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ओमिक्रॉन के खिलाफ मिला' सुरक्षा कवच'स्टडी में खुलासा

Teja
11 Jan 2022 10:41 AM GMT
ओमिक्रॉन के खिलाफ मिला सुरक्षा कवचस्टडी में खुलासा
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दुनियाभर में इस वक्त कोरोना महामारी का खौफ है और हर जगह महामारी को कंट्रोल करने के प्रयास जारी हैं. इस बीच वैज्ञानिकों ने लोगों को एक राहतभरी खबर दी है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | दुनियाभर में इस वक्त कोरोना महामारी का खौफ है और हर जगह महामारी को कंट्रोल करने के प्रयास जारी हैं. इस बीच वैज्ञानिकों ने लोगों को एक राहतभरी खबर दी है जिसे जानकर आपके भीतर का डर जरूर कम हो जाएगा. एक ताजा स्टडी में सामने आया है कि कोल्ड होने से बॉडी की इम्युनिटी कोरोना के खिलाफ ज्यादा मजबूत हो जाती है.

सर्दी-जुकान बना 'सुरक्षा कवच'
'द सन' की रिपोर्ट के मुताबिक इंपीरियल कॉलेज लंदन के साइंटिस्ट ने अपनी स्टडी में पाया कि खांसी और जुकाम से टी-सेल यानी रक्त कोशिकाओं को बढ़ावा मिलता है जो कि वायरस की डिटेक्ट करने में कारगर साबित होती हैं. इसके अलावा कोविड में सूंघने की क्षमता प्रभावित होने से भी हमारी इम्युनिटी मजबूत होती है.
डॉक्टर रिया कुंडू ने बताया कि जब हम किसी वायरस से संक्रमित होते हैं तो बॉडी में टी-सेल बनने लगती हैं और इनके जरिए हम कोविड के किसी इंफेक्शन से बचाव के लिए तैयार हो जाते हैं. डॉक्टर ने कहा कि यह एक अहम खोज है, लेकिन यह सुरक्षा का केवल एक ही तरीका है और किसी को भी सिर्फ इस पर भरोसा नहीं करना चाहिए.
टी-सेल से मिल रहा प्रोटेक्शन
उन्होंने कहा कि कोरोना से बचने का सबसे कारगर तरीका वैक्सीनेशन ही है और सभी को पूरी तरह वैक्सीनेट होना जरूरी है, साथ ही बूस्टर डोज भी लगवानी चाहिए.
यह स्टडी 52 लोगों के एक ग्रुप पर की गई है जो कि कोरोना संक्रमित लोगों के साथ रह रहे थे. लेकिन इनमें से सिर्फ आधे ही संक्रमित हुए थे. ब्लड टेस्ट से पता चला कि जो 26 लोग संक्रमण का शिकार नहीं हुए उनमें टी-सेल का लेवल काफी ज्यादा था क्योंकि वह पहले किसी अन्य कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके थे
अब भी कारगर पुरानी कोविड वैक्सीन
ऐसे कम से कम 4 अन्य तरह के कोरोना वायरस हैं जो आमतौर पर किसी इंसान को संक्रमित करते हैं. ऐसे वायरस से संक्रमित हर 5 में एक को कोल्ड होता है. स्टडी में यह भी पता चला कि जिनकी बॉडी में टी-से ज्यादा है उन पर सभी कोरोना वायरस का एक जैसा असर दिखता है जो कि अन्य वायरस के खिलाफ बग की तरह काम करती हैं. साथ ही उन्हें बॉडी में दाखिल होने से रोकती हैं.
दरअसल टी-सेल उन वायरस के खिलाफ काम करती हैं जो ज्यादा बार म्यूटेट नहीं हो पाए हों. यही वजह है कि हमारी पुरानी वैक्सीन अभी भी नए कोविड वेरिएंट के खिलाफ काम कर रही हैं, भले ही शरीर की एंटीबॉडी कम प्रभावी क्यों न हो गई हों.
एक्सपर्ट ने बताया कि इस क्रॉस-प्रोटेक्शन का मतलब है कि यह एक ऐसा सेफ्टी गार्ड है जो सभी कोरोना वायरस के खिलाफ काम करेगा. प्रोफेसर अजीत लालवानी ने कहा, 'साफ है कि बॉडी में कॉमल कोल्ड से बनने वाली टी-सेल कोरोना वायरस को रोकने में अहम भूमिका निभाती हैं.'


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