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वैज्ञानिक ने की खोज: इस स्थान पर मिली ये नई प्रजाति की बैबलर चिड़िया
चिड़िया
जनता से रिश्ता बेवङेस्क| एक नई प्रजाति की बैबलर चिड़िया की खोज के रूप में खोजा गया यह एक छोटा रेजीडेंट पक्षी पफ थ्रोटेड बैबलर है |एक नई प्रजाति की बैबलर चिड़िया की खोज के रूप में खोजा गया यह एक छोटा रेजीडेंट पक्षी पफ थ्रोटेड बैबलर है |एक नई प्रजाति की बैबलर चिड़िया की खोज के रूप में खोजा गया यह एक छोटा रेजीडेंट पक्षी पफ थ्रोटेड बैबलर है | जिसका वैज्ञानिक नाम पेलोर्नियस रूफीसेप्स है। राज्य के ख्यातनाम पयार्वरण वैज्ञानिक और टाइगर वॉच के फील्ड बॉयोलोजिस्ट डॉ. धमेर्न्द्र खण्डाल, दक्षिण राजस्थान में जैव विविधता संरक्षण के लिए कार्य कर रहे पयार्वरण वैज्ञानिक डॉ. सतीश शमार् एवं हरकीरत सिंह संघा ने इसकी खोज की है। इस नई उपलब्धि पर 'इंडियन बर्ड्स' के अंक 16 के भाग 5 में विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की गई है।
पक्षी विज्ञानी डॉ सतीश शमार् ने बताया कि यह एक वेबलर वर्ग का सदस्य है। जिसकी चोंच एवं पैर ललाई लिए हुए हल्के गुलाबी होत है। सिंर का रंग हल्का चॉकलेटी तथा पीठ का रंग हल्का काला, गला एकदम सफेद तथा छााती पर टूटती गहरी धारियां होती है। आंख के ऊपर सफेद रंग की धारी काली लंबी होकर पीेछे गर्दन तक फैली रहती है। यह जोड़े या छोटे दलों में रहकर जंगल में नीचे गिरी पड़ी पत्तियों के झुरमुट में भूमि पर पड़े कीडे-मकौड़े खाती है।
इस प्रकार की प्रजाति गुजरात के विजयनगर स्थित पोलो फोरेस्ट में मिली है। यह बैबलर प्रजाति भारत के सतपुड़ा बिहार एवं उडीसा के पठारी क्षेत्र, पूवीर् एवं पश्चिमी घाट के क्षेत्र, राजमहल पहाडिया (मध्य पश्चिमी बिहार), केरल के पलक्कड (पालघाट) क्षेत्र, चितेरी पहाडिया आदि क्षेत्रों में पाई जाती है। राज्य में पहली और नई खोज के लिए स्थानीय पक्षी प्रेमियों ने हर्ष व्यक्त किया।