण हो सकता है।
समाधान: फेफड़ों के रोगों और श्‍वसन एलर्जी के शिकार लोगों को दिवाली के दौरान घरों से बाहर निकलने से बचना चाहिए। यदि ऐसा करना मुमकिन नहीं हो तो एन95 मास्‍क का प्रयोग करना चाहिए, जो हवा में मौजूद कम-से-कम 95% प्रदूषक तत्‍वों को रोकता है। साधारण सर्जिकल मास्‍क इन प्रदूषक तत्‍वों से बचाव नहीं कर सकता क्‍योंकि ये मास्‍क इन तत्‍वों को रोकने में कारगर नहीं होता। इन्‍हेलर्स साथ रखें। इस दौरान, नियमित रूप से स्‍टेरॉयडल कंट्रोल ड्रग्‍स का इस्‍तेमाल करने की सलाह दी जाती है। इसलिए, इन्‍हेलर या नैब्‍यूलाइज़र अपने पास रखें। यदि इन्‍हेलेशन के बाद भी आपको बेहतर महसूस न हो तो तुरंत अस्‍पताल जाएं। यदि बचाव की दवाओं के कुछ पफ लेने के बाद भी लक्षणों में राहत न मिले तो डॉक्‍टर से संपर्क करें।
गले, आंख और त्वचा में जलन
अल्युमिनियम और आर्सनिक सल्फाइड पटाखों में रंग-बिरंगे स्पार्कल पैदा करते हैं लेकिन इनकी वजह से कुछ लोगों को जलन की शिकायत हो सकती है, खासतौर से छोटे बच्चों को, और रसायनों के संपर्क में आने पर त्वचा में रैशेज़ हो सकते हैं। इनके जलने से आंखों लाल हो सकती हैं और जलन भी हो सकती है, तथा गले में खराश और दर्द हो सकता है।
समाधान: अपनी त्वचा को एलर्जी के संपर्क में आने से बचाने के लिए पूरी बाजू के सूती कपड़े पहनें। यदि लाल रैशेज़ दिखायी दें तो पानी से त्वचा को धोएं और उस पर कैलामाइन लोशन लगाएं। फिर भी जलन कम न हो तो सिट्राजिन लें।
सिरदर्द या चक्कर आना
शोर और वायु प्रदूषणों से सिरदर्द तथा चक्कर आने की शिकायत हो सकती है, खासतौर से बच्चों और गर्भवती महिलाओं को यह शिकायत ज्यादा हो सकती है।
समाधान: सिररदर्द का इलाज करने के लिए पैरासिटामोल लें। साथ ही, पानी और अन्य पेय जैसे कि नींबू पानी, नारियल पानी या सूप वगैरह भी पीना न भूलें। अगर सिरदर्द और चक्कर आने के साथ-साथ उल्टी भी आ रही हो तो डॉक्टर से मिलें।
जलन : पटाखों को असावधानी से चलाने पर दुर्घटनावश जल भी सकते हैं।
समाधान ः यदि स्किन पर छाले नहीं हुए हैं और जला हुआ भाग 4-5 से.मी से अधिक नहीं है तो इसका उपचार घर पर ही किया जा सकता है। यदि किसी ऐसी जगह पर जला है जो सेंसिटिव है, जैसे कि चेहरा तो डॉक्‍टर से मिलें ताकि दाग से बचाव हो सके। जले हुए भाग को 15-20 मिनट पानी के नीचे रखें, ऐसा करने से जलन कम होती है। बर्फ का इस्तेमाल न करें क्योंकि इससे त्वचा को और नुकसान पहुंचता है। बरनौल या टूथपेस्ट न लगाएं क्योंकि ये त्वचा को सांस लेने से रोकते हैं, इनकी बजाय एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करें। एंटीबायोटिक लगाने के बाद मेडिकेटेड सॉफ्रा टफल गेज़ से घाव को ढकें।

Source : Hamara Mahanagar

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