लाइफ स्टाइल

खतरनाक है आँखों को रगड़ना, जा सकती है रोशनी, फट सकता है कॉर्निया

SANTOSI TANDI
2 Jun 2023 7:12 AM GMT
खतरनाक है आँखों को रगड़ना, जा सकती है रोशनी, फट सकता है कॉर्निया
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खतरनाक है आँखों को रगड़ना
जब भी हमारी आंखो में कुछ चला जाता है तो हमें बेचैनी होने लगती है। तिनके भर की चीज शरीर में उथल पुथल मचा देती है। जब तक हम उस तिनके को आंख से निकाल नहीं लेते तब तक चैन से नहीं बैठते और ऐसा करने के लिए हम हमेशा आंखों को तुरंत रगड़ने लगते हैं। बार-बार रगड़ते-रगड़ते चाहे आंखें लाल ही क्यों ना हो जाएँ पर जब तक आंखों में फसा तिनका बाहर नहीं निकलता तब तक आराम नहीं मिलता। सिर्फ इतना ही नहीं जब हम बहुत थक जाते है तो फ्रेश होने के लिए या आंखों का तनाव कम करने के लिए भी आंखो को रगड़ते हैं। ऐसा करने से हमारा ध्यान काम से हटकर दूसरी जगह चला जाता है और तनाव के साथ साथ रक्त चाप भी धीमा हो जाता है। लेकिन यह तनाव काम करने की तकनीक तब ही काम करती है जब हम आंखों को हल्के प्रेशर के साथ मसले। यदि ये प्रेशर तेज़ और भारी हुआ तो इसके बुरे परिणाम हमारी डेलिकेट आंखों को भुगतना पड़ता है।
आंखों को रगड़ने से भले सुकून मिलता है, लेकिन यह जितना हल्का महसूस कराता है उतना ही नुक़सानदेह भी है। जानिए अनजाने में हम अपनी आंखों को कितना नुक़सान पहुंचा रहे हैं। अक्सर हम सभी अपनी आंखों को रगड़ते रहते हैं। हल्की-सी खुजलाहट या नींद महसूस हुई तो आंखों को रगड़ लिया। किसी संक्रमण से दिक्कत होने पर या उलझन होने पर भी आंखों को हम मसल लेते हैं। अगर सर्दी-ज़ुकाम या थकावट है तो आंखों को रगड़ने में और आनंद महसूस होता है। कई लोगों के लिए आंखों को रगड़ना आदत बन जाती है। आंखें नाज़ुक और संवेदनशील होती हैं, इसलिए अगर उन्हें बहुत ज़ोर से या ज़्यादा मसला या रगड़ा तो आप उन्हें चोटिल कर सकते हैं।
आंखो के साथ हम इतनी बेरहमी से पेश आते हैं, जबकि सबसे ज़्यादा दबाव और तनाव हमारी शरीर में हमारी आंखें ही झेलती है।आँखें शरीर का सक्रिय अंग है, हम चाहे जिस अवस्था में हो, लेकिन आँखें अपना काम करती हैं। 24 घंटे में से 18 घंटे लगातार आंखें जागकर अपना काम करती हैं। यह सिर्फ सोते वक्त बंद होती हैं।
आज हम अपने पाठकों को बार-बार आँखों को रगड़ने या मसलने से होने वाले नुकसानों के बारे में बता रहे हैं।
आंखों को रगड़ने से होंगे ये नुक़सान...
आँखों के चारों ओर पड़ जाती हैं झुर्रियाँ
विशेषज्ञ कहते हैं कि दिन में एक या दो बार आंखों को मलना या रगड़ना सामान्य बात होती है। लोग ऐसा तब करते हैं जब वे जागते हैं या थकान महसूस करते हैं। लेकिन आंखों को बार-बार रगड़ने से पलकों और आंखों के कोनों में कोलेजन बॉन्ड ढीले हो सकते हैं। आईबैग झूल सकते हैं। आंखों के चारों ओर महीन रेखाएं और झुर्रियां हो सकती हैं।
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कीटाणुओं का स्थानांतरण
दिन भर में हमारे हाथ ना जाने कितनी चीज़ों को छूते हैं। किस चीज़ पर कीटाणु जमा हो हमें इसके बारे में ज्ञात नहीं होता। कोरोना के बाद से तो किसी चीज को हाथ लगाने के बाद आंखों को भूलकर भी नहीं छूना चाहिए। बिना हाथ धोए या किसी संक्रमित चीज को छू लेने के बाद जलन होने पर हम अपनी आंखों को रगड़ लेते हैं, जिससे हाथ में मौजूद सभी कीटाणु आंखों में स्थानांतरित हो जाते हैं। ऐसे में आंखो में एलर्जिक रिएक्शन और फंगल इंफेक्शन फैलने का भी खतरा बढ़ जाता है।
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