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वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में एक छोटा सा कृत्रिम मानव मस्तिष्क किया तैयार

Tara Tandi
20 Aug 2021 5:31 AM GMT
वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में एक छोटा सा कृत्रिम मानव मस्तिष्क किया तैयार
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आंखों की आकृति ने वैज्ञानिकों को हैरत

मानव शरीर को ईश्वर का सबसे बेहतरीन आविष्कार कहा जाता है। मानव अंगों की बारीकियों और अंगों की कार्यप्रणाली के बारे में वैज्ञानिक लगातार नए शोध करते रहते हैं। अब वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में एक छोटा सा कृत्रिम मानव मस्तिष्क (मिनी ब्रेन) विकसित किया है। हालांकि इस दौरान इसमें उभरी आंखों की आकृति ने वैज्ञानिकों को हैरत में जरूर डाल दिया।

स्टेम कोशिकाओं की मदद से तैयार किया : जर्मनी के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल डुसेलडॉर्फ के वैज्ञानिकों ने इस कृत्रिम दिमाग को विकसित करने में सफलता पाई है। न्यूरोसाइंटिस्ट जय गोपालकृष्णन के अनुसार, उनकी टीम इंसानी दिमाग के बारे में और अधिक जानकारी जुटाने के उद्देश्य से प्रयोगशाला में यह प्रयोग कर रहे थे।

विकसित किए गए दिमाग में एक वयस्क इंसान की स्टेम कोशिकाओं का उपयोग किया गया। उसे लैब में सही तापमान और सही माहौल में बड़ा किया जा रहा था। गौरतलब है कि स्टेम कोशिकाओं में कई तरह के टिश्यू उगाने की क्षमता होती है इसलिए इस बार इनसे दिमाग उगाया गया। प्रयोग के दौरान यह स्टेम कोशिकाओं की मदद से यह असली मस्तिष्क की तरह से ही वृद्धि करता हुआ नजर आया।

अचानक मस्तिष्क पर उभर आईं आंखें : इस प्रयोग के दौरान वैज्ञानिकों को उस समय बेहद हैरानी हुई, जबकि बढ़ते हुए मानव मस्तिष्क पर अचानक से आंखों की आकृति उभर आई। वैज्ञानिक अब इसकी जांच में जुट गए हैं। अपनी रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने बताया कि लैब की कटोरी में दो इंसानी दिमाग उगाए थे, वो लगातार इसकी बारीकियों की निगरानी कर रहे थे, इसी दौरान इसपर आंखों जैसी आकृति उभर आई, जो रोशनी से प्रभावित होती है। वैज्ञानिकों को कहना है कि आंखों के उगने से अब हम दिमाग और आंखों की बीमारियों के जुड़ाव पर काम शुरू करेंगे।

नेत्र रोगों के बेहतर ढंग से समझने में मददगार

नेत्र विकास एक जटिल प्रक्रिया है और इसे समझने से प्रारंभिक रेटिना रोगों के आणविक आधार को कम करने की अनुमति मिल सकती है। शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी देते हुए कहा कि यह अविश्वसनीय परिणाम हमें नेत्र विभेदन और विकास की प्रक्रिया के साथ-साथ नेत्र रोगों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा। इस आविष्कार से संबंधित शोध पत्र स्टेम सेल पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।




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