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वैज्ञानिकों ने किया सावधान, शरीर में फैट का बढ़ना कमजोर कर सकता है आपका दिमाग

Gulabi
7 March 2022 2:25 PM GMT
वैज्ञानिकों ने किया सावधान, शरीर में फैट का बढ़ना कमजोर कर सकता है आपका दिमाग
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वैज्ञानिकों ने किया सावधान
बढ़ता हुआ वजन कई तरह के रोगों का कारण बन सकता है। अध्ययनों में वजन बढ़ने के कारण हृदय रोग, डायबिटीज जैसी कई बीमारियों के खतरे के बारे में जिक्र मिलता है। वजन बढ़ना, विशेषकर पेट के आसपास जमा होने वाली चर्बी न सिर्फ आपके लुक को बिगाड़ देती है, साथ ही इसका असर आपकी मानसिक क्षमता पर भी पड़ सकता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने शरीर में वसा के अधिक जमाव के संज्ञानात्मक कार्य क्षमता पर नकारात्मक असर के बारे में पता लगाया है। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि शरीर में अधिक फैट की मात्रा वय,स्कों में समय के साथ होने वाले विकास की रफ्तार को भी प्रभावित कर सकती है।
अब तक हुए तमाम अध्ययनों में वैज्ञानिक, बेली फैट या शरीर के अधिक वजन के कारण हृदय और डायबिटीज जैसे रोगों के बढ़ते खतरे के बारे में सचेत करते रहे हैं। अब जामा जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में इसके बौद्धिक क्षमता पर नकारात्मक असर के बारे में पता चला है। शोधकर्ताओं का कहना है कि सभी लोगों को लगातार अपने वजन को नियंत्रित रखने के प्रयास करते रहने चाहिए। बढ़ा हुआ वजन कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में शरीर के अधिक फैट के संज्ञानात्मक कार्य क्षमता पर पड़ने वाले असर के बारे में जानते हैं।
बढ़े हुए वजन के कई तरह के नुकसान
अध्ययन में क्या पता चला?
वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन के लिए अधिक वजन के शिकार 9,166 प्रतिभागियों को शामिल किया। प्रतिभागियों के शरीर में वसा का आकलन करने के लिए बायोइलेक्ट्रिकल इंपेडेंस विश्लेषण तकनीक को प्रयोग में लाया गया। इसके अलावा 6,733 प्रतिभागियों के पेट की चर्बी को मापने के लिए एमआरआई किया गया। एमआरआई के माध्यम से वैस्कुलर ब्रेन इंजरी का भी आकलन किया गया जिससे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह के बारे में पता लगाया जा सके। अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं ने पाया कि बेली फैट अधिक होने का कॉगनेटिव फंक्शन पर नकारात्मक असर हो सकता है।
क्या कहते हैं अध्ययनकर्ता?
डीग्रोट स्कूल ऑफ मेडिसिन में मेडिसिन की प्रोफेसर और हैमिल्टन हेल्थ साइंसेज में वैस्कुलर मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ सोनिया आनंद बताती हैं, शरीर में वसा की मात्रा को कम करने के प्रयास करके संज्ञानात्मक कार्य को बेहतर बनाए रखने में मदद मिल सकती है। शरीर का बढ़ा हआ वजन न सिर्फ डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी कार्डियोवस्कुलर बीमारियों के जोखिम को बढ़ा देता है साथ ही यह कुछ स्थितियों में वस्कुलर ब्रेन इंजरी का भी कारण बन सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर असर
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलगरी में क्लीनिकल न्यूरोसाइंसेज के प्रोफेसर और वैज्ञानिक एरिक स्मिथ कहते हैं, कॉगनेटिव फंक्शन पर समय रहते ध्यान देकर बुढ़ापे में होने वाले डेमेंशिया के खतरे को भी काफी हद तक कम करने में मदद मिल सकती है। यह अध्ययन इस बात पर जोर देता है कि स्वस्थ आहार और शारीरिक गतिविधि को दिनचर्या में शामिल करने न सिर्फ आप वजन को नियंत्रित रख सकते हैं, साथ ही यह समय के साथ होने वाली मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को कम करने में भी मददगार है।
क्या है अध्ययन का निष्कर्ष?
अध्ययन के निष्कर्ष में शोधकर्ताओं ने बताया कि शरीर का अधिक वजन, विशेषकर बेली फैट के बढ़ने की समस्या संपूर्ण स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। इसे सिर्फ डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर तक सीमित करके नहीं देखा जाना चाहिए। सभी लोगों को लगातार वजन कम करने के प्रयास करते रहने की आवश्यकता है। अगर समय से इस दिशा में ध्यान दिया जाए तो कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के विकास को प्रतिबंधित करने में मदद मिल सकती है।


स्रोत और संदर्भ
Evaluation of Adiposity and Cognitive Function in Adults
अस्वीकरण: यह हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। इस लेख में दी गई जानकरी के लिए जनता से रिश्ता उत्तरदायित्व नहीं है
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