लाइफ स्टाइल

हाथों से सजाई जाती है संबलपुरी साड़ी, वॉर्डरोब में आप भी करें शामिल

Manish Sahu
26 Sep 2023 3:57 PM GMT
हाथों से सजाई जाती है संबलपुरी साड़ी, वॉर्डरोब में आप भी करें शामिल
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लाइफस्टाइल: हर इंडियन वुमेन के वॉर्डरोब में तरह-तरह की साड़ी होती हैं। कांजीवरम साड़ी से लेकर जामदानी साड़ी, सिल्क साड़ी, बनारसी साड़ी, कलमकारी वाली साड़ी होती हैं, लेकिन संबलपुरी साड़ी बहुत कम देखने को मिलती है। ऐसा इसलिए क्योंकि संबलपुरी साड़ियां काफी महंगी होती हैं। हालांकि, ये साड़ियां दिखने में काफी सिंपल होती हैं, लेकिन उन्हें बनाने में उतने ही मेहनत लगती है।
यही वजह है कि संबलपुरी साड़ी, सिल्क या कांजीवरम या कोई भी हैंडलूम साड़ी जो आपको एलीगेंट लुक देती है, उनकी कीमत कई लाखों में होती हैं। वहीं, पटोली सिल्क साड़ी को बनाने में जिस तरह से कई महीनों का समय लगता है उसी तरह से कांथा वर्क साड़ी, कांजीवरम साड़ी भी कई दिनों, हफ्तों और महीनों में तैयार होती है। ऐसे ही संबलपुरी साड़ी भारत के ओडिशा राज्य में बनाया जाता है।
ये पारंपारिक साड़ियां हाथ से बुनी हुई होती हैं। तो आइए आपको बताते हैं संबलपुरी साड़ियों से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें, जिसे जानने के बाद वॉर्डरोब में शामिल करने के लिए आप मजबूर हो जाएंगे।
हाथ से बुनाई जाती हैं संबलपुरी साड़ियां
संबलपुरी साड़ियां अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती है। इस साड़ी की बुनाई, रंग और डिजाइन बहुत खूबसूरती तैयार किया जाता है। इस साड़ी को बनाने के लिए कॉटन और सिल्क के कपड़े का इस्तेमालकिया जाता है।
इसपर हाथ से डिजाइन किया जाता है, जिसमें बुनाई से पहले ताना और बाने को टाई से रंगा जाता है। संबलपुरी साड़ियों में आपको हर तरह की वैरायटी मिल जाएगी, बस आपको असली और नकली साड़ियों में फर्क मालूम होना चाहिए।
टाई-एंड-डाई तकनीक से बनाई जाती है संबलपुरी साड़ियां
संबलपुरी साड़ियों को जो चीज़ अलग करती है, वह है उनकी हाथ से बुनी गई शिल्प कौशल। हर साड़ी कुशल कारीगरों की कड़ी मेहनत से बनाई जाती है, जिसका डिजाइन दिल को छू जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि हर साड़ियों को हाथ से बुना जाता है।
इसमें क्या खास बात है? बता दें कि इन साड़ियों को तैयार करने के लिए टाई-एंड-डाई तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है और विशेष प्रकार का धागे का इस्तेमाल किया जाता है।
संबलपुरी साड़ियां संस्कृति का है प्रतीक
संबलपुरी साड़ियों सिर्फ एक परिधान नहीं है, बल्कि संस्कृति का भी एक प्रतीक है। इस साड़ी से कई तरह की कहानियां जुड़ी हुई हैं, जो एक स्थानीय लोककथाओं को बखूबी बयां करती हैं। सांबलपुरी साड़ी पारंपरिक रूपांकनों के अपने समावेश के लिए जानी जाती है।
इसका उत्पादन ओडिशा के बरगढ़, सोनपुर, सम्बलपुर, बलांगीर और बौद्ध जिले में किया जाता है। इन साड़ियों का रंग पंरापारिक तौर पर लाल काला और सफेद होता है, जिसे पहनने के बाद यकीनन आपका लुक अच्छा लगेगा।
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