लाइफ स्टाइल

बच्चे को बचाएं नकारात्मक ख़बर के असर से

Kajal Dubey
5 May 2023 3:47 PM GMT
बच्चे को बचाएं नकारात्मक ख़बर के असर से
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आसान नहीं है बच्चों की परवरिश. मैं ही नहीं मेरे जैसी सभी मांएं इस बात से सहमत होंगी. आज के समय में हमारे बच्चों के लिए हर तरह का मीडिया और हर तरह की जानकारी इतनी सहजता से उपलब्ध है कि हर मां को डर लगा रहता है कि कहीं मेरे बच्चे का बचपना छिन न जाए. बच्चे कई बार ऐसे सवाल कर जाते हैं कि जवाब देते ही नहीं बनता. मेरे बेटे ने जब अच्छी तरह हिंदी पढ़ना सीखा था तो मैं और मेरे पति बहुत उत्साहित रहते थे. हम रोज़ उसे हिंदी और इंग्लिश पेपर की खबरें पढ़ने को कहते थे. अब यह उसकी आदत में आ गया है और आलम ये है कि उसके पेपर पढ़ने के बाद ही अब पेपर हमारे हाथ लग पता है. इसी बीच जब उसके एग्ज़ाम्स आए तो मैं उसे हिंदी की एक कविता याद करा रही थी. कविता का शीर्षक था इनसे सीखो. कविता कुछ यूं थीं-
चांद से शीतल बनना सीखो सूरज से तप जाना, विपदाओं में घिर जाओ तो कभी नहीं घबराना
अगले दिन उसने पेपर में घटी एक घटना पढ़ी. जिसमें एक महिला ने अपने दो बच्चो को उन्नीसवीं मंजिल से नीचे फेंक कर खुद भी ख़ुदकुशी कर ली. वो दौड़ता हुआ मेरे पास आया कहने लगा,‘मां ये देखो एक मम्मा ने अपने बच्चों को फेंक दिया. उन्होंने ऐसा क्यों किया. वो कितनी बुरी मां हैं न?’ मैं आवाक्-सी उसे देखती रही. फिर उसके बाल सुलभ मन की जिज्ञासा शांत करने का जवाब सोचने लगी. मैं नहीं जानती कि कैसे पर अचनाक मुझे उसकी हिंदी की कविता के बोल सुनाई देने लगे और मैंने उसे बताया,‘बेटे, शायद उन आंटी ने तुम्हारी वो कविता नहीं पढ़ी थी कि, विपदाओं में घिर जाओ तो कभी नहीं घबराना. वो किसी विपदा से घबरा गईं और उन्होंने ये ग़लत कदम उठाया.’ मेरे बच्चे के मासूम चेहरे के भाव बदले और उसने कहा,‘मां फिर वो बुरी नहीं थीं, पर उनको कविता पढ़नी चहिए थी और ऐसा नहीं करना चाहिए था.’
कुछ देर में उसका बचपन तो ये बात भूल गया पर मैंने न जाने कितनी बातें सोच लीं- इसका पेपर पढ़ना बंद करवा दूं? इससे इस घटना पर और बात करूं‌ कि ख़ुदकुशी क्यों ग़लत है? पता नहीं इसके मन पे क्या असर पड़ेगा? फिर सोचा कि इन सब बातों को सोचने के बजाय समय-समय पर उसकी जिज्ञासा का सही समाधान करना ही मेरा काम है. इस सोच ने मुझे बड़ी राहत दी. मैं सभी मांओं से यह कहना चाहूंगी कि अपने बच्चों को ख़बरों में बढ़ रही नकारात्मकता के असर से बचाने के लिए उनसे इन विषयों पर बात करें. उनका ओपिनियन जानें और उनका मार्गदर्शन करती रहें. तभी हम उन्हें नकारात्मक ख़बरों के असर से वाकिफ़ कराते हुए सकारात्मक दिशा में ले जा सकेंगे.
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