धर्म-अध्यात्म

Skanda Sashti Vrat Katha: स्कंद षष्ठी पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, पूरी होगी हर मनोकामना

Bharti Sahu 2
7 Dec 2024 1:41 AM GMT
Skanda Sashti Vrat Katha: स्कंद षष्ठी पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, पूरी होगी हर मनोकामना
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Skanda Sashti Vrat Katha: हिंदू पंचांग के अनुसार स्कंद षष्ठी हर माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के बड़े पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती है. मान्यताओं के अनुसार, भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से सुख-समृद्धि, सौभाग्य और सफलता की प्राप्ति होती है. इस दिन व्रत करने के साथ पूजा के दौरान स्कंद षष्ठी की व्रत कथा भी पढ़ी जाती है. जिसको सुनने या पढ़ने से मन को शांति मिलती है.
स्कंद षष्ठी व्रत कथा Skanda Sashti Vrat Katha
पौराणिक कथाों के अनुसार, राजा दक्ष के यज्ञ में माता सती के भस्म होने के बाद भगवान शिव वैरागी हो गए और वे तपस्या में लीन हो गए, जिससे सृष्टि शक्तिहीन हो गई थी. इसके बाद दैत्य तारकासुर ने देवलोक में अपना आतंक फैला दिया और देवताओं की पराजय हुई. धरती हो या स्वर्ग सब जगह अन्याय और अनीति का बोलबाला हो गया. इससे देवताओं ने तारकासुर के अंत के लिए ब्रह्माजी से प्रार्थना की. इस पर ब्रह्माजी ने बताया कि शिव पुत्र ही तारकासुर का अंत कर सकेगा|
तब सभी देवताओं और इंद्र ने शिवजी को समाधि से जगाने का प्रयत्न किया और इसके लिए उन्होंने भगवान कामदेव की भी मदद ली थी. कामदेव अपने बाण से शिव पर फूल फेंकते हैं, जिससे उनके मन में माता पार्वती के लिए प्रेम की भावना विकसित हो. इससे शिवजी की तपस्या भंग हो जाती हैं और वे क्रोध में आकर अपनी तीसरी आंख खोल देते हैं. इससे कामदेव भस्म हो जाते हैं. तपस्या भंग होने के बाद वे माता पार्वती की तरफ खुद को आकर्षित पाते हैं|
जब इंद्र और अन्य देवता भगवान शिव को अपनी समस्या बताते हैं. तब भगवान शिव पार्वती के अनुराग की परीक्षा लेते हैं, पार्वती की तपस्या के बाद शुभ घड़ी में शिव पार्वती का विवाह होता है. इसके बाद कार्तिकेय का जन्म होता है और सही समय पर कार्तिकेय तारकासुर का वध कर देवताओं को उनका स्थान दिलाते हैं. मान्यता है कि कार्तिकेय का जन्म षष्ठी तिथि पर हुआ था, इसलिए षष्ठी तिथि पर कार्तिकेय की पूजा की जाती है|
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