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स्मार्टफोन ऐप से अब हो सकेगा नवजात शिशुओं में जॉन्डिस का टेस्ट - स्टडी जाने पूरी खबर

कई न्यूबॉर्न बेबी में जॉन्डिस (Jaundice) यानी पीलिया जन्मजात ही होता है और इस वजह से उनमें से कई की मौत भी हो जाती है. लेकिन, साइंटिस्ट्स द्वारा अब एक ऐसे ऐप का डेवलप किया गया है, जिससे जल्द नवजात बच्चों में पीलिया (जॉन्डिस) की जांच की जा सकेगी और उनकी जान बचाई जा सकेगी. इस स्मार्ट फोन ऐप का नाम नियोनेटल स्क्लेरल-कंजंक्टिवल बिलीरुबिन यानी नियो एससीबी (neoSCB) है, जिसे यूनिवर्सिटी कालेज लंदन के डॉक्टर्स और इंजीनियर्स ने मिलकर बनाया है. स्टडी टीम ने पीलिया की जांच के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल अफ्रीकी देश घाना (Ghana) में जन्मे करीब 300 नवजात बच्चों पर किया. इससे पहले, इस तकनीक का सबसे पहले इस्तेमाल 2020 में यूनिवर्सिटी कालेज लंदन अस्पताल (यूसीएलएच) में 37 बच्चों पर किया गया था.
जर्नल 'पीडियाट्रिक्स (Pediatrics)' में प्रकाशित इस स्टडी की रिपोर्ट में रिसर्चर्स ने कहा कि टीम ने आंखों के सफेद हिस्से के पीलेपन को मापने के लिए फोटोज लीं और उनकी बारीकी से स्टडी की
इस ऐप से कैसे हुआ नवजात बच्चों का पीलिया टेस्ट
टीम ने देखा कि इसमें कितना पीलापन है. सामान्य तरीके से इस पीलेपन को देख पाना असंभव है. ऐसे में नियो एससीबी ऐप के जरिये पीलिया की पहचान काफी पहले की जा सकती है और ये पता लग सकता है कि इस बीमारी का क्या डायग्नोज हो सकता है. इस ऐप से 336 नवजात बच्चों का टेस्ट किया गया. इनमें से 79 नवजात बच्चों में पीलिया के गंभीर लक्षण थे और ऐप ने इनमें से 74 की सही पहचान की. इसके बाद जरूरी इलाज को निर्धारित करने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है.
क्या कहते हैं इस ऐप को डेवलप करने वाले
इस ऐप को डेवलप करने में अहम भूमिका निभाने वाले डॉक्टर टेरेंस लियंग (Terence Leung) का कहना है, ये स्टडी दर्शाती है कि अभी जिन कॉमर्शियल उपकरणों (commercial equipment) का पीलिया का पता लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, नियो एससीबी (neoSCB) ऐप उनसे ज्यादा बेहतर और अच्छा है. सबसे अच्छी बात ये है कि नियो एससीबी ऐप को इस्तेमाल करने के लिए सिर्फ स्मार्ट फोन की जरूरत पड़ती है और अभी जो कॉमर्शियल उपकरण इस्तेमाल किए जा रहे हैं, उनके मुकाबले इसकी लागत 10 गुना कम है.
उन्होंने आगे कहा, हमें उम्मीद है कि एक बार व्यापक रूप से शुरू हो जाने के बाद हमारी तकनीक को दुनिया के उन हिस्सों में नवजात बच्चों को बचाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जो महंगे स्क्रीनिंग उपकरण नहीं खरीद सकते.
नवजात शिशु में कितना खतरनाक है पीलिया
आंखों में पीलापन बिलीरुबिन (bilirubin) नामक पदार्थ के कारण पैदा होता है. इसकी गंभीरता बढ़ने पर ये ब्रेन में प्रवेश कर सकता है, जिससे बच्चों में अपंगता, सुनने की क्षमता कम होना, सेरेब्रल पल्सी जैसी न्यूरोलॉजिकल डिजीज, शरीर के विकास में देरी समेत मौत होने का खतरा बढ़ जाता है.
एक अनुमान के मुताबिक, गंभीर पीलिया से दुनियाभर में हर साल 1 लाख 14 हजार नवजातों की मौत हो जाती है और 1लाख 78 हजार अक्षमता के शिकार हो जाते हैं. लेकिन अगर इस बीमारी का सही समय पर पता चल और सही इलाज हो तो इन घटनाओं में काफी कमी लाई जा सकती है.